As-Saffat

Change Language
Change Surah
Change Recitation

Hindi: Suhel Farooq Khan and Saifur Rahman Nadwi

Play All
# Translation Ayah
1 (इबादत या जिहाद में) पर बाँधने वालों की (क़सम) وَالصَّافَّاتِ صَفًّا
2 फिर (बदों को बुराई से) झिड़क कर डाँटने वाले की (क़सम) فَالزَّاجِرَاتِ زَجْرًا
3 फिर कुरान पढ़ने वालों की क़सम है فَالتَّالِيَاتِ ذِكْرًا
4 तुम्हारा माबूद (यक़ीनी) एक ही है إِنَّ إِلَهَكُمْ لَوَاحِدٌ
5 जो सारे आसमान ज़मीन का और जो कुछ इन दोनों के दरमियान है (सबका) परवरदिगार है رَبُّ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا وَرَبُّ الْمَشَارِقِ
6 और (चाँद सूरज तारे के) तुलूउ व (गुरूब) के मक़ामात का भी मालिक है हम ही ने नीचे वाले आसमान को तारों की आरइश (जगमगाहट) से आरास्ता किया إِنَّا زَيَّنَّا السَّمَاء الدُّنْيَا بِزِينَةٍ الْكَوَاكِبِ
7 और (तारों को) हर सरकश शैतान से हिफ़ाज़त के वास्ते (भी पैदा किया) وَحِفْظًا مِّن كُلِّ شَيْطَانٍ مَّارِدٍ
8 कि अब शैतान आलमे बाला की तरफ़ कान भी नहीं लगा सकते और (जहाँ सुन गुन लेना चाहा तो) हर तरफ़ से खदेड़ने के लिए शहाब फेके जाते हैं لَا يَسَّمَّعُونَ إِلَى الْمَلَإِ الْأَعْلَى وَيُقْذَفُونَ مِن كُلِّ جَانِبٍ
9 और उनके लिए पाएदार अज़ाब है دُحُورًا وَلَهُمْ عَذَابٌ وَاصِبٌ
10 मगर जो (शैतान शाज़ व नादिर फरिश्तों की) कोई बात उचक ले भागता है तो आग का दहकता हुआ तीर उसका पीछा करता है إِلَّا مَنْ خَطِفَ الْخَطْفَةَ فَأَتْبَعَهُ شِهَابٌ ثَاقِبٌ
11 तो (ऐ रसूल) तुम उनसे पूछो तो कि उनका पैदा करना ज्यादा दुश्वार है या उन (मज़कूरा) चीज़ों का जिनको हमने पैदा किया हमने तो उन लोगों को लसदार मिट्टी से पैदा किया فَاسْتَفْتِهِمْ أَهُمْ أَشَدُّ خَلْقًا أَم مَّنْ خَلَقْنَا إِنَّا خَلَقْنَاهُم مِّن طِينٍ لَّازِبٍ
12 बल्कि तुम (उन कुफ्फ़ार के इन्कार पर) ताज्जुब करते हो और वह लोग (तुमसे) मसख़रापन करते हैं بَلْ عَجِبْتَ وَيَسْخَرُونَ
13 और जब उन्हें समझाया जाता है तो समझते नहीं हैं وَإِذَا ذُكِّرُوا لَا يَذْكُرُونَ
14 और जब किसी मौजिजे क़ो देखते हैं तो (उससे) मसख़रापन करते हैं وَإِذَا رَأَوْا آيَةً يَسْتَسْخِرُونَ
15 और कहते हैं कि ये तो बस खुला हुआ जादू है وَقَالُوا إِنْ هَذَا إِلَّا سِحْرٌ مُّبِينٌ
16 भला जब हम मर जाएँगे और ख़ाक और हड्डियाँ रह जाएँगे أَئِذَا مِتْنَا وَكُنَّا تُرَابًا وَعِظَامًا أَئِنَّا لَمَبْعُوثُونَ
17 तो क्या हम या हमारे अगले बाप दादा फिर दोबारा क़ब्रों से उठा खड़े किए जाँएगे أَوَآبَاؤُنَا الْأَوَّلُونَ
18 (ऐ रसूल) तुम कह दो कि हाँ (ज़रूर उठाए जाओगे) قُلْ نَعَمْ وَأَنتُمْ دَاخِرُونَ
19 और तुम ज़लील होगे और वह (क़यामत) तो एक ललकार होगी फिर तो वह लोग फ़ौरन ही (ऑंखे फाड़-फाड़ के) देखने लगेंगे فَإِنَّمَا هِيَ زَجْرَةٌ وَاحِدَةٌ فَإِذَا هُمْ يَنظُرُونَ
20 और कहेंगे हाए अफसोस ये तो क़यामत का दिन है وَقَالُوا يَا وَيْلَنَا هَذَا يَوْمُ الدِّينِ
21 (जवाब आएगा) ये वही फैसले का दिन है जिसको तुम लोग (दुनिया में) झूठ समझते थे هَذَا يَوْمُ الْفَصْلِ الَّذِي كُنتُمْ بِهِ تُكَذِّبُونَ
22 (और फ़रिश्तों को हुक्म होगा कि) जो लोग (दुनिया में) सरकशी करते थे उनको और उनके साथियों को और खुदा को छोड़कर जिनकी परसतिश करते हैं احْشُرُوا الَّذِينَ ظَلَمُوا وَأَزْوَاجَهُمْ وَمَا كَانُوا يَعْبُدُونَ
23 उनको (सबको) इकट्ठा करो फिर उन्हें जहन्नुम की राह दिखाओ مِن دُونِ اللَّهِ فَاهْدُوهُمْ إِلَى صِرَاطِ الْجَحِيمِ
24 और (हाँ ज़रा) उन्हें ठहराओ तो उनसे कुछ पूछना है وَقِفُوهُمْ إِنَّهُم مَّسْئُولُونَ
25 (अरे कमबख्तों) अब तुम्हें क्या होगा कि एक दूसरे की मदद नहीं करते مَا لَكُمْ لَا تَنَاصَرُونَ
26 (जवाब क्या देंगे) बल्कि वह तो आज गर्दन झुकाए हुए हैं بَلْ هُمُ الْيَوْمَ مُسْتَسْلِمُونَ
27 और एक दूसरे की तरफ मुतावज्जे होकर बाहम पूछताछ करेंगे وَأَقْبَلَ بَعْضُهُمْ عَلَى بَعْضٍ يَتَسَاءلُونَ
28 (और इन्सान शयातीन से) कहेंगे कि तुम ही तो हमारी दाहिनी तरफ से (हमें बहकाने को) चढ़ आते थे قَالُوا إِنَّكُمْ كُنتُمْ تَأْتُونَنَا عَنِ الْيَمِينِ
29 वह जवाब देगें (हम क्या जानें) तुम तो खुद ईमान लाने वाले न थे قَالُوا بَل لَّمْ تَكُونُوا مُؤْمِنِينَ
30 और (साफ़ तो ये है कि) हमारी तुम पर कुछ हुकूमत तो थी नहीं बल्कि तुम खुद सरकश लोग थे وَمَا كَانَ لَنَا عَلَيْكُم مِّن سُلْطَانٍ بَلْ كُنتُمْ قَوْمًا طَاغِينَ
31 फिर अब तो लोगों पर हमारे परवरदिगार का (अज़ाब का) क़ौल पूरा हो गया कि अब हम सब यक़ीनन अज़ाब का मज़ा चखेंगे فَحَقَّ عَلَيْنَا قَوْلُ رَبِّنَا إِنَّا لَذَائِقُونَ
32 हम खुद गुमराह थे तो तुम को भी गुमराह किया فَأَغْوَيْنَاكُمْ إِنَّا كُنَّا غَاوِينَ
33 ग़रज़ ये लोग सब के सब उस दिन अज़ाब में शरीक होगें فَإِنَّهُمْ يَوْمَئِذٍ فِي الْعَذَابِ مُشْتَرِكُونَ
34 और हम तो गुनाहगारों के साथ यूँ ही किया करते हैं ये लोग ऐसे (शरीर) थे إِنَّا كَذَلِكَ نَفْعَلُ بِالْمُجْرِمِينَ
35 कि जब उनसे कहा जाता था कि खुदा के सिवा कोई माबूद नहीं तो अकड़ा करते थे إِنَّهُمْ كَانُوا إِذَا قِيلَ لَهُمْ لَا إِلَهَ إِلَّا اللَّهُ يَسْتَكْبِرُونَ
36 और ये लोग कहते थे कि क्या एक पागल शायर के लिए हम अपने माबूदों को छोड़ बैठें (अरे कम्बख्तों ये शायर या पागल नहीं) وَيَقُولُونَ أَئِنَّا لَتَارِكُوا آلِهَتِنَا لِشَاعِرٍ مَّجْنُونٍ
37 बल्कि ये तो हक़ बात लेकर आया है और (अगले) पैग़म्बरों की तसदीक़ करता है بَلْ جَاء بِالْحَقِّ وَصَدَّقَ الْمُرْسَلِينَ
38 तुम लोग (अगर न मानोगे) तो ज़रूर दर्दनाक अज़ाब का मज़ा चखोगे إِنَّكُمْ لَذَائِقُو الْعَذَابِ الْأَلِيمِ
39 और तुम्हें तो उसके किये का बदला दिया जाएगा जो (जो दुनिया में) करते रहे وَمَا تُجْزَوْنَ إِلَّا مَا كُنتُمْ تَعْمَلُونَ
40 मगर खुदा के बरगुजीदा बन्दे إِلَّا عِبَادَ اللَّهِ الْمُخْلَصِينَ
41 उनके वास्ते (बेहिश्त में) एक मुक़र्रर रोज़ी होगी أُوْلَئِكَ لَهُمْ رِزْقٌ مَّعْلُومٌ
42 (और वह भी ऐसी वैसी नहीं) हर क़िस्म के मेवे فَوَاكِهُ وَهُم مُّكْرَمُونَ
43 और वह लोग बड़ी इज्ज़त से नेअमत के (लदे हुए) فِي جَنَّاتِ النَّعِيمِ
44 बाग़ों में तख्तों पर (चैन से) आमने सामने बैठे होगे عَلَى سُرُرٍ مُّتَقَابِلِينَ
45 उनमें साफ सफेद बुर्राक़ शराब के जाम का दौर चल रहा होगा يُطَافُ عَلَيْهِم بِكَأْسٍ مِن مَّعِينٍ
46 जो पीने वालों को बड़ा मज़ा देगी بَيْضَاء لَذَّةٍ لِّلشَّارِبِينَ
47 (और फिर) न उस शराब में ख़ुमार की वजह से) दर्द सर होगा और न वह उस (के पीने) से मतवाले होंगे لَا فِيهَا غَوْلٌ وَلَا هُمْ عَنْهَا يُنزَفُونَ
48 और उनके पहलू में (शर्म से) नीची निगाहें करने वाली बड़ी बड़ी ऑंखों वाली परियाँ होगी وَعِنْدَهُمْ قَاصِرَاتُ الطَّرْفِ عِينٌ
49 (उनकी) गोरी-गोरी रंगतों में हल्की सी सुर्ख़ी ऐसी झलकती होगी كَأَنَّهُنَّ بَيْضٌ مَّكْنُونٌ
50 गोया वह अन्डे हैं जो छिपाए हुए रखे हो فَأَقْبَلَ بَعْضُهُمْ عَلَى بَعْضٍ يَتَسَاءلُونَ
51 फिर एक दूसरे की तरफ मुतावज्जे पाकर बाहम बातचीत करते करते उनमें से एक कहने वाला बोल उठेगा कि (दुनिया में) मेरा एक दोस्त था قَالَ قَائِلٌ مِّنْهُمْ إِنِّي كَانَ لِي قَرِينٌ
52 और (मुझसे) कहा करता था कि क्या तुम भी क़यामत की तसदीक़ करने वालों में हो يَقُولُ أَئِنَّكَ لَمِنْ الْمُصَدِّقِينَ
53 (भला जब हम मर जाएँगे) और (सड़ गल कर) मिट्टी और हव्ी (होकर) रह जाएँगे तो क्या हमको दोबारा ज़िन्दा करके हमारे (आमाल का) बदला दिया जाएगा أَئِذَا مِتْنَا وَكُنَّا تُرَابًا وَعِظَامًا أَئِنَّا لَمَدِينُونَ
54 (फिर अपने बेहश्त के साथियों से कहेगा) قَالَ هَلْ أَنتُم مُّطَّلِعُونَ
55 तो क्या तुम लोग भी (मेरे साथ उसे झांक कर देखोगे) ग़रज़ झाँका तो उसे बीच जहन्नुम में (पड़ा हुआ) देखा فَاطَّلَعَ فَرَآهُ فِي سَوَاء الْجَحِيمِ
56 (ये देख कर बेसाख्ता) बोल उठेगा कि खुदा की क़सम तुम तो मुझे भी तबाह करने ही को थे قَالَ تَاللَّهِ إِنْ كِدتَّ لَتُرْدِينِ
57 और अगर मेरे परवरदिगार का एहसान न होता तो मैं भी (इस वक्त) तेरी तरह जहन्नुम में गिरफ्तार किया गया होता وَلَوْلَا نِعْمَةُ رَبِّي لَكُنتُ مِنَ الْمُحْضَرِينَ
58 (अब बताओ) क्या (मैं तुम से न कहता था) कि हम को इस पहली मौत के सिवा फिर मरना नहीं है أَفَمَا نَحْنُ بِمَيِّتِينَ
59 और न हम पर (आख़ेरत) में अज़ाब होगा إِلَّا مَوْتَتَنَا الْأُولَى وَمَا نَحْنُ بِمُعَذَّبِينَ
60 (तो तुम्हें यक़ीन न होता था) ये यक़ीनी बहुत बड़ी कामयाबी है إِنَّ هَذَا لَهُوَ الْفَوْزُ الْعَظِيمُ
61 ऐसी (ही कामयाबी) के वास्ते काम करने वालों को कारगुज़ारी करनी चाहिए لِمِثْلِ هَذَا فَلْيَعْمَلْ الْعَامِلُونَ
62 भला मेहमानी के वास्ते ये (सामान) बेहतर है या थोहड़ का दरख्त (जो जहन्नुमियों के वास्ते होगा) أَذَلِكَ خَيْرٌ نُّزُلًا أَمْ شَجَرَةُ الزَّقُّومِ
63 जिसे हमने यक़ीनन ज़ालिमों की आज़माइश के लिए बनाया है إِنَّا جَعَلْنَاهَا فِتْنَةً لِّلظَّالِمِينَ
64 ये वह दरख्त हैं जो जहन्नुम की तह में उगता है إِنَّهَا شَجَرَةٌ تَخْرُجُ فِي أَصْلِ الْجَحِيمِ
65 उसके फल ऐसे (बदनुमा) हैं गोया (हू बहू) साँप के फन जिसे छूते दिल डरे طَلْعُهَا كَأَنَّهُ رُؤُوسُ الشَّيَاطِينِ
66 फिर ये (जहन्नुमी लोग) यक़ीनन उसमें से खाएँगे फिर उसी से अपने पेट भरेंगे فَإِنَّهُمْ لَآكِلُونَ مِنْهَا فَمَالِؤُونَ مِنْهَا الْبُطُونَ
67 फिर उसके ऊपर से उन को खूब खौलता हुआ पानी (पीप वग़ैरह में) मिला मिलाकर पीने को दिया जाएगा ثُمَّ إِنَّ لَهُمْ عَلَيْهَا لَشَوْبًا مِّنْ حَمِيمٍ
68 फिर (खा पीकर) उनको जहन्नुम की तरफ यक़ीनन लौट जाना होगा ثُمَّ إِنَّ مَرْجِعَهُمْ لَإِلَى الْجَحِيمِ
69 उन लोगों ने अपन बाप दादा को गुमराह पाया था إِنَّهُمْ أَلْفَوْا آبَاءهُمْ ضَالِّينَ
70 ये लोग भी उनके पीछे दौड़े चले जा रहे हैं فَهُمْ عَلَى آثَارِهِمْ يُهْرَعُونَ
71 और उनके क़ब्ल अगलों में से बहुतेरे गुमराह हो चुके وَلَقَدْ ضَلَّ قَبْلَهُمْ أَكْثَرُ الْأَوَّلِينَ
72 उन लोगों के डराने वाले (पैग़म्बरों) को भेजा था وَلَقَدْ أَرْسَلْنَا فِيهِم مُّنذِرِينَ
73 ज़रा देखो तो कि जो लोग डराए जा चुके थे उनका क्या बुरा अन्जाम हुआ فَانظُرْ كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الْمُنذَرِينَ
74 मगर (हाँ) खुदा के निरे खरे बन्दे (महफूज़ रहे) إِلَّا عِبَادَ اللَّهِ الْمُخْلَصِينَ
75 और नूह ने (अपनी कौम से मायूस होकर) हमें ज़रूर पुकारा था (देखो हम) क्या खूब जवाब देने वाले थे وَلَقَدْ نَادَانَا نُوحٌ فَلَنِعْمَ الْمُجِيبُونَ
76 और हमने उनको और उनके लड़के वालों को बड़ी (सख्त) मुसीबत से नजात दी وَنَجَّيْنَاهُ وَأَهْلَهُ مِنَ الْكَرْبِ الْعَظِيمِ
77 और हमने (उनमें वह बरकत दी कि) उनकी औलाद को (दुनिया में) बरक़रार रखा وَجَعَلْنَا ذُرِّيَّتَهُ هُمْ الْبَاقِينَ
78 और बाद को आने वाले लोगों में उनका अच्छा चर्चा बाक़ी रखा وَتَرَكْنَا عَلَيْهِ فِي الْآخِرِينَ
79 कि सारी खुदायी में (हर तरफ से) नूह पर सलाम है سَلَامٌ عَلَى نُوحٍ فِي الْعَالَمِينَ
80 हम नेकी करने वालों को यूँ जज़ाए ख़ैर अता फरमाते हैं إِنَّا كَذَلِكَ نَجْزِي الْمُحْسِنِينَ
81 इसमें शक नहीं कि नूह हमारे (ख़ास) ईमानदार बन्दों से थे إِنَّهُ مِنْ عِبَادِنَا الْمُؤْمِنِينَ
82 फिर हमने बाक़ी लोगों को डुबो दिया ثُمَّ أَغْرَقْنَا الْآخَرِينَ
83 और यक़ीनन उन्हीं के तरीक़ो पर चलने वालों में इबराहीम (भी) ज़रूर थे وَإِنَّ مِن شِيعَتِهِ لَإِبْرَاهِيمَ
84 जब वह अपने परवरदिगार (कि इबादत) की तरफ (पहलू में) ऐसा दिल लिए हुए बढ़े जो (हर ऐब से पाक था إِذْ جَاء رَبَّهُ بِقَلْبٍ سَلِيمٍ
85 जब उन्होंने अपने (मुँह बोले) बाप और अपनी क़ौम से कहा कि तुम लोग किस चीज़ की परसतिश करते हो إِذْ قَالَ لِأَبِيهِ وَقَوْمِهِ مَاذَا تَعْبُدُونَ
86 क्या खुदा को छोड़कर दिल से गढ़े हुए माबूदों की तमन्ना रखते हो أَئِفْكًا آلِهَةً دُونَ اللَّهِ تُرِيدُونَ
87 फिर सारी खुदाई के पालने वाले के साथ तुम्हारा क्या ख्याल है فَمَا ظَنُّكُم بِرَبِّ الْعَالَمِينَ
88 फिर (एक ईद में उन लोगों ने चलने को कहा) तो इबराहीम ने सितारों की तरफ़ एक नज़र देखा فَنَظَرَ نَظْرَةً فِي النُّجُومِ
89 और कहा कि मैं (अनक़रीब) बीमार पड़ने वाला हूँ فَقَالَ إِنِّي سَقِيمٌ
90 तो वह लोग इबराहीम के पास से पीठ फेर फेर कर हट गए فَتَوَلَّوْا عَنْهُ مُدْبِرِينَ
91 (बस) फिर तो इबराहीम चुपके से उनके बुतों की तरफ मुतावज्जे हुए और (तान से) कहा तुम्हारे सामने इतने चढ़ाव रखते हैं فَرَاغَ إِلَى آلِهَتِهِمْ فَقَالَ أَلَا تَأْكُلُونَ
92 आख़िर तुम खाते क्यों नहीं (अरे तुम्हें क्या हो गया है) مَا لَكُمْ لَا تَنطِقُونَ
93 कि तुम बोलते तक नहीं فَرَاغَ عَلَيْهِمْ ضَرْبًا بِالْيَمِينِ
94 फिर तो इबराहीम दाहिने हाथ से मारते हुए उन पर पिल पड़े (और तोड़-फोड़ कर एक बड़े बुत के गले में कुल्हाड़ी डाल दी) فَأَقْبَلُوا إِلَيْهِ يَزِفُّونَ
95 जब उन लोगों को ख़बर हुई तो इबराहीम के पास दौड़ते हुए पहुँचे قَالَ أَتَعْبُدُونَ مَا تَنْحِتُونَ
96 इबराहीम ने कहा (अफ़सोस) तुम लोग उसकी परसतिश करते हो जिसे तुम लोग खुद तराश कर बनाते हो وَاللَّهُ خَلَقَكُمْ وَمَا تَعْمَلُونَ
97 हालाँकि तुमको और जिसको तुम लोग बनाते हो (सबको) खुदा ही ने पैदा किया है (ये सुनकर) वह लोग (आपस में कहने लगे) इसके लिए (भट्टी की सी) एक इमारत बनाओ قَالُوا ابْنُوا لَهُ بُنْيَانًا فَأَلْقُوهُ فِي الْجَحِيمِ
98 और (उसमें आग सुलगा कर उसी दहकती हुई आग में इसको डाल दो) फिर उन लोगों ने इबराहीम के साथ मक्कारी करनी चाही فَأَرَادُوا بِهِ كَيْدًا فَجَعَلْنَاهُمُ الْأَسْفَلِينَ
99 तो हमने (आग सर्द गुलज़ार करके) उन्हें नीचा दिखाया और जब (आज़र ने) इबराहीम को निकाल दिया तो बोले मैं अपने परवरदिगार की तरफ जाता हूँ وَقَالَ إِنِّي ذَاهِبٌ إِلَى رَبِّي سَيَهْدِينِ
100 वह अनक़रीब ही मुझे रूबरा कर देगा (फिर ग़रज की) परवरदिगार मुझे एक नेको कार (फरज़न्द) इनायत फरमा رَبِّ هَبْ لِي مِنَ الصَّالِحِينَ
101 तो हमने उनको एक बड़े नरम दिले लड़के (के पैदा होने की) खुशख़बरी दी فَبَشَّرْنَاهُ بِغُلَامٍ حَلِيمٍ
102 फिर जब इस्माईल अपने बाप के साथ दौड़ धूप करने लगा तो (एक दफा) इबराहीम ने कहा बेटा खूब मैं (वही के ज़रिये क्या) देखता हूँ कि मैं तो खुद तुम्हें ज़िबाह कर रहा हूँ तो तुम भी ग़ौर करो तुम्हारी इसमें क्या राय है इसमाईल ने कहा अब्बा जान जो आपको हुक्म हुआ है उसको (बे तअम्मुल) कीजिए अगर खुदा ने चाहा तो मुझे आप सब्र करने वालों में से पाएगे فَلَمَّا بَلَغَ مَعَهُ السَّعْيَ قَالَ يَا بُنَيَّ إِنِّي أَرَى فِي الْمَنَامِ أَنِّي أَذْبَحُكَ فَانظُرْ مَاذَا تَرَى قَالَ يَا أَبَتِ افْعَلْ مَا تُؤْمَرُ سَتَجِدُنِي إِن شَاء اللَّهُ مِنَ الصَّابِرِينَ
103 फिर जब दोनों ने ये ठान ली और बाप ने बेटे को (ज़िबाह करने के लिए) माथे के बल लिटाया فَلَمَّا أَسْلَمَا وَتَلَّهُ لِلْجَبِينِ
104 और हमने (आमादा देखकर) आवाज़ दी ऐ इबराहीम وَنَادَيْنَاهُ أَنْ يَا إِبْرَاهِيمُ
105 तुमने अपने ख्वाब को सच कर दिखाया अब तुम दोनों को बड़े मरतबे मिलेगें हम नेकी करने वालों को यूँ जज़ाए ख़ैर देते हैं قَدْ صَدَّقْتَ الرُّؤْيَا إِنَّا كَذَلِكَ نَجْزِي الْمُحْسِنِينَ
106 इसमें शक नहीं कि ये यक़ीनी बड़ा सख्त और सरीही इम्तिहान था إِنَّ هَذَا لَهُوَ الْبَلَاء الْمُبِينُ
107 और हमने इस्माईल का फ़िदया एक ज़िबाहे अज़ीम (बड़ी कुर्बानी) क़रार दिया وَفَدَيْنَاهُ بِذِبْحٍ عَظِيمٍ
108 और हमने उनका अच्छा चर्चा बाद को आने वालों में बाक़ी रखा है وَتَرَكْنَا عَلَيْهِ فِي الْآخِرِينَ
109 कि (सारी खुदायी में) इबराहीम पर सलाम (ही सलाम) हैं سَلَامٌ عَلَى إِبْرَاهِيمَ
110 हम यूँ नेकी करने वालों को जज़ाए ख़ैर देते हैं كَذَلِكَ نَجْزِي الْمُحْسِنِينَ
111 बेशक इबराहीम हमारे (ख़ास) ईमानदार बन्दों में थे إِنَّهُ مِنْ عِبَادِنَا الْمُؤْمِنِينَ
112 और हमने इबराहीम को इसहाक़ (के पैदा होने की) खुशख़बरी दी थी وَبَشَّرْنَاهُ بِإِسْحَاقَ نَبِيًّا مِّنَ الصَّالِحِينَ
113 जो एक नेकोसार नबी थे और हमने खुद इबराहीम पर और इसहाक़ पर अपनी बरकत नाज़िल की और इन दोनों की नस्ल में बाज़ तो नेकोकार और बाज़ (नाफरमानी करके) अपनी जान पर सरीही सितम ढ़ाने वाला وَبَارَكْنَا عَلَيْهِ وَعَلَى إِسْحَاقَ وَمِن ذُرِّيَّتِهِمَا مُحْسِنٌ وَظَالِمٌ لِّنَفْسِهِ مُبِينٌ
114 और हमने मूसा और हारून पर बहुत से एहसानात किए हैं وَلَقَدْ مَنَنَّا عَلَى مُوسَى وَهَارُونَ
115 और खुद दोनों को और इनकी क़ौम को बड़ी (सख्त) मुसीबत से नजात दी وَنَجَّيْنَاهُمَا وَقَوْمَهُمَا مِنَ الْكَرْبِ الْعَظِيمِ
116 और (फिरऔन के मुक़ाबले में) हमने उनकी मदद की तो (आख़िर) यही लोग ग़ालिब रहे وَنَصَرْنَاهُمْ فَكَانُوا هُمُ الْغَالِبِينَ
117 और हमने उन दोनों को एक वाज़ेए उलम तालिब किताब (तौरेत) अता की وَآتَيْنَاهُمَا الْكِتَابَ الْمُسْتَبِينَ
118 और दोनों को सीधी राह की हिदायत फ़रमाई وَهَدَيْنَاهُمَا الصِّرَاطَ الْمُسْتَقِيمَ
119 और बाद को आने वालों में उनका ज़िक्रे ख़ैर बाक़ी रखा وَتَرَكْنَا عَلَيْهِمَا فِي الْآخِرِينَ
120 कि (हर जगह) मूसा और हारून पर सलाम (ही सलाम) है سَلَامٌ عَلَى مُوسَى وَهَارُونَ
121 हम नेकी करने वालों को यूँ जज़ाए ख़ैर अता फरमाते हैं إِنَّا كَذَلِكَ نَجْزِي الْمُحْسِنِينَ
122 बेशक ये दोनों हमारे (ख़ालिस ईमानदार बन्दों में से थे) إِنَّهُمَا مِنْ عِبَادِنَا الْمُؤْمِنِينَ
123 और इसमें शक नहीं कि इलियास यक़ीनन पैग़म्बरों में से थे وَإِنَّ إِلْيَاسَ لَمِنْ الْمُرْسَلِينَ
124 जब उन्होंने अपनी क़ौम से कहा कि तुम लोग (ख़ुदा से) क्यों नहीं डरते إِذْ قَالَ لِقَوْمِهِ أَلَا تَتَّقُونَ
125 क्या तुम लोग बाल (बुत) की परसतिश करते हो और खुदा को छोड़े बैठे हो जो सबसे बेहतर पैदा करने वाला है أَتَدْعُونَ بَعْلًا وَتَذَرُونَ أَحْسَنَ الْخَالِقِينَ
126 और (जो) तुम्हारा परवरदिगार और तुम्हारे अगले बाप दादाओं का (भी) परवरदिगार है وَاللَّهَ رَبَّكُمْ وَرَبَّ آبَائِكُمُ الْأَوَّلِينَ
127 तो उसे लोगों ने झुठला दिया तो ये लोग यक़ीनन (जहन्नुम) में गिरफ्तार किए जाएँगे فَكَذَّبُوهُ فَإِنَّهُمْ لَمُحْضَرُونَ
128 मगर खुदा के निरे खरे बन्दे महफूज़ रहेंगे إِلَّا عِبَادَ اللَّهِ الْمُخْلَصِينَ
129 और हमने उनका ज़िक्र ख़ैर बाद को आने वालों में बाक़ी रखा وَتَرَكْنَا عَلَيْهِ فِي الْآخِرِينَ
130 कि (हर तरफ से) आले यासीन पर सलाम (ही सलाम) है سَلَامٌ عَلَى إِلْ يَاسِينَ
131 हम यक़ीनन नेकी करने वालों को ऐसा ही बदला दिया करते हैं إِنَّا كَذَلِكَ نَجْزِي الْمُحْسِنِينَ
132 बेशक वह हमारे (ख़ालिस) ईमानदार बन्दों में थे إِنَّهُ مِنْ عِبَادِنَا الْمُؤْمِنِينَ
133 और इसमें भी शक नहीं कि लूत यक़ीनी पैग़म्बरों में से थे وَإِنَّ لُوطًا لَّمِنَ الْمُرْسَلِينَ
134 जब हमने उनको और उनके लड़के वालों सब को नजात दी إِذْ نَجَّيْنَاهُ وَأَهْلَهُ أَجْمَعِينَ
135 मगर एक (उनकी) बूढ़ी बीबी जो पीछे रह जाने वालों ही में थीं إِلَّا عَجُوزًا فِي الْغَابِرِينَ
136 फिर हमने बाक़ी लोगों को तबाह व बर्बाद कर दिया ثُمَّ دَمَّرْنَا الْآخَرِينَ
137 और ऐ अहले मक्का तुम लोग भी उन पर से (कभी) सुबह को और (कभी) शाम को (आते जाते गुज़रते हो) وَإِنَّكُمْ لَتَمُرُّونَ عَلَيْهِم مُّصْبِحِينَ
138 तो क्या तुम (इतना भी) नहीं समझते وَبِاللَّيْلِ أَفَلَا تَعْقِلُونَ
139 और इसमें शक नहीं कि यूनुस (भी) पैग़म्बरों में से थे وَإِنَّ يُونُسَ لَمِنَ الْمُرْسَلِينَ
140 (वह वक्त याद करो) जब यूनुस भाग कर एक भरी हुई कश्ती के पास पहुँचे إِذْ أَبَقَ إِلَى الْفُلْكِ الْمَشْحُونِ
141 तो (अहले कश्ती ने) कुरआ डाला तो (उनका ही नाम निकला) यूनुस ने ज़क उठायी (और दरिया में गिर पड़े) فَسَاهَمَ فَكَانَ مِنْ الْمُدْحَضِينَ
142 तो उनको एक मछली निगल गयी और यूनुस खुद (अपनी) मलामत कर रहे थे فَالْتَقَمَهُ الْحُوتُ وَهُوَ مُلِيمٌ
143 फिर अगर यूनुस (खुदा की) तसबीह (व ज़िक्र) न करते فَلَوْلَا أَنَّهُ كَانَ مِنْ الْمُسَبِّحِينَ
144 तो रोज़े क़यामत तक मछली के पेट में रहते لَلَبِثَ فِي بَطْنِهِ إِلَى يَوْمِ يُبْعَثُونَ
145 फिर हमने उनको (मछली के पेट से निकाल कर) एक खुले मैदान में डाल दिया فَنَبَذْنَاهُ بِالْعَرَاء وَهُوَ سَقِيمٌ
146 और (वह थोड़ी देर में) बीमार निढाल हो गए थे और हमने उन पर साये के लिए एक कद्दू का दरख्त उगा दिया وَأَنبَتْنَا عَلَيْهِ شَجَرَةً مِّن يَقْطِينٍ
147 और (इसके बाद) हमने एक लाख बल्कि (एक हिसाब से) ज्यादा आदमियों की तरफ (पैग़म्बर बना कर भेजा) وَأَرْسَلْنَاهُ إِلَى مِئَةِ أَلْفٍ أَوْ يَزِيدُونَ
148 तो वह लोग (उन पर) ईमान लाए फिर हमने (भी) एक ख़ास वक्त तक उनको चैन से रखा فَآمَنُوا فَمَتَّعْنَاهُمْ إِلَى حِينٍ
149 तो (ऐ रसूल) उन कुफ्फ़ार से पूछो कि क्या तुम्हारे परवरदिगार के लिए बेटियाँ हैं और उनके लिए बेटे فَاسْتَفْتِهِمْ أَلِرَبِّكَ الْبَنَاتُ وَلَهُمُ الْبَنُونَ
150 (क्या वाक़ई) हमने फरिश्तों की औरतें बनाया है और ये लोग (उस वक्त) मौजूद थे أَمْ خَلَقْنَا الْمَلَائِكَةَ إِنَاثًا وَهُمْ شَاهِدُونَ
151 ख़बरदार (याद रखो कि) ये लोग यक़ीनन अपने दिल से गढ़-गढ़ के कहते हैं कि खुदा औलाद वाला है أَلَا إِنَّهُم مِّنْ إِفْكِهِمْ لَيَقُولُونَ
152 और ये लोग यक़ीनी झूठे हैं وَلَدَ اللَّهُ وَإِنَّهُمْ لَكَاذِبُونَ
153 क्या खुदा ने (अपने लिए) बेटियों को बेटों पर तरजीह दी है أَصْطَفَى الْبَنَاتِ عَلَى الْبَنِينَ
154 (अरे कम्बख्तों) तुम्हें क्या जुनून हो गया है तुम लोग (बैठे-बैठे) कैसा फैसला करते हो مَا لَكُمْ كَيْفَ تَحْكُمُونَ
155 तो क्या तुम (इतना भी) ग़ौर नहीं करते أَفَلَا تَذَكَّرُونَ
156 या तुम्हारे पास (इसकी) कोई वाज़ेए व रौशन दलील है أَمْ لَكُمْ سُلْطَانٌ مُّبِينٌ
157 तो अगर तुम (अपने दावे में) सच्चे हो तो अपनी किताब पेश करो فَأْتُوا بِكِتَابِكُمْ إِن كُنتُمْ صَادِقِينَ
158 और उन लोगों ने खुदा और जिन्नात के दरमियान रिश्ता नाता मुक़र्रर किया है हालाँकि जिन्नात बखूबी जानते हैं कि वह लोग यक़ीनी (क़यामत में बन्दों की तरह) हाज़िर किए जाएँगे وَجَعَلُوا بَيْنَهُ وَبَيْنَ الْجِنَّةِ نَسَبًا وَلَقَدْ عَلِمَتِ الْجِنَّةُ إِنَّهُمْ لَمُحْضَرُونَ
159 ये लोग जो बातें बनाया करते हैं इनसे खुदा पाक साफ़ है سُبْحَانَ اللَّهِ عَمَّا يَصِفُونَ
160 मगर खुदा के निरे खरे बन्दे (ऐसा नहीं कहते) إِلَّا عِبَادَ اللَّهِ الْمُخْلَصِينَ
161 ग़रज़ तुम लोग खुद और तुम्हारे माबूद فَإِنَّكُمْ وَمَا تَعْبُدُونَ
162 उसके ख़िलाफ (किसी को) बहका नहीं सकते مَا أَنتُمْ عَلَيْهِ بِفَاتِنِينَ
163 मगर उसको जो जहन्नुम में झोंका जाने वाला है إِلَّا مَنْ هُوَ صَالِ الْجَحِيمِ
164 और फरिश्ते या आइम्मा तो ये कहते हैं कि मैं हर एक का एक दरजा मुक़र्रर है وَمَا مِنَّا إِلَّا لَهُ مَقَامٌ مَّعْلُومٌ
165 और हम तो यक़ीनन (उसकी इबादत के लिए) सफ बाँधे खड़े रहते हैं وَإِنَّا لَنَحْنُ الصَّافُّونَ
166 और हम तो यक़ीनी (उसकी) तस्बीह पढ़ा करते हैं وَإِنَّا لَنَحْنُ الْمُسَبِّحُونَ
167 अगरचे ये कुफ्फार (इस्लाम के क़ब्ल) कहा करते थे وَإِنْ كَانُوا لَيَقُولُونَ
168 कि अगर हमारे पास भी अगले लोगों का तज़किरा (किसी किताबे खुदा में) होता لَوْ أَنَّ عِندَنَا ذِكْرًا مِّنْ الْأَوَّلِينَ
169 तो हम भी खुदा के निरे खरे बन्दे ज़रूर हो जाते لَكُنَّا عِبَادَ اللَّهِ الْمُخْلَصِينَ
170 (मगर जब किताब आयी) तो उन लोगों ने उससे इन्कार किया ख़ैर अनक़रीब (उसका नतीजा) उन्हें मालूम हो जाएगा فَكَفَرُوا بِهِ فَسَوْفَ يَعْلَمُونَ
171 और अपने ख़ास बन्दों पैग़म्बरों से हमारी बात पक्की हो चुकी है وَلَقَدْ سَبَقَتْ كَلِمَتُنَا لِعِبَادِنَا الْمُرْسَلِينَ
172 कि इन लोगों की (हमारी बारगाह से) यक़ीनी मदद की जाएगी إِنَّهُمْ لَهُمُ الْمَنصُورُونَ
173 और हमारा लश्कर तो यक़ीनन ग़ालिब रहेगा وَإِنَّ جُندَنَا لَهُمُ الْغَالِبُونَ
174 तो (ऐ रसूल) तुम उनसे एक ख़ास वक्त तक मुँह फेरे रहो فَتَوَلَّ عَنْهُمْ حَتَّى حِينٍ
175 और इनको देखते रहो तो ये लोग अनक़रीब ही (अपना नतीजा) देख लेगे وَأَبْصِرْهُمْ فَسَوْفَ يُبْصِرُونَ
176 तो क्या ये लोग हमारे अज़ाब की जल्दी कर रहे हैं أَفَبِعَذَابِنَا يَسْتَعْجِلُونَ
177 फिर जब (अज़ाब) उनकी अंगनाई में उतर पडेग़ा तो जो लोग डराए जा चुके हैं उनकी भी क्या बुरी सुबह होगी فَإِذَا نَزَلَ بِسَاحَتِهِمْ فَسَاء صَبَاحُ الْمُنذَرِينَ
178 और उन लोगों से एक ख़ास वक्त तक मुँह फेरे रहो وَتَوَلَّ عَنْهُمْ حَتَّى حِينٍ
179 और देखते रहो ये लोग तो खुद अनक़रीब ही अपना अन्जाम देख लेगें وَأَبْصِرْ فَسَوْفَ يُبْصِرُونَ
180 ये लोग जो बातें (खुदा के बारे में) बनाया करते हैं उनसे तुम्हारा परवरदिगार इज्ज़त का मालिक पाक साफ है سُبْحَانَ رَبِّكَ رَبِّ الْعِزَّةِ عَمَّا يَصِفُونَ
181 और पैग़म्बरों पर (दुरूद) सलाम हो وَسَلَامٌ عَلَى الْمُرْسَلِينَ
182 और कुल तारीफ खुदा ही के लिए सज़ावार हैं जो सारे जहाँन का पालने वाला है وَالْحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ
;