Al-Infitar

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Hindi: Suhel Farooq Khan and Saifur Rahman Nadwi

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# Translation Ayah
1 जब आसमान तर्ख़ जाएगा إِذَا السَّمَاء انفَطَرَتْ
2 और जब तारे झड़ पड़ेंगे وَإِذَا الْكَوَاكِبُ انتَثَرَتْ
3 और जब दरिया बह (कर एक दूसरे से मिल) जाएँगे وَإِذَا الْبِحَارُ فُجِّرَتْ
4 और जब कब्रें उखाड़ दी जाएँगी وَإِذَا الْقُبُورُ بُعْثِرَتْ
5 तब हर शख़्श को मालूम हो जाएगा कि उसने आगे क्या भेजा था और पीछे क्या छोड़ा था عَلِمَتْ نَفْسٌ مَّا قَدَّمَتْ وَأَخَّرَتْ
6 ऐ इन्सान तुम्हें अपने परवरदिगार के बारे में किस चीज़ ने धोका दिया يَا أَيُّهَا الْإِنسَانُ مَا غَرَّكَ بِرَبِّكَ الْكَرِيمِ
7 जिसने तुझे पैदा किया तो तुझे दुरूस्त बनाया और मुनासिब आज़ा दिए الَّذِي خَلَقَكَ فَسَوَّاكَ فَعَدَلَكَ
8 और जिस सूरत में उसने चाहा तेरे जोड़ बन्द मिलाए فِي أَيِّ صُورَةٍ مَّا شَاء رَكَّبَكَ
9 हाँ बात ये है कि तुम लोग जज़ा (के दिन) को झुठलाते हो كَلَّا بَلْ تُكَذِّبُونَ بِالدِّينِ
10 हालॉकि तुम पर निगेहबान मुक़र्रर हैं وَإِنَّ عَلَيْكُمْ لَحَافِظِينَ
11 बुर्ज़ुग लोग (फरिश्ते सब बातों को) लिखने वाले (केरामन क़ातेबीन) كِرَامًا كَاتِبِينَ
12 जो कुछ तुम करते हो वह सब जानते हैं يَعْلَمُونَ مَا تَفْعَلُونَ
13 बेशक नेको कार (बेहिश्त की) नेअमतों में होंगे إِنَّ الْأَبْرَارَ لَفِي نَعِيمٍ
14 और बदकार लोग यक़ीनन जहन्नुम में जज़ा के दिन وَإِنَّ الْفُجَّارَ لَفِي جَحِيمٍ
15 उसी में झोंके जाएँगे يَصْلَوْنَهَا يَوْمَ الدِّينِ
16 और वह लोग उससे छुप न सकेंगे وَمَا هُمْ عَنْهَا بِغَائِبِينَ
17 और तुम्हें क्या मालूम कि जज़ा का दिन क्या है وَمَا أَدْرَاكَ مَا يَوْمُ الدِّينِ
18 फिर तुम्हें क्या मालूम कि जज़ा का दिन क्या चीज़ है ثُمَّ مَا أَدْرَاكَ مَا يَوْمُ الدِّينِ
19 उस दिन कोई शख़्श किसी शख़्श की भलाई न कर सकेगा और उस दिन हुक्म सिर्फ ख़ुदा ही का होगा يَوْمَ لَا تَمْلِكُ نَفْسٌ لِّنَفْسٍ شَيْئًا وَالْأَمْرُ يَوْمَئِذٍ لِلَّهِ
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