Al-A'la

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Hindi: Suhel Farooq Khan and Saifur Rahman Nadwi

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# Translation Ayah
1 ऐ रसूल अपने आलीशान परवरदिगार के नाम की तस्बीह करो سَبِّحِ اسْمَ رَبِّكَ الْأَعْلَى
2 जिसने (हर चीज़ को) पैदा किया الَّذِي خَلَقَ فَسَوَّى
3 और दुरूस्त किया और जिसने (उसका) अन्दाज़ा मुक़र्रर किया फिर राह बतायी وَالَّذِي قَدَّرَ فَهَدَى
4 और जिसने (हैवानात के लिए) चारा उगाया وَالَّذِي أَخْرَجَ الْمَرْعَى
5 फिर ख़ुश्क उसे सियाह रंग का कूड़ा कर दिया فَجَعَلَهُ غُثَاء أَحْوَى
6 हम तुम्हें (ऐसा) पढ़ा देंगे कि कभी भूलो ही नहीं سَنُقْرِؤُكَ فَلَا تَنسَى
7 मगर जो ख़ुदा चाहे (मन्सूख़ कर दे) बेशक वह खुली बात को भी जानता है और छुपे हुए को भी إِلَّا مَا شَاء اللَّهُ إِنَّهُ يَعْلَمُ الْجَهْرَ وَمَا يَخْفَى
8 और हम तुमको आसान तरीके की तौफ़ीक़ देंगे وَنُيَسِّرُكَ لِلْيُسْرَى
9 तो जहाँ तक समझाना मुफ़ीद हो समझते रहो فَذَكِّرْ إِن نَّفَعَتِ الذِّكْرَى
10 जो खौफ रखता हो वह तो फौरी समझ जाएगा سَيَذَّكَّرُ مَن يَخْشَى
11 और बदबख्त उससे पहलू तही करेगा وَيَتَجَنَّبُهَا الْأَشْقَى
12 जो (क़यामत में) बड़ी (तेज़) आग में दाख़िल होगा الَّذِي يَصْلَى النَّارَ الْكُبْرَى
13 फिर न वहाँ मरेगा ही न जीयेगा ثُمَّ لَا يَمُوتُ فِيهَا وَلَا يَحْيَى
14 वह यक़ीनन मुराद दिली को पहुँचा जो (शिर्क से) पाक हो قَدْ أَفْلَحَ مَن تَزَكَّى
15 और अपने परवरदिगार का ज़िक्र करता और नमाज़ पढ़ता रहा وَذَكَرَ اسْمَ رَبِّهِ فَصَلَّى
16 मगर तुम लोग दुनियावी ज़िन्दगी को तरजीह देते हो بَلْ تُؤْثِرُونَ الْحَيَاةَ الدُّنْيَا
17 हालॉकि आख़ोरत कहीं बेहतर और देर पा है وَالْآخِرَةُ خَيْرٌ وَأَبْقَى
18 बेशक यही बात अगले सहीफ़ों إِنَّ هَذَا لَفِي الصُّحُفِ الْأُولَى
19 इबराहीम और मूसा के सहीफ़ों में भी है صُحُفِ إِبْرَاهِيمَ وَمُوسَى
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