Ad-Dukhan

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Hindi: Muhammad Farooq Khan and Muhammad Ahmed

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# Translation Ayah
1 हा॰ मीम॰ حم
2 गवाह है स्पष्ट किताब وَالْكِتَابِ الْمُبِينِ
3 निस्संदेह हमने उसे एक बरकत भरी रात में अवतरित किया है। - निश्चय ही हम सावधान करनेवाले है।- إِنَّا أَنزَلْنَاهُ فِي لَيْلَةٍ مُّبَارَكَةٍ إِنَّا كُنَّا مُنذِرِينَ
4 उस (रात) में तमाम तत्वदर्शिता युक्त मामलों का फ़ैसला किया जाता है, فِيهَا يُفْرَقُ كُلُّ أَمْرٍ حَكِيمٍ
5 हमारे यहाँ से आदेश के रूप में। निस्संदेह रसूलों को भेजनेवाले हम ही है। - أَمْرًا مِّنْ عِندِنَا إِنَّا كُنَّا مُرْسِلِينَ
6 तुम्हारे रब की दयालुता के कारण। निस्संदेह वही सब कुछ सुननेवाला, जाननेवाला है رَحْمَةً مِّن رَّبِّكَ إِنَّهُ هُوَ السَّمِيعُ الْعَلِيمُ
7 आकाशों और धरती का रब और जो कुछ उन दोनों के बीच है उसका भी, यदि तुम विश्वास रखनेवाले हो (तो विश्वास करो कि किताब का अवतरण अल्लाह की दयालुता है) رَبِّ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا إِن كُنتُم مُّوقِنِينَ
8 उसके अतिरिक्त कोई पूज्य-प्रभु नहीं; वही जीवित करता और मारता है; तुम्हारा रब और तुम्हारे अगले बाप-दादों का रब है لَا إِلَهَ إِلَّا هُوَ يُحْيِي وَيُمِيتُ رَبُّكُمْ وَرَبُّ آبَائِكُمُ الْأَوَّلِينَ
9 बल्कि वे संदेह में पड़े रहे हैं بَلْ هُمْ فِي شَكٍّ يَلْعَبُونَ
10 अच्छा तो तुम उस दिन की प्रतीक्षा करो, जब आकाश प्रत्यक्ष धुँआ लाएगा। فَارْتَقِبْ يَوْمَ تَأْتِي السَّمَاء بِدُخَانٍ مُّبِينٍ
11 वह लोगों का ढाँक लेगा। यह है दुखद यातना! يَغْشَى النَّاسَ هَذَا عَذَابٌ أَلِيمٌ
12 वे कहेंगे, "ऐ हमारे रब! हमपर से यातना हटा दे। हम ईमान लाते है।" رَبَّنَا اكْشِفْ عَنَّا الْعَذَابَ إِنَّا مُؤْمِنُونَ
13 अब उनके होश में आने का मौक़ा कहाँ बाक़ी रहा। उनका हाल तो यह है कि उनके पास साफ़-साफ़ बतानेवाला एक रसूल आ चुका है। أَنَّى لَهُمُ الذِّكْرَى وَقَدْ جَاءهُمْ رَسُولٌ مُّبِينٌ
14 फिर उन्होंने उसकी ओर से मुँह मोड़ लिया और कहने लगे, "यह तो एक सिखाया-पढ़ाया दीवाना है।" ثُمَّ تَوَلَّوْا عَنْهُ وَقَالُوا مُعَلَّمٌ مَّجْنُونٌ
15 "हम यातना थोड़ा हटा देते है तो तुम पुनः फिर जाते हो। إِنَّا كَاشِفُو الْعَذَابِ قَلِيلًا إِنَّكُمْ عَائِدُونَ
16 याद रखो, जिस दिन हम बड़ी पकड़ पकड़ेंगे, तो निश्चय ही हम बदला लेकर रहेंगे يَوْمَ نَبْطِشُ الْبَطْشَةَ الْكُبْرَى إِنَّا مُنتَقِمُونَ
17 उनसे पहले हम फ़िरऔन की क़ौम के लोगों को परीक्षा में डाल चुके हैं, जबकि उनके पास एक अत्यन्त सज्जन रसूल आया وَلَقَدْ فَتَنَّا قَبْلَهُمْ قَوْمَ فِرْعَوْنَ وَجَاءهُمْ رَسُولٌ كَرِيمٌ
18 कि "तुम अल्लाह के बन्दों को मेरे हवाले कर दो। निश्चय ही मै तुम्हारे लिए एक विश्वसनीय रसूल हूँ أَنْ أَدُّوا إِلَيَّ عِبَادَ اللَّهِ إِنِّي لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ
19 और अल्लाह के मुक़ाबले में सरकशी न करो, मैं तुम्हारे लिए एक स्पष्ट प्रमाण लेकर आया हूँ وَأَنْ لَّا تَعْلُوا عَلَى اللَّهِ إِنِّي آتِيكُم بِسُلْطَانٍ مُّبِينٍ
20 और मैं इससे अपने रब और तुम्हारे रब की शरण ले चुका हूँ कि तुम मुझ पर पथराव करके मार डालो وَإِنِّي عُذْتُ بِرَبِّي وَرَبِّكُمْ أَن تَرْجُمُونِ
21 किन्तु यदि तुम मेरी बात नहीं मानते तो मुझसे अलग हो जाओ!" وَإِنْ لَّمْ تُؤْمِنُوا لِي فَاعْتَزِلُونِ
22 अन्ततः उसने अपने रब को पुकारा कि "ये अपराधी लोग है।" فَدَعَا رَبَّهُ أَنَّ هَؤُلَاء قَوْمٌ مُّجْرِمُونَ
23 "अच्छा तुम रातों रात मेरे बन्दों को लेकर चले जाओ। निश्चय ही तुम्हारा पीछा किया जाएगा فَأَسْرِ بِعِبَادِي لَيْلًا إِنَّكُم مُّتَّبَعُونَ
24 और सागर को स्थिर छोड़ दो। वे तो एक सेना दल हैं, डूब जानेवाले।" وَاتْرُكْ الْبَحْرَ رَهْوًا إِنَّهُمْ جُندٌ مُّغْرَقُونَ
25 वे छोड़ गये कितनॆ ही बाग़ और स्रोत كَمْ تَرَكُوا مِن جَنَّاتٍ وَعُيُونٍ
26 और ख़ेतियां और उत्तम आवास- وَزُرُوعٍ وَمَقَامٍ كَرِيمٍ
27 और सुख सामग्री जिनमें वे मज़े कर रहे थे। وَنَعْمَةٍ كَانُوا فِيهَا فَاكِهِينَ
28 हम ऐसा ही मामला करते है, और उन चीज़ों का वारिस हमने दूसरे लोगों को बनाया كَذَلِكَ وَأَوْرَثْنَاهَا قَوْمًا آخَرِينَ
29 फिर न तो आकाश और धरती ने उनपर विलाप किया और न उन्हें मुहलत ही मिली فَمَا بَكَتْ عَلَيْهِمُ السَّمَاء وَالْأَرْضُ وَمَا كَانُوا مُنظَرِينَ
30 इस प्रकार हमने इसराईल की सन्तान को अपमानजनक यातना से وَلَقَدْ نَجَّيْنَا بَنِي إِسْرَائِيلَ مِنَ الْعَذَابِ الْمُهِينِ
31 अर्थात फ़िरऔन से छुटकारा दिया। निश्चय ही वह मर्यादाहीन लोगों में से बड़ा ही सरकश था مِن فِرْعَوْنَ إِنَّهُ كَانَ عَالِيًا مِّنَ الْمُسْرِفِينَ
32 और हमने (उनकी स्थिति को) जानते हुए उन्हें सारे संसारवालों के मुक़ाबले मं चुन लिया وَلَقَدِ اخْتَرْنَاهُمْ عَلَى عِلْمٍ عَلَى الْعَالَمِينَ
33 और हमने उन्हें निशानियों के द्वारा वह चीज़ दी जिसमें स्पष्ट परीक्षा थी وَآتَيْنَاهُم مِّنَ الْآيَاتِ مَا فِيهِ بَلَاء مُّبِينٌ
34 ये लोग बड़ी दृढ़तापूर्वक कहते है, إِنَّ هَؤُلَاء لَيَقُولُونَ
35 "बस यह हमारी पहली मृत्यु ही है, हम दोबारा उठाए जानेवाले नहीं हैं إِنْ هِيَ إِلَّا مَوْتَتُنَا الْأُولَى وَمَا نَحْنُ بِمُنشَرِينَ
36 तो ले आओ हमारे बाप-दादा को, यदि तुम सच्चे हो!" فَأْتُوا بِآبَائِنَا إِن كُنتُمْ صَادِقِينَ
37 क्या वे अच्छे है या तुब्बा की क़ौम या वे लोग जो उनसे पहले गुज़र चुके है? हमने उन्हें विनष्ट कर दिया, निश्चय ही वे अपराधी थे أَهُمْ خَيْرٌ أَمْ قَوْمُ تُبَّعٍ وَالَّذِينَ مِن قَبْلِهِمْ أَهْلَكْنَاهُمْ إِنَّهُمْ كَانُوا مُجْرِمِينَ
38 हमने आकाशों और धरती को और जो कुछ उनके बीच है उन्हें खेल नहीं बनाया وَمَا خَلَقْنَا السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ وَمَا بَيْنَهُمَا لَاعِبِينَ
39 हमने उन्हें हक़ के साथ पैदा किया, किन्तु उनमें से अधिककर लोग जानते नहीं مَا خَلَقْنَاهُمَا إِلَّا بِالْحَقِّ وَلَكِنَّ أَكْثَرَهُمْ لَا يَعْلَمُونَ
40 निश्चय ही फ़ैसले का दिन उन सबका नियत समय है, إِنَّ يَوْمَ الْفَصْلِ مِيقَاتُهُمْ أَجْمَعِينَ
41 जिस दिन कोई अपना किसी अपने के कुछ काम न आएगा और न कोई सहायता पहुँचेगी, يَوْمَ لَا يُغْنِي مَوْلًى عَن مَّوْلًى شَيْئًا وَلَا هُمْ يُنصَرُونَ
42 सिवाय उस व्यक्ति के जिसपर अल्लाह दया करे। निश्चय ही वह प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है إِلَّا مَن رَّحِمَ اللَّهُ إِنَّهُ هُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ
43 निस्संदेह ज़क़्क़ूम का वृक्ष إِنَّ شَجَرَةَ الزَّقُّومِ
44 गुनहगार का भोजन होगा, طَعَامُ الْأَثِيمِ
45 तेल की तलछट जैसा, वह पेटों में खौलता होगा, كَالْمُهْلِ يَغْلِي فِي الْبُطُونِ
46 जैसे गर्म पानी खौलता है كَغَلْيِ الْحَمِيمِ
47 "पकड़ो उसे, और भड़कती हुई आग के बीच तक घसीट ले जाओ, خُذُوهُ فَاعْتِلُوهُ إِلَى سَوَاء الْجَحِيمِ
48 फिर उसके सिर पर खौलते हुए पानी का यातना उंडेल दो!" ثُمَّ صُبُّوا فَوْقَ رَأْسِهِ مِنْ عَذَابِ الْحَمِيمِ
49 "मज़ा चख, तू तो बड़ा बलशाली, सज्जन और आदरणीय है! ذُقْ إِنَّكَ أَنتَ الْعَزِيزُ الْكَرِيمُ
50 यही तो है जिसके विषय में तुम संदेह करते थे।" إِنَّ هَذَا مَا كُنتُم بِهِ تَمْتَرُونَ
51 निस्संदेह डर रखनेवाले निश्चिन्तता की जगह होंगे, إِنَّ الْمُتَّقِينَ فِي مَقَامٍ أَمِينٍ
52 बाग़ों और स्रोतों में فِي جَنَّاتٍ وَعُيُونٍ
53 बारीक और गाढ़े रेशम के वस्त्र पहने हुए, एक-दूसरे के आमने-सामने उपस्थित होंगे يَلْبَسُونَ مِن سُندُسٍ وَإِسْتَبْرَقٍ مُّتَقَابِلِينَ
54 ऐसा ही उनके साथ मामला होगा। और हम साफ़ गोरी, बड़ी नेत्रोवाली स्त्रियों से उनका विवाह कर देंगे كَذَلِكَ وَزَوَّجْنَاهُم بِحُورٍ عِينٍ
55 वे वहाँ निश्चिन्तता के साथ हर प्रकार के स्वादिष्ट फल मँगवाते होंगे يَدْعُونَ فِيهَا بِكُلِّ فَاكِهَةٍ آمِنِينَ
56 वहाँ वे मृत्यु का मज़ा कभी न चखेगे। बस पहली मृत्यु जो हुई, सो हुई। और उसने उन्हें भड़कती हुई आग की यातना से बचा लिया لَا يَذُوقُونَ فِيهَا الْمَوْتَ إِلَّا الْمَوْتَةَ الْأُولَى وَوَقَاهُمْ عَذَابَ الْجَحِيمِ
57 यह सब तुम्हारे रब के विशेष उदार अनुग्रह के कारण होगा, वही बड़ी सफलता है فَضْلًا مِّن رَّبِّكَ ذَلِكَ هُوَ الْفَوْزُ الْعَظِيمُ
58 हमने तो इस (क़ुरआन) को बस तुम्हारी भाषा में सहज एवं सुगम बना दिया है ताकि वे याददिहानी प्राप्त (करें فَإِنَّمَا يَسَّرْنَاهُ بِلِسَانِكَ لَعَلَّهُمْ يَتَذَكَّرُونَ
59 अच्छा तुम भी प्रतीक्षा करो, वे भी प्रतीक्षा में हैं فَارْتَقِبْ إِنَّهُم مُّرْتَقِبُونَ
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