Abasa

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Hindi: Suhel Farooq Khan and Saifur Rahman Nadwi

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# Translation Ayah
1 वह अपनी बात पर चीं ब जबीं हो गया عَبَسَ وَتَوَلَّى
2 और मुँह फेर बैठा कि उसके पास नाबीना आ गया أَن جَاءهُ الْأَعْمَى
3 और तुमको क्या मालूम यायद वह (तालीम से) पाकीज़गी हासिल करता وَمَا يُدْرِيكَ لَعَلَّهُ يَزَّكَّى
4 या वह नसीहत सुनता तो नसीहत उसके काम आती أَوْ يَذَّكَّرُ فَتَنفَعَهُ الذِّكْرَى
5 तो जो कुछ परवाह नहीं करता أَمَّا مَنِ اسْتَغْنَى
6 उसके तो तुम दरपै हो जाते हो हालॉकि अगर वह न सुधरे فَأَنتَ لَهُ تَصَدَّى
7 तो तुम ज़िम्मेदार नहीं وَمَا عَلَيْكَ أَلَّا يَزَّكَّى
8 और जो तुम्हारे पास लपकता हुआ आता है وَأَمَّا مَن جَاءكَ يَسْعَى
9 और (ख़ुदा से) डरता है وَهُوَ يَخْشَى
10 तो तुम उससे बेरूख़ी करते हो فَأَنتَ عَنْهُ تَلَهَّى
11 देखो ये (क़ुरान) तो सरासर नसीहत है كَلَّا إِنَّهَا تَذْكِرَةٌ
12 तो जो चाहे इसे याद रखे فَمَن شَاء ذَكَرَهُ
13 (लौहे महफूज़ के) बहुत मोअज़ज़िज औराक़ में (लिखा हुआ) है فِي صُحُفٍ مُّكَرَّمَةٍ
14 बुलन्द मरतबा और पाक हैं مَّرْفُوعَةٍ مُّطَهَّرَةٍ
15 (ऐसे) लिखने वालों के हाथों में है بِأَيْدِي سَفَرَةٍ
16 जो बुज़ुर्ग नेकोकार हैं كِرَامٍ بَرَرَةٍ
17 इन्सान हलाक हो जाए वह क्या कैसा नाशुक्रा है قُتِلَ الْإِنسَانُ مَا أَكْفَرَهُ
18 (ख़ुदा ने) उसे किस चीज़ से पैदा किया مِنْ أَيِّ شَيْءٍ خَلَقَهُ
19 नुत्फे से उसे पैदा किया फिर उसका अन्दाज़ा मुक़र्रर किया مِن نُّطْفَةٍ خَلَقَهُ فَقَدَّرَهُ
20 फिर उसका रास्ता आसान कर दिया ثُمَّ السَّبِيلَ يَسَّرَهُ
21 फिर उसे मौत दी फिर उसे कब्र में दफ़न कराया ثُمَّ أَمَاتَهُ فَأَقْبَرَهُ
22 फिर जब चाहेगा उठा खड़ा करेगा ثُمَّ إِذَا شَاء أَنشَرَهُ
23 सच तो यह है कि ख़ुदा ने जो हुक्म उसे दिया उसने उसको पूरा न किया كَلَّا لَمَّا يَقْضِ مَا أَمَرَهُ
24 तो इन्सान को अपने घाटे ही तरफ ग़ौर करना चाहिए فَلْيَنظُرِ الْإِنسَانُ إِلَى طَعَامِهِ
25 कि हम ही ने (बादल) से पानी बरसाया أَنَّا صَبَبْنَا الْمَاء صَبًّا
26 फिर हम ही ने ज़मीन (दरख्त उगाकर) चीरी फाड़ी ثُمَّ شَقَقْنَا الْأَرْضَ شَقًّا
27 फिर हमने उसमें अनाज उगाया فَأَنبَتْنَا فِيهَا حَبًّا
28 और अंगूर और तरकारियाँ وَعِنَبًا وَقَضْبًا
29 और ज़ैतून और खजूरें وَزَيْتُونًا وَنَخْلًا
30 और घने घने बाग़ और मेवे وَحَدَائِقَ غُلْبًا
31 और चारा (ये सब कुछ) तुम्हारे और तुम्हारे وَفَاكِهَةً وَأَبًّا
32 चारपायों के फायदे के लिए (बनाया) مَّتَاعًا لَّكُمْ وَلِأَنْعَامِكُمْ
33 तो जब कानों के परदे फाड़ने वाली (क़यामत) आ मौजूद होगी فَإِذَا جَاءتِ الصَّاخَّةُ
34 उस दिन आदमी अपने भाई يَوْمَ يَفِرُّ الْمَرْءُ مِنْ أَخِيهِ
35 और अपनी माँ और अपने बाप وَأُمِّهِ وَأَبِيهِ
36 और अपने लड़के बालों से भागेगा وَصَاحِبَتِهِ وَبَنِيهِ
37 उस दिन हर शख़्श (अपनी नजात की) ऐसी फ़िक्र में होगा जो उसके (मशग़ूल होने के) लिए काफ़ी हों لِكُلِّ امْرِئٍ مِّنْهُمْ يَوْمَئِذٍ شَأْنٌ يُغْنِيهِ
38 बहुत से चेहरे तो उस दिन चमकते होंगे وُجُوهٌ يَوْمَئِذٍ مُّسْفِرَةٌ
39 ख़न्दाँ शांदाँ (यही नेको कार हैं) ضَاحِكَةٌ مُّسْتَبْشِرَةٌ
40 और बहुत से चेहरे ऐसे होंगे जिन पर गर्द पड़ी होगी وَوُجُوهٌ يَوْمَئِذٍ عَلَيْهَا غَبَرَةٌ
41 उस पर सियाही छाई हुई होगी تَرْهَقُهَا قَتَرَةٌ
42 यही कुफ्फ़ार बदकार हैं أُوْلَئِكَ هُمُ الْكَفَرَةُ الْفَجَرَةُ
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