At-Takwir

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Hindi: Suhel Farooq Khan and Saifur Rahman Nadwi

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# Translation Ayah
1 जिस वक्त आफ़ताब की चादर को लपेट लिया जाएगा إِذَا الشَّمْسُ كُوِّرَتْ
2 और जिस वक्त तारे गिर पडेग़ें وَإِذَا النُّجُومُ انكَدَرَتْ
3 और जब पहाड़ चलाए जाएंगें وَإِذَا الْجِبَالُ سُيِّرَتْ
4 और जब अनक़रीब जनने वाली ऊंटनियों बेकार कर दी जाएंगी وَإِذَا الْعِشَارُ عُطِّلَتْ
5 और जिस वक्त वहशी जानवर इकट्ठा किये जायेंगे وَإِذَا الْوُحُوشُ حُشِرَتْ
6 और जिस वक्त दरिया आग हो जायेंगे وَإِذَا الْبِحَارُ سُجِّرَتْ
7 और जिस वक्त रुहें हवियों से मिला दी जाएंगी وَإِذَا النُّفُوسُ زُوِّجَتْ
8 और जिस वक्त ज़िन्दा दर गोर लड़की से पूछा जाएगा وَإِذَا الْمَوْؤُودَةُ سُئِلَتْ
9 कि वह किस गुनाह के बदले मारी गयी بِأَيِّ ذَنبٍ قُتِلَتْ
10 और जिस वक्त (आमाल के) दफ्तर खोले जाएं وَإِذَا الصُّحُفُ نُشِرَتْ
11 और जिस वक्त आसमान का छिलका उतारा जाएगा وَإِذَا السَّمَاء كُشِطَتْ
12 और जब दोज़ख़ (की आग) भड़कायी जाएगी وَإِذَا الْجَحِيمُ سُعِّرَتْ
13 और जब बेहिश्त क़रीब कर दी जाएगी وَإِذَا الْجَنَّةُ أُزْلِفَتْ
14 तब हर शख़्श मालूम करेगा कि वह क्या (आमाल) लेकर आया عَلِمَتْ نَفْسٌ مَّا أَحْضَرَتْ
15 तो मुझे उन सितारों की क़सम जो चलते चलते पीछे हट जाते فَلَا أُقْسِمُ بِالْخُنَّسِ
16 और ग़ायब होते हैं الْجَوَارِ الْكُنَّسِ
17 और रात की क़सम जब ख़त्म होने को आए وَاللَّيْلِ إِذَا عَسْعَسَ
18 और सुबह की क़सम जब रौशन हो जाए وَالصُّبْحِ إِذَا تَنَفَّسَ
19 कि बेशक यें (क़ुरान) एक मुअज़िज़ फरिश्ता (जिबरील की ज़बान का पैग़ाम है إِنَّهُ لَقَوْلُ رَسُولٍ كَرِيمٍ
20 जो बड़े क़वी अर्श के मालिक की बारगाह में बुलन्द रुतबा है ذِي قُوَّةٍ عِندَ ذِي الْعَرْشِ مَكِينٍ
21 वहाँ (सब फरिश्तों का) सरदार अमानतदार है مُطَاعٍ ثَمَّ أَمِينٍ
22 और (मक्के वालों) तुम्हारे साथी मोहम्मद दीवाने नहीं हैं وَمَا صَاحِبُكُم بِمَجْنُونٍ
23 और बेशक उन्होनें जिबरील को (आसमान के) खुले (शरक़ी) किनारे पर देखा है وَلَقَدْ رَآهُ بِالْأُفُقِ الْمُبِينِ
24 और वह ग़ैब की बातों के ज़ाहिर करने में बख़ील नहीं وَمَا هُوَ عَلَى الْغَيْبِ بِضَنِينٍ
25 और न यह मरदूद शैतान का क़ौल है وَمَا هُوَ بِقَوْلِ شَيْطَانٍ رَجِيمٍ
26 फिर तुम कहाँ जाते हो فَأَيْنَ تَذْهَبُونَ
27 ये सारे जहॉन के लोगों के लिए बस नसीहत है إِنْ هُوَ إِلَّا ذِكْرٌ لِّلْعَالَمِينَ
28 (मगर) उसी के लिए जो तुममें सीधी राह चले لِمَن شَاء مِنكُمْ أَن يَسْتَقِيمَ
29 और तुम तो सारे जहॉन के पालने वाले ख़ुदा के चाहे बग़ैर कुछ भी चाह नहीं सकते وَمَا تَشَاؤُونَ إِلَّا أَن يَشَاء اللَّهُ رَبُّ الْعَالَمِينَ
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