1 |
हा॰ मीम॰ |
/content/ayah/audio/hudhaify/045001.mp3
|
حم |
2 |
इस किताब का अवतरण अल्लाह की ओर से है, जो अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है। - |
/content/ayah/audio/hudhaify/045002.mp3
|
تَنزِيلُ الْكِتَابِ مِنَ اللَّهِ الْعَزِيزِ الْحَكِيمِ |
3 |
निस्संदेह आकाशों और धरती में ईमानवालों के लिए बहुत-सी निशानियाँ है |
/content/ayah/audio/hudhaify/045003.mp3
|
إِنَّ فِي السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ لَآيَاتٍ لِّلْمُؤْمِنِينَ |
4 |
और तुम्हारी संरचना में, और उनकी भी जो जानवर वह फैलाता रहता है, निशानियाँ है उन लोगों के लिए जो विश्वास करें |
/content/ayah/audio/hudhaify/045004.mp3
|
وَفِي خَلْقِكُمْ وَمَا يَبُثُّ مِن دَابَّةٍ آيَاتٌ لِّقَوْمٍ يُوقِنُونَ |
5 |
और रात और दिन के उलट-फेर में भी, और उस रोज़ी (पानी) में भी जिसे अल्लाह ने आकाश से उतारा, फिर उसके द्वारा धरती को उसके उन मुर्दा हो जाने के पश्चात जीवित किया और हवाओं की गर्दिश में भीलोगों के लिए बहुत-सी निशानियाँ है जो बुद्धि से काम लें |
/content/ayah/audio/hudhaify/045005.mp3
|
وَاخْتِلَافِ اللَّيْلِ وَالنَّهَارِ وَمَا أَنزَلَ اللَّهُ مِنَ السَّمَاء مِن رِّزْقٍ فَأَحْيَا بِهِ الْأَرْضَ بَعْدَ مَوْتِهَا وَتَصْرِيفِ الرِّيَاحِ آيَاتٌ لِّقَوْمٍ يَعْقِلُونَ |
6 |
ये अल्लाह की आयतें हैं, हम उन्हें हक़ के साथ तुमको सुना रहे हैं। अब आख़िर अल्लाह और उसकी आयतों के पश्चात और कौन-सी बात है जिसपर वे ईमान लाएँगे? |
/content/ayah/audio/hudhaify/045006.mp3
|
تِلْكَ آيَاتُ اللَّهِ نَتْلُوهَا عَلَيْكَ بِالْحَقِّ فَبِأَيِّ حَدِيثٍ بَعْدَ اللَّهِ وَآيَاتِهِ يُؤْمِنُونَ |
7 |
तबाही है हर झूठ घड़नेवाले गुनहगार के लिए, |
/content/ayah/audio/hudhaify/045007.mp3
|
وَيْلٌ لِّكُلِّ أَفَّاكٍ أَثِيمٍ |
8 |
जो अल्लाह की उन आयतों को सुनता है जो उसे पढ़कर सुनाई जाती है। फिर घमंड के साथ अपनी (इनकार की) नीति पर अड़ा रहता है मानो उसने उनको सुना ही नहीं। अतः उसको दुखद यातना की शुभ सूचना दे दो |
/content/ayah/audio/hudhaify/045008.mp3
|
يَسْمَعُ آيَاتِ اللَّهِ تُتْلَى عَلَيْهِ ثُمَّ يُصِرُّ مُسْتَكْبِرًا كَأَن لَّمْ يَسْمَعْهَا فَبَشِّرْهُ بِعَذَابٍ أَلِيمٍ |
9 |
जब हमारी आयतों में से कोई बात वह जान लेता है तो वह उनका परिहास करता है, ऐसे लोगों के लिए रुसवा कर देनेवाली यातना है |
/content/ayah/audio/hudhaify/045009.mp3
|
وَإِذَا عَلِمَ مِنْ آيَاتِنَا شَيْئًا اتَّخَذَهَا هُزُوًا أُوْلَئِكَ لَهُمْ عَذَابٌ مُّهِينٌ |
10 |
उनके आगे जहन्नम है, जो उन्होंने कमाया वह उनके कुछ काम न आएगा और न यही कि उन्होंने अल्लाह को छोड़कर अपने संरक्षक ठहरा रखे है। उनके लिए तो बड़ी यातना है |
/content/ayah/audio/hudhaify/045010.mp3
|
مِن وَرَائِهِمْ جَهَنَّمُ وَلَا يُغْنِي عَنْهُم مَّا كَسَبُوا شَيْئًا وَلَا مَا اتَّخَذُوا مِن دُونِ اللَّهِ أَوْلِيَاء وَلَهُمْ عَذَابٌ عَظِيمٌ |
11 |
यह सर्वथा मार्गदर्शन है। और जिन लोगों ने अपने रब की आयतों को इनकार किया, उनके लिए हिला देनेवाली दुखद यातना है |
/content/ayah/audio/hudhaify/045011.mp3
|
هَذَا هُدًى وَالَّذِينَ كَفَرُوا بِآيَاتِ رَبِّهِمْ لَهُمْ عَذَابٌ مَّن رِّجْزٍ أَلِيمٌ |
12 |
वह अल्लाह ही है जिसने समुद्र को तुम्हारे लिए वशीभूत कर दिया है, ताकि उसके आदेश से नौकाएँ उसमें चलें; और ताकि तुम उसका उदार अनुग्रह तलाश करो; और इसलिए कि तुम कृतज्ञता दिखाओ |
/content/ayah/audio/hudhaify/045012.mp3
|
اللَّهُ الَّذِي سخَّرَ لَكُمُ الْبَحْرَ لِتَجْرِيَ الْفُلْكُ فِيهِ بِأَمْرِهِ وَلِتَبْتَغُوا مِن فَضْلِهِ وَلَعَلَّكُمْ تَشْكُرُونَ |
13 |
जो चीज़ें आकाशों में है और जो धरती में हैं, उसने उन सबको अपनी ओर से तुम्हारे काम में लगा रखा है। निश्चय ही इसमें उन लोगों के लिए निशानियाँ है जो सोच-विचार से काम लेते है |
/content/ayah/audio/hudhaify/045013.mp3
|
وَسَخَّرَ لَكُم مَّا فِي السَّمَاوَاتِ وَمَا فِي الْأَرْضِ جَمِيعًا مِّنْهُ إِنَّ فِي ذَلِكَ لَآيَاتٍ لَّقَوْمٍ يَتَفَكَّرُونَ |
14 |
जो लोग ईमान लाए उनसे कह दो कि, "वे उन लोगों को क्षमा करें (उनकी करतूतों पर ध्यान न दे) अल्लाह के दिनों की आशा नहीं रखते, ताकि वह इसके परिणामस्वरूप उन लोगों को उनकी अपनी कमाई का बदला दे |
/content/ayah/audio/hudhaify/045014.mp3
|
قُل لِّلَّذِينَ آمَنُوا يَغْفِرُوا لِلَّذِينَ لا يَرْجُون أَيَّامَ اللَّهِ لِيَجْزِيَ قَوْمًا بِما كَانُوا يَكْسِبُونَ |
15 |
जो कुछ अच्छा कर्म करता है तो अपने ही लिए करेगा और जो कोई बुरा कर्म करता है तो उसका वबाल उसी पर होगा। फिर तुम अपने रब की ओर लौटाये जाओगे |
/content/ayah/audio/hudhaify/045015.mp3
|
مَنْ عَمِلَ صَالِحًا فَلِنَفْسِهِ وَمَنْ أَسَاء فَعَلَيْهَا ثُمَّ إِلَى رَبِّكُمْ تُرْجَعُونَ |
16 |
निश्चय ही हमने इसराईल की सन्तान को किताब और हुक्म और पैग़म्बरी प्रदान की थी। और हमने उन्हें पवित्र चीज़ो की रोज़ी दी और उन्हें सारे संसारवालों पर श्रेष्ठता प्रदान की |
/content/ayah/audio/hudhaify/045016.mp3
|
وَلَقَدْ آتَيْنَا بَنِي إِسْرَائِيلَ الْكِتَابَ وَالْحُكْمَ وَالنُّبُوَّةَ وَرَزَقْنَاهُم مِّنَ الطَّيِّبَاتِ وَفَضَّلْنَاهُمْ عَلَى الْعَالَمِينَ |
17 |
और हमने उन्हें इस मामले के विषय में स्पष्ट निशानियाँ प्रदान कीं। फिर जो भी विभेद उन्होंने किया, वह इसके पश्चात ही किया कि उनके पास ज्ञान आ चुका था और इस कारण कि वे परस्पर एक-दूसरे पर ज़्यादती करना चाहते थे। निश्चय ही तुम्हारा रब क़ियामत के दिन उनके बीच उन चीज़ों के बारे में फ़ैसला कर देगा, जिनमें वे परस्पर विभेद करते रहे है |
/content/ayah/audio/hudhaify/045017.mp3
|
وَآتَيْنَاهُم بَيِّنَاتٍ مِّنَ الْأَمْرِ فَمَا اخْتَلَفُوا إِلَّا مِن بَعْدِ مَا جَاءهُمْ الْعِلْمُ بَغْيًا بَيْنَهُمْ إِنَّ رَبَّكَ يَقْضِي بَيْنَهُمْ يَوْمَ الْقِيَامَةِ فِيمَا كَانُوا فِيهِ يَخْتَلِفُونَ |
18 |
फिर हमने तुम्हें इस मामलें में एक खुले मार्ग (शरीअत) पर कर दिया। अतः तुम उसी पर चलो और उन लोगों की इच्छाओं का अनुपालन न करना जो जानते नहीं |
/content/ayah/audio/hudhaify/045018.mp3
|
ثُمَّ جَعَلْنَاكَ عَلَى شَرِيعَةٍ مِّنَ الْأَمْرِ فَاتَّبِعْهَا وَلَا تَتَّبِعْ أَهْوَاء الَّذِينَ لَا يَعْلَمُونَ |
19 |
वे अल्लाह के मुक़ाबले में तुम्हारे कदापि कुछ काम नहीं आ सकते। निश्चय ही ज़ालिम लोग एक-दूसरे के साथी है और डर रखनेवालों का साथी अल्लाह है |
/content/ayah/audio/hudhaify/045019.mp3
|
إِنَّهُمْ لَن يُغْنُوا عَنكَ مِنَ اللَّهِ شَيئًا وإِنَّ الظَّالِمِينَ بَعْضُهُمْ أَوْلِيَاء بَعْضٍ وَاللَّهُ وَلِيُّ الْمُتَّقِينَ |
20 |
वह लोगों के लिए सूझ के प्रकाशों का पुंज है, और मार्गदर्शन और दयालुता है उन लोगों के लिए जो विश्वास करें |
/content/ayah/audio/hudhaify/045020.mp3
|
هَذَا بَصَائِرُ لِلنَّاسِ وَهُدًى وَرَحْمَةٌ لِّقَوْمِ يُوقِنُونَ |
21 |
(क्या मार्गदर्शन और पथभ्रष्ट ता समान है) या वे लोग, जिन्होंने बुराइयाँ कमाई है, यह समझ बैठे हैं कि हम उन्हें उन लोगों जैसा कर देंगे जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए कि उनका जीना और मरना समान हो जाए? बहुत ही बुरा है जो निर्णय वे करते है! |
/content/ayah/audio/hudhaify/045021.mp3
|
أًمْ حَسِبَ الَّذِينَ اجْتَرَحُوا السَّيِّئَاتِ أّن نَّجْعَلَهُمْ كَالَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ سَوَاء مَّحْيَاهُم وَمَمَاتُهُمْ سَاء مَا يَحْكُمُونَ |
22 |
अल्लाह ने आकाशों और धरती को हक़ के साथ पैदा किया और इसलिए कि प्रत्येक व्यक्ति को उसकी कमाई का बदला दिया जाए और उनपर ज़ुल्म न किया जाए |
/content/ayah/audio/hudhaify/045022.mp3
|
وَخَلَقَ اللَّهُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ بِالْحَقِّ وَلِتُجْزَى كُلُّ نَفْسٍ بِمَا كَسَبَتْ وَهُمْ لَا يُظْلَمُونَ |
23 |
क्या तुमने उस व्यक्ति को नहीं देखा जिसने अपनी इच्छा ही को अपना उपास्य बना लिया? अल्लाह ने (उसकी स्थिति) जानते हुए उसे गुमराही में डाल दिया, और उसके कान और उसके दिल पर ठप्पा लगा दिया और उसकी आँखों पर परदा डाल दिया। फिर अब अल्लाह के पश्चात कौन उसे मार्ग पर ला सकता है? तो क्या तुम शिक्षा नहीं ग्रहण करते? |
/content/ayah/audio/hudhaify/045023.mp3
|
أَفَرَأَيْتَ مَنِ اتَّخَذَ إِلَهَهُ هَوَاهُ وَأَضَلَّهُ اللَّهُ عَلَى عِلْمٍ وَخَتَمَ عَلَى سَمْعِهِ وَقَلْبِهِ وَجَعَلَ عَلَى بَصَرِهِ غِشَاوَةً فَمَن يَهْدِيهِ مِن بَعْدِ اللَّهِ أَفَلَا تَذَكَّرُونَ |
24 |
वे कहते है, "वह तो बस हमारा सांसारिक जीवन ही है। हम मरते और जीते है। हमें तो बस काल (समय) ही विनष्ट करता है।" हालाँकि उनके पास इसका कोई ज्ञान नहीं। वे तो बस अटकलें ही दौड़ाते है |
/content/ayah/audio/hudhaify/045024.mp3
|
وَقَالُوا مَا هِيَ إِلَّا حَيَاتُنَا الدُّنْيَا نَمُوتُ وَنَحْيَا وَمَا يُهْلِكُنَا إِلَّا الدَّهْرُ وَمَا لَهُم بِذَلِكَ مِنْ عِلْمٍ إِنْ هُمْ إِلَّا يَظُنُّونَ |
25 |
और जब उनके सामने हमारी स्पष्ट आयतें पढ़ी जाती है, तो उनकी हुज्जत इसके सिवा कुछ और नहीं होती कि वे कहते है, "यदि तुम सच्चे हो तो हमारे बाप-दादा को ले आओ।" |
/content/ayah/audio/hudhaify/045025.mp3
|
وَإِذَا تُتْلَى عَلَيْهِمْ آيَاتُنَا بَيِّنَاتٍ مَّا كَانَ حُجَّتَهُمْ إِلَّا أَن قَالُوا ائْتُوا بِآبَائِنَا إِن كُنتُمْ صَادِقِينَ |
26 |
कह दो, "अल्लाह ही तुम्हें जीवन प्रदान करता है। फिर वहीं तुम्हें मृत्यु देता है। फिर वही तुम्हें क़ियामत के दिन तक इकट्ठा कर रहा है, जिसमें कोई संदेह नहीं। किन्तु अधिकतर लोग जानते नहीं |
/content/ayah/audio/hudhaify/045026.mp3
|
قُلِ اللَّهُ يُحْيِيكُمْ ثُمَّ يُمِيتُكُمْ ثُمَّ يَجْمَعُكُمْ إِلَى يَوْمِ الْقِيَامَةِ لَا رَيبَ فِيهِ وَلَكِنَّ أَكَثَرَ النَّاسِ لَا يَعْلَمُونَ |
27 |
आकाशों और धरती की बादशाही अल्लाह ही की है। और जिस दिन वह घड़ी घटित होगी उस दिन झूठवाले घाटे में होंगे |
/content/ayah/audio/hudhaify/045027.mp3
|
وَلَلَّهِ مُلْكُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرضِ وَيَومَ تَقُومُ السَّاعَةُ يَوْمَئِذٍ يَخْسَرُ الْمُبْطِلُونَ |
28 |
और तुम प्रत्येक गिरोह को घुटनों के बल झुका हुआ देखोगे। प्रत्येक गिरोह अपनी किताब की ओर बुलाया जाएगा, "आज तुम्हें उसी का बदला दिया जाएगा, जो तुम करते थे |
/content/ayah/audio/hudhaify/045028.mp3
|
وَتَرَى كُلَّ أُمَّةٍ جَاثِيَةً كُلُّ أُمَّةٍ تُدْعَى إِلَى كِتَابِهَا الْيَوْمَ تُجْزَوْنَ مَا كُنتُمْ تَعْمَلُونَ |
29 |
"यह हमारी किताब है, जो तुम्हारे मुक़ाबले में ठीक-ठीक बोल रही है। निश्चय ही हम लिखवाते रहे हैं जो कुछ तुम करते थे।" |
/content/ayah/audio/hudhaify/045029.mp3
|
هَذَا كِتَابُنَا يَنطِقُ عَلَيْكُم بِالْحَقِّ إِنَّا كُنَّا نَسْتَنسِخُ مَا كُنتُمْ تَعْمَلُونَ |
30 |
अतः जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए उन्हें उनका रब अपनी दयालुता में दाख़िल करेगा, यही स्पष्ट सफलता है |
/content/ayah/audio/hudhaify/045030.mp3
|
فَأَمَّا الَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ فَيُدْخِلُهُمْ رَبُّهُمْ فِي رَحْمَتِهِ ذَلِكَ هُوَ الْفَوْزُ الْمُبِينُ |
31 |
रहे वे लोग जिन्होंने इनकार किया (उनसे कहा जाएगा,) "क्या तुम्हें हमारी आयतें पढ़कर नहीं सुनाई जाती थी? किन्तु तुमने घमंड किया और तुम थे ही अपराधी लोग |
/content/ayah/audio/hudhaify/045031.mp3
|
وَأَمَّا الَّذِينَ كَفَرُوا أَفَلَمْ تَكُنْ آيَاتِي تُتْلَى عَلَيْكُمْ فَاسْتَكْبَرْتُمْ وَكُنتُمْ قَوْمًا مُّجْرِمِينَ |
32 |
और जब कहा जाता था कि अल्लाह का वादा सच्चा है और (क़ियामत की) घड़ी में कोई संदेह नहीं हैं। तो तुम कहते थे, "हम नहीं जानते कि वह घड़ी क्या हैं? तो तुम कहते थे, 'हम नहीं जानते कि वह घड़ी क्या है? हमें तो बस एक अनुमान-सा प्रतीत होता है और हमें विश्वास नहीं होता।'" |
/content/ayah/audio/hudhaify/045032.mp3
|
وَإِذَا قِيلَ إِنَّ وَعْدَ اللَّهِ حَقٌّ وَالسَّاعَةُ لَا رَيْبَ فِيهَا قُلْتُم مَّا نَدْرِي مَا السَّاعَةُ إِن نَّظُنُّ إِلَّا ظَنًّا وَمَا نَحْنُ بِمُسْتَيْقِنِينَ |
33 |
और जो कुछ वे करते रहे उसकी बुराइयाँ उनपर प्रकट हो गई और जिस चीज़ का वे परिहास करते थे उसी ने उन्हें आ घेरा |
/content/ayah/audio/hudhaify/045033.mp3
|
وَبَدَا لَهُمْ سَيِّئَاتُ مَا عَمِلُوا وَحَاقَ بِهِم مَّا كَانُوا بِهِ يَسْتَهْزِئُون |
34 |
और कह दिया जाएगा कि "आज हम तुम्हें भुला देते हैं जैसे तुमने इस दिन की भेंट को भुला रखा था। तुम्हारा ठिकाना अब आग है और तुम्हारा कोई सहायक नहीं |
/content/ayah/audio/hudhaify/045034.mp3
|
وَقِيلَ الْيَوْمَ نَنسَاكُمْ كَمَا نَسِيتُمْ لِقَاء يَوْمِكُمْ هَذَا وَمَأْوَاكُمْ النَّارُ وَمَا لَكُم مِّن نَّاصِرِينَ |
35 |
यह इस कारण कि तुमने अल्लाह की आयतों की हँसी उड़ाई थी और सांसारिक जीवन ने तुम्हें धोखे में डाले रखा।" अतः आज वे न तो उससे निकाले जाएँगे और न उनसे यह चाहा जाएगा कि वे किसी उपाय से (अल्लाह के) प्रकोप को दूर कर सकें |
/content/ayah/audio/hudhaify/045035.mp3
|
ذَلِكُم بِأَنَّكُمُ اتَّخَذْتُمْ آيَاتِ اللَّهِ هُزُوًا وَغَرَّتْكُمُ الْحَيَاةُ الدُّنْيَا فَالْيَوْمَ لَا يُخْرَجُونَ مِنْهَا وَلَا هُمْ يُسْتَعْتَبُونَ |
36 |
अतः सारी प्रशंसा अल्लाह ही के लिए है जो आकाशों का रब और घरती का रब, सारे संसार का रब है |
/content/ayah/audio/hudhaify/045036.mp3
|
فَلِلَّهِ الْحَمْدُ رَبِّ السَّمَاوَاتِ وَرَبِّ الْأَرْضِ رَبِّ الْعَالَمِينَ |
37 |
आकाशों और धरती में बड़ाई उसी के लिए है, और वही प्रभुत्वशाली, अत्यन्त तत्वदर्शी है |
/content/ayah/audio/hudhaify/045037.mp3
|
وَلَهُ الْكِبْرِيَاء فِي السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَهُوَ الْعَزِيزُ الْحَكِيمُ |