Al-Ma'arij

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Hindi: Suhel Farooq Khan and Saifur Rahman Nadwi

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# Translation Ayah
1 एक माँगने वाले ने काफिरों के लिए होकर रहने वाले अज़ाब को माँगा سَأَلَ سَائِلٌ بِعَذَابٍ وَاقِعٍ
2 जिसको कोई टाल नहीं सकता لِّلْكَافِرينَ لَيْسَ لَهُ دَافِعٌ
3 जो दर्जे वाले ख़ुदा की तरफ से (होने वाला) था مِّنَ اللَّهِ ذِي الْمَعَارِجِ
4 जिसकी तरफ फ़रिश्ते और रूहुल अमीन चढ़ते हैं (और ये) एक दिन में इतनी मुसाफ़त तय करते हैं जिसका अन्दाज़ा पचास हज़ार बरस का होगा تَعْرُجُ الْمَلَائِكَةُ وَالرُّوحُ إِلَيْهِ فِي يَوْمٍ كَانَ مِقْدَارُهُ خَمْسِينَ أَلْفَ سَنَةٍ
5 तो तुम अच्छी तरह इन तक़लीफों को बरदाश्त करते रहो فَاصْبِرْ صَبْرًا جَمِيلًا
6 वह (क़यामत) उनकी निगाह में बहुत दूर है إِنَّهُمْ يَرَوْنَهُ بَعِيدًا
7 और हमारी नज़र में नज़दीक है وَنَرَاهُ قَرِيبًا
8 जिस दिन आसमान पिघले हुए ताँबे का सा हो जाएगा يَوْمَ تَكُونُ السَّمَاء كَالْمُهْلِ
9 और पहाड़ धुनके हुए ऊन का सा وَتَكُونُ الْجِبَالُ كَالْعِهْنِ
10 बावजूद कि एक दूसरे को देखते होंगे وَلَا يَسْأَلُ حَمِيمٌ حَمِيمًا
11 कोई किसी दोस्त को न पूछेगा गुनेहगार तो आरज़ू करेगा कि काश उस दिन के अज़ाब के बदले उसके बेटों يُبَصَّرُونَهُمْ يَوَدُّ الْمُجْرِمُ لَوْ يَفْتَدِي مِنْ عَذَابِ يَوْمِئِذٍ بِبَنِيهِ
12 और उसकी बीवी और उसके भाई وَصَاحِبَتِهِ وَأَخِيهِ
13 और उसके कुनबे को जिसमें वह रहता था وَفَصِيلَتِهِ الَّتِي تُؤْويهِ
14 और जितने आदमी ज़मीन पर हैं सब को ले ले और उसको छुटकारा दे दें وَمَن فِي الْأَرْضِ جَمِيعًا ثُمَّ يُنجِيهِ
15 (मगर) ये हरगिज़ न होगा كَلَّا إِنَّهَا لَظَى
16 जहन्नुम की वह भड़कती आग है कि खाल उधेड़ कर रख देगी نَزَّاعَةً لِّلشَّوَى
17 (और) उन लोगों को अपनी तरफ बुलाती होगी تَدْعُو مَنْ أَدْبَرَ وَتَوَلَّى
18 जिन्होंने (दीन से) पीठ फेरी और मुँह मोड़ा और (माल जमा किया) وَجَمَعَ فَأَوْعَى
19 और बन्द कर रखा बेशक इन्सान बड़ा लालची पैदा हुआ है إِنَّ الْإِنسَانَ خُلِقَ هَلُوعًا
20 जब उसे तक़लीफ छू भी गयी तो घबरा गया إِذَا مَسَّهُ الشَّرُّ جَزُوعًا
21 और जब उसे ज़रा फराग़ी हासिल हुई तो बख़ील बन बैठा وَإِذَا مَسَّهُ الْخَيْرُ مَنُوعًا
22 मगर जो लोग नमाज़ पढ़ते हैं إِلَّا الْمُصَلِّينَ
23 जो अपनी नमाज़ का इल्तज़ाम रखते हैं الَّذِينَ هُمْ عَلَى صَلَاتِهِمْ دَائِمُونَ
24 और जिनके माल में माँगने वाले और न माँगने वाले के وَالَّذِينَ فِي أَمْوَالِهِمْ حَقٌّ مَّعْلُومٌ
25 लिए एक मुक़र्रर हिस्सा है لِّلسَّائِلِ وَالْمَحْرُومِ
26 और जो लोग रोज़े जज़ा की तस्दीक़ करते हैं وَالَّذِينَ يُصَدِّقُونَ بِيَوْمِ الدِّينِ
27 और जो लोग अपने परवरदिगार के अज़ाब से डरते रहते हैं وَالَّذِينَ هُم مِّنْ عَذَابِ رَبِّهِم مُّشْفِقُونَ
28 बेशक उनको परवरदिगार के अज़ाब से बेख़ौफ न होना चाहिए إِنَّ عَذَابَ رَبِّهِمْ غَيْرُ مَأْمُونٍ
29 और जो लोग अपनी शर्मगाहों को अपनी बीवियों और अपनी लौन्डियों के सिवा से हिफाज़त करते हैं وَالَّذِينَ هُمْ لِفُرُوجِهِمْ حَافِظُونَ
30 तो इन लोगों की हरगिज़ मलामत न की जाएगी إِلَّا عَلَى أَزْوَاجِهِمْ أَوْ مَا مَلَكَتْ أَيْمَانُهُمْ فَإِنَّهُمْ غَيْرُ مَلُومِينَ
31 तो जो लोग उनके सिवा और के ख़ास्तगार हों तो यही लोग हद से बढ़ जाने वाले हैं فَمَنِ ابْتَغَى وَرَاء ذَلِكَ فَأُوْلَئِكَ هُمُ الْعَادُونَ
32 और जो लोग अपनी अमानतों और अहदों का लेहाज़ रखते हैं وَالَّذِينَ هُمْ لِأَمَانَاتِهِمْ وَعَهْدِهِمْ رَاعُونَ
33 और जो लोग अपनी यहादतों पर क़ायम रहते हैं وَالَّذِينَ هُم بِشَهَادَاتِهِمْ قَائِمُونَ
34 और जो लोग अपनी नमाज़ो का ख्याल रखते हैं وَالَّذِينَ هُمْ عَلَى صَلَاتِهِمْ يُحَافِظُونَ
35 यही लोग बेहिश्त के बाग़ों में इज्ज़त से रहेंगे أُوْلَئِكَ فِي جَنَّاتٍ مُّكْرَمُونَ
36 तो (ऐ रसूल) काफिरों को क्या हो गया है فَمَالِ الَّذِينَ كَفَرُوا قِبَلَكَ مُهْطِعِينَ
37 कि तुम्हारे पास गिरोह गिरोह दाहिने से बाएँ से दौड़े चले आ रहे हैं عَنِ الْيَمِينِ وَعَنِ الشِّمَالِ عِزِينَ
38 क्या इनमें से हर शख़्श इस का मुतमइनी है कि चैन के बाग़ (बेहिश्त) में दाख़िल होगा أَيَطْمَعُ كُلُّ امْرِئٍ مِّنْهُمْ أَن يُدْخَلَ جَنَّةَ نَعِيمٍ
39 हरगिज़ नहीं हमने उनको जिस (गन्दी) चीज़ से पैदा किया ये लोग जानते हैं كَلَّا إِنَّا خَلَقْنَاهُم مِّمَّا يَعْلَمُونَ
40 तो मैं मशरिकों और मग़रिबों के परवरदिगार की क़सम खाता हूँ कि हम ज़रूर इस बात की कुदरत रखते हैं فَلَا أُقْسِمُ بِرَبِّ الْمَشَارِقِ وَالْمَغَارِبِ إِنَّا لَقَادِرُونَ
41 कि उनके बदले उनसे बेहतर लोग ला (बसाएँ) और हम आजिज़ नहीं हैं عَلَى أَن نُّبَدِّلَ خَيْرًا مِّنْهُمْ وَمَا نَحْنُ بِمَسْبُوقِينَ
42 तो तुम उनको छोड़ दो कि बातिल में पड़े खेलते रहें यहाँ तक कि जिस दिन का उनसे वायदा किया जाता है उनके सामने आ मौजूद हो فَذَرْهُمْ يَخُوضُوا وَيَلْعَبُوا حَتَّى يُلَاقُوا يَوْمَهُمُ الَّذِي يُوعَدُونَ
43 उसी दिन ये लोग कब्रों से निकल कर इस तरह दौड़ेंगे गोया वह किसी झन्डे की तरफ दौड़े चले जाते हैं يَوْمَ يَخْرُجُونَ مِنَ الْأَجْدَاثِ سِرَاعًا كَأَنَّهُمْ إِلَى نُصُبٍ يُوفِضُونَ
44 (निदामत से) उनकी ऑंखें झुकी होंगी उन पर रूसवाई छाई हुई होगी ये वही दिन है जिसका उनसे वायदा किया जाता था خَاشِعَةً أَبْصَارُهُمْ تَرْهَقُهُمْ ذِلَّةٌ ذَلِكَ الْيَوْمُ الَّذِي كَانُوا يُوعَدُونَ
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