Al-Alaq

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Hindi: Suhel Farooq Khan and Saifur Rahman Nadwi

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# Translation Ayah
1 (ऐ रसूल) अपने परवरदिगार का नाम लेकर पढ़ो जिसने हर (चीज़ को) पैदा किया اقْرَأْ بِاسْمِ رَبِّكَ الَّذِي خَلَقَ
2 उस ने इन्सान को जमे हुए ख़ून से पैदा किया पढ़ो خَلَقَ الْإِنسَانَ مِنْ عَلَقٍ
3 और तुम्हारा परवरदिगार बड़ा क़रीम है اقْرَأْ وَرَبُّكَ الْأَكْرَمُ
4 जिसने क़लम के ज़रिए तालीम दी الَّذِي عَلَّمَ بِالْقَلَمِ
5 उसीने इन्सान को वह बातें बतायीं जिनको वह कुछ जानता ही न था عَلَّمَ الْإِنسَانَ مَا لَمْ يَعْلَمْ
6 सुन रखो बेशक इन्सान जो अपने को ग़नी देखता है كَلَّا إِنَّ الْإِنسَانَ لَيَطْغَى
7 तो सरकश हो जाता है أَن رَّآهُ اسْتَغْنَى
8 बेशक तुम्हारे परवरदिगार की तरफ (सबको) पलटना है إِنَّ إِلَى رَبِّكَ الرُّجْعَى
9 भला तुमने उस शख़्श को भी देखा أَرَأَيْتَ الَّذِي يَنْهَى
10 जो एक बन्दे को जब वह नमाज़ पढ़ता है तो वह रोकता है عَبْدًا إِذَا صَلَّى
11 भला देखो तो कि अगर ये राहे रास्त पर हो या परहेज़गारी का हुक्म करे أَرَأَيْتَ إِن كَانَ عَلَى الْهُدَى
12 (तो रोकना कैसा) أَوْ أَمَرَ بِالتَّقْوَى
13 भला देखो तो कि अगर उसने (सच्चे को) झुठला दिया और (उसने) मुँह फेरा أَرَأَيْتَ إِن كَذَّبَ وَتَوَلَّى
14 (तो नतीजा क्या होगा) क्या उसको ये मालूम नहीं कि ख़ुदा यक़ीनन देख रहा है أَلَمْ يَعْلَمْ بِأَنَّ اللَّهَ يَرَى
15 देखो अगर वह बाज़ न आएगा तो हम परेशानी के पट्टे पकड़ के घसीटेंगे كَلَّا لَئِن لَّمْ يَنتَهِ لَنَسْفَعًا بِالنَّاصِيَةِ
16 झूठे ख़तावार की पेशानी के पट्टे نَاصِيَةٍ كَاذِبَةٍ خَاطِئَةٍ
17 तो वह अपने याराने जलसा को बुलाए हम भी जल्लाद फ़रिश्ते को बुलाएँगे فَلْيَدْعُ نَادِيَه
18 (ऐ रसूल) देखो हरगिज़ उनका कहना न मानना سَنَدْعُ الزَّبَانِيَةَ
19 और सजदे करते रहो और कुर्ब हासिल करो (19) (सजदा) كَلَّا لَا تُطِعْهُ وَاسْجُدْ وَاقْتَرِبْ
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