Al-Mutaffife

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Hindi: Suhel Farooq Khan and Saifur Rahman Nadwi

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# Translation Ayah
1 नाप तौल में कमी करने वालों की ख़राबी है وَيْلٌ لِّلْمُطَفِّفِينَ
2 जो औरें से नाप कर लें तो पूरा पूरा लें الَّذِينَ إِذَا اكْتَالُواْ عَلَى النَّاسِ يَسْتَوْفُونَ
3 और जब उनकी नाप या तौल कर दें तो कम कर दें وَإِذَا كَالُوهُمْ أَو وَّزَنُوهُمْ يُخْسِرُونَ
4 क्या ये लोग इतना भी ख्याल नहीं करते أَلَا يَظُنُّ أُولَئِكَ أَنَّهُم مَّبْعُوثُونَ
5 कि एक बड़े (सख्त) दिन (क़यामत) में उठाए जाएँगे لِيَوْمٍ عَظِيمٍ
6 जिस दिन तमाम लोग सारे जहाँन के परवरदिगार के सामने खड़े होंगे يَوْمَ يَقُومُ النَّاسُ لِرَبِّ الْعَالَمِينَ
7 सुन रखो कि बदकारों के नाम ए अमाल सिज्जीन में हैं كَلَّا إِنَّ كِتَابَ الفُجَّارِ لَفِي سِجِّينٍ
8 तुमको क्या मालूम सिज्जीन क्या चीज़ है وَمَا أَدْرَاكَ مَا سِجِّينٌ
9 एक लिखा हुआ दफ़तर है जिसमें शयातीन के (आमाल दर्ज हैं) كِتَابٌ مَّرْقُومٌ
10 उस दिन झुठलाने वालों की ख़राबी है وَيْلٌ يَوْمَئِذٍ لِّلْمُكَذِّبِينَ
11 जो लोग रोजे ज़ज़ा को झुठलाते हैं الَّذِينَ يُكَذِّبُونَ بِيَوْمِ الدِّينِ
12 हालॉकि उसको हद से निकल जाने वाले गुनाहगार के सिवा कोई नहीं झुठलाता وَمَا يُكَذِّبُ بِهِ إِلَّا كُلُّ مُعْتَدٍ أَثِيمٍ
13 जब उसके सामने हमारी आयतें पढ़ी जाती हैं तो कहता है कि ये तो अगलों के अफसाने हैं إِذَا تُتْلَى عَلَيْهِ آيَاتُنَا قَالَ أَسَاطِيرُ الْأَوَّلِينَ
14 नहीं नहीं बात ये है कि ये लोग जो आमाल (बद) करते हैं उनका उनके दिलों पर जंग बैठ गया है كَلَّا بَلْ رَانَ عَلَى قُلُوبِهِم مَّا كَانُوا يَكْسِبُونَ
15 बेशक ये लोग उस दिन अपने परवरदिगार (की रहमत से) रोक दिए जाएँगे كَلَّا إِنَّهُمْ عَن رَّبِّهِمْ يَوْمَئِذٍ لَّمَحْجُوبُونَ
16 फिर ये लोग ज़रूर जहन्नुम वासिल होंगे ثُمَّ إِنَّهُمْ لَصَالُوا الْجَحِيمِ
17 फिर उनसे कहा जाएगा कि ये वही चीज़ तो है जिसे तुम झुठलाया करते थे ثُمَّ يُقَالُ هَذَا الَّذِي كُنتُم بِهِ تُكَذِّبُونَ
18 ये भी सुन रखो कि नेको के नाम ए अमाल इल्लीयीन में होंगे كَلَّا إِنَّ كِتَابَ الْأَبْرَارِ لَفِي عِلِّيِّينَ
19 और तुमको क्या मालूम कि इल्लीयीन क्या है वह एक लिखा हुआ दफ़तर है وَمَا أَدْرَاكَ مَا عِلِّيُّونَ
20 जिसमें नेकों के आमाल दर्ज हैं كِتَابٌ مَّرْقُومٌ
21 उसके पास मुक़र्रिब (फ़रिश्ते) हाज़िर हैं يَشْهَدُهُ الْمُقَرَّبُونَ
22 बेशक नेक लोग नेअमतों में होंगे إِنَّ الْأَبْرَارَ لَفِي نَعِيمٍ
23 तख्तों पर बैठे नज़ारे करेंगे عَلَى الْأَرَائِكِ يَنظُرُونَ
24 तुम उनके चेहरों ही से राहत की ताज़गी मालूम कर लोगे تَعْرِفُ فِي وُجُوهِهِمْ نَضْرَةَ النَّعِيمِ
25 उनको सर ब मोहर ख़ालिस शराब पिलायी जाएगी يُسْقَوْنَ مِن رَّحِيقٍ مَّخْتُومٍ
26 जिसकी मोहर मिश्क की होगी और उसकी तरफ अलबत्ता शायक़ीन को रग़बत करनी चाहिए خِتَامُهُ مِسْكٌ وَفِي ذَلِكَ فَلْيَتَنَافَسِ الْمُتَنَافِسُونَ
27 और उस (शराब) में तसनीम के पानी की आमेज़िश होगी وَمِزَاجُهُ مِن تَسْنِيمٍ
28 वह एक चश्मा है जिसमें मुक़रेबीन पियेंगे عَيْنًا يَشْرَبُ بِهَا الْمُقَرَّبُونَ
29 बेशक जो गुनाहगार मोमिनों से हँसी किया करते थे إِنَّ الَّذِينَ أَجْرَمُوا كَانُواْ مِنَ الَّذِينَ آمَنُوا يَضْحَكُونَ
30 और जब उनके पास से गुज़रते तो उन पर चशमक करते थे وَإِذَا مَرُّواْ بِهِمْ يَتَغَامَزُونَ
31 और जब अपने लड़के वालों की तरफ़ लौट कर आते थे तो इतराते हुए وَإِذَا انقَلَبُواْ إِلَى أَهْلِهِمُ انقَلَبُواْ فَكِهِينَ
32 और जब उन मोमिनीन को देखते तो कह बैठते थे कि ये तो यक़ीनी गुमराह हैं وَإِذَا رَأَوْهُمْ قَالُوا إِنَّ هَؤُلَاء لَضَالُّونَ
33 हालॉकि ये लोग उन पर कुछ निगराँ बना के तो भेजे नहीं गए थे وَمَا أُرْسِلُوا عَلَيْهِمْ حَافِظِينَ
34 तो आज (क़यामत में) ईमानदार लोग काफ़िरों से हँसी करेंगे فَالْيَوْمَ الَّذِينَ آمَنُواْ مِنَ الْكُفَّارِ يَضْحَكُونَ
35 (और) तख्तों पर बैठे नज़ारे करेंगे عَلَى الْأَرَائِكِ يَنظُرُونَ
36 कि अब तो काफ़िरों को उनके किए का पूरा पूरा बदला मिल गया هَلْ ثُوِّبَ الْكُفَّارُ مَا كَانُوا يَفْعَلُونَ
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