Maryam

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Hindi: Muhammad Farooq Khan and Muhammad Ahmed

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# Translation Ayah
1 काफ॰ हा॰ या॰ ऐन॰ साद॰ كهيعص
2 वर्णन है तेरे रब की दयालुता का, जो उसने अपने बन्दे ज़करीया पर दर्शाई, ذِكْرُ رَحْمَةِ رَبِّكَ عَبْدَهُ زَكَرِيَّا
3 जबकि उसने अपने रब को चुपके से पुकारा إِذْ نَادَى رَبَّهُ نِدَاء خَفِيًّا
4 उसने कहा, "मेरे रब! मेरी हड्डियाँ कमज़ोर हो गई और सिर बुढापे से भड़क उठा। और मेरे रब! तुझे पुकारकर मैं कभी बेनसीब नहीं रहा قَالَ رَبِّ إِنِّي وَهَنَ الْعَظْمُ مِنِّي وَاشْتَعَلَ الرَّأْسُ شَيْبًا وَلَمْ أَكُن بِدُعَائِكَ رَبِّ شَقِيًّا
5 मुझे अपने पीछे अपने भाई-बन्धुओं की ओर से भय है और मेरी पत्नी बाँझ है। अतः तू मुझे अपने पास से एक उत्ताराधिकारी प्रदान कर, وَإِنِّي خِفْتُ الْمَوَالِيَ مِن وَرَائِي وَكَانَتِ امْرَأَتِي عَاقِرًا فَهَبْ لِي مِن لَّدُنكَ وَلِيًّا
6 जो मेरा भी उत्तराधिकारी हो और याक़ूब के वशंज का भी उत्तराधिकारी हो। और उसे मेरे रब! वांछनीय बना।" يَرِثُنِي وَيَرِثُ مِنْ آلِ يَعْقُوبَ وَاجْعَلْهُ رَبِّ رَضِيًّا
7 (उत्तर मिला,) "ऐ ज़करीया! हम तुझे एक लड़के की शुभ सूचना देते है, जिसका नाम यह्यार होगा। हमने उससे पहले किसी को उसके जैसा नहीं बनाया।" يَا زَكَرِيَّا إِنَّا نُبَشِّرُكَ بِغُلَامٍ اسْمُهُ يَحْيَى لَمْ نَجْعَل لَّهُ مِن قَبْلُ سَمِيًّا
8 उसने कहा, "मेरे रब! मेरे लड़का कहाँ से होगा, जबकि मेरी पत्नी बाँझ है और मैं बुढ़ापे की अन्तिम अवस्था को पहुँच चुका हूँ?" قَالَ رَبِّ أَنَّى يَكُونُ لِي غُلَامٌ وَكَانَتِ امْرَأَتِي عَاقِرًا وَقَدْ بَلَغْتُ مِنَ الْكِبَرِ عِتِيًّا
9 कहा, "ऐसा ही होगा। तेरे रब ने कहा कि यह मेरे लिए सरल है। इससे पहले मैं तुझे पैदा कर चुका हूँ, जबकि तू कुछ भी न था।" قَالَ كَذَلِكَ قَالَ رَبُّكَ هُوَ عَلَيَّ هَيِّنٌ وَقَدْ خَلَقْتُكَ مِن قَبْلُ وَلَمْ تَكُ شَيْئًا
10 उसने कहा, "मेरे रब! मेरे लिए कोई निशानी निश्चित कर दे।" कहा, "तेरी निशानी यह है कि तू भला-चंगा रहकर भी तीन रात (और दिन) लोगों से बात न करे।" قَالَ رَبِّ اجْعَل لِّي آيَةً قَالَ آيَتُكَ أَلَّا تُكَلِّمَ النَّاسَ ثَلَاثَ لَيَالٍ سَوِيًّا
11 अतः वह मेहराब से निकलकर अपने लोगों के पास आया और उनसे संकेतों में कहा, "प्रातः काल और सन्ध्या समय तसबीह करते रहो।" فَخَرَجَ عَلَى قَوْمِهِ مِنَ الْمِحْرَابِ فَأَوْحَى إِلَيْهِمْ أَن سَبِّحُوا بُكْرَةً وَعَشِيًّا
12 "ऐ यह्याऔ! किताब को मज़बूत थाम ले।" हमने उसे बचपन ही में निर्णय-शक्ति प्रदान की, يَا يَحْيَى خُذِ الْكِتَابَ بِقُوَّةٍ وَآتَيْنَاهُ الْحُكْمَ صَبِيًّا
13 और अपने पास से नरमी और शौक़ और आत्मविश्वास। और वह बड़ा डरनेवाला था وَحَنَانًا مِّن لَّدُنَّا وَزَكَاةً وَكَانَ تَقِيًّا
14 और अपने माँ-बाप का हक़ पहचानेवाला था। और वह सरकश अवज्ञाकारी न था وَبَرًّا بِوَالِدَيْهِ وَلَمْ يَكُن جَبَّارًا عَصِيًّا
15 "सलाम उस पर, जिस दिन वह पैदा हुआ और जिस दिन उसकी मृत्यु हो और जिस दिन वह जीवित करके उठाया जाए!" وَسَلَامٌ عَلَيْهِ يَوْمَ وُلِدَ وَيَوْمَ يَمُوتُ وَيَوْمَ يُبْعَثُ حَيًّا
16 और इस किताब में मरयम की चर्चा करो, जबकि वह अपने घरवालों से अलग होकर एक पूर्वी स्थान पर चली गई وَاذْكُرْ فِي الْكِتَابِ مَرْيَمَ إِذِ انتَبَذَتْ مِنْ أَهْلِهَا مَكَانًا شَرْقِيًّا
17 फिर उसने उनसे परदा कर लिया। तब हमने उसके पास अपनी रूह (फ़रिश्तेप) को भेजा और वह उसके सामने एक पूर्ण मनुष्य के रूप में प्रकट हुआ فَاتَّخَذَتْ مِن دُونِهِمْ حِجَابًا فَأَرْسَلْنَا إِلَيْهَا رُوحَنَا فَتَمَثَّلَ لَهَا بَشَرًا سَوِيًّا
18 वह बोल उठी, "मैं तुझसे बचने के लिए रहमान की पनाह माँगती हूँ; यदि तू (अल्लाह का) डर रखनेवाला है (तो यहाँ से हट जाएगा) ।" قَالَتْ إِنِّي أَعُوذُ بِالرَّحْمَن مِنكَ إِن كُنتَ تَقِيًّا
19 उसने कहा, "मैं तो केवल तेरे रब का भेजा हुआ हूँ, ताकि तुझे नेकी और भलाई से बढ़ा हुआ लड़का दूँ।" قَالَ إِنَّمَا أَنَا رَسُولُ رَبِّكِ لِأَهَبَ لَكِ غُلَامًا زَكِيًّا
20 वह बोली, "मेरे कहाँ से लड़का होगा, जबकि मुझे किसी आदमी ने छुआ तक नही और न मैं कोई बदचलन हूँ?" قَالَتْ أَنَّى يَكُونُ لِي غُلَامٌ وَلَمْ يَمْسَسْنِي بَشَرٌ وَلَمْ أَكُ بَغِيًّا
21 उसने कहा, "ऐसा ही होगा। रब ने कहा है कि यह मेरे लिए सहज है। और ऐसा इसलिए होगा (ताकि हम तुझे) और ताकि हम उसे लोगों के लिए एक निशानी बनाएँ और अपनी ओर से एक दयालुता। यह तो ऐसी बात है जिसका निर्णय हो चुका है।" قَالَ كَذَلِكِ قَالَ رَبُّكِ هُوَ عَلَيَّ هَيِّنٌ وَلِنَجْعَلَهُ آيَةً لِلنَّاسِ وَرَحْمَةً مِّنَّا وَكَانَ أَمْرًا مَّقْضِيًّا
22 फिर उसे उस (बच्चे) का गर्भ रह गया और वह उसे लिए हुए एक दूर के स्थान पर अलग चली गई। فَحَمَلَتْهُ فَانتَبَذَتْ بِهِ مَكَانًا قَصِيًّا
23 अन्ततः प्रसव पीड़ा उसे एक खजूर के तने के पास ले आई। वह कहने लगी, "क्या ही अच्छा होता कि मैं इससे पहले ही मर जाती और भूली-बिसरी हो गई होती!" فَأَجَاءهَا الْمَخَاضُ إِلَى جِذْعِ النَّخْلَةِ قَالَتْ يَا لَيْتَنِي مِتُّ قَبْلَ هَذَا وَكُنتُ نَسْيًا مَّنسِيًّا
24 उस समय उसे उसके नीचे से पुकारा, "शोकाकुल न हो। तेरे रब ने तेरे नीचे एक स्रोत प्रवाहित कर रखा है। فَنَادَاهَا مِن تَحْتِهَا أَلَّا تَحْزَنِي قَدْ جَعَلَ رَبُّكِ تَحْتَكِ سَرِيًّا
25 तू खजूर के उस वृक्ष के तने को पकड़कर अपनी ओर हिला। तेरे ऊपर ताज़ा पकी-पकी खजूरें टपक पड़ेगी وَهُزِّي إِلَيْكِ بِجِذْعِ النَّخْلَةِ تُسَاقِطْ عَلَيْكِ رُطَبًا جَنِيًّا
26 अतः तू उसे खा और पी और आँखें ठंडी कर। फिर यदि तू किसी आदमी को देखे तो कह देना, मैंने तो रहमान के लिए रोज़े की मन्नत मानी है। इसलिए मैं आज किसी मनुष्य से न बोलूँगी।" فَكُلِي وَاشْرَبِي وَقَرِّي عَيْنًا فَإِمَّا تَرَيِنَّ مِنَ الْبَشَرِ أَحَدًا فَقُولِي إِنِّي نَذَرْتُ لِلرَّحْمَنِ صَوْمًا فَلَنْ أُكَلِّمَ الْيَوْمَ إِنسِيًّا
27 फिर वह उस बच्चे को लिए हुए अपनी क़ौम के लोगों के पास आई। वे बोले, "ऐ मरयम, तूने तो बड़ा ही आश्चर्य का काम कर डाला! فَأَتَتْ بِهِ قَوْمَهَا تَحْمِلُهُ قَالُوا يَا مَرْيَمُ لَقَدْ جِئْتِ شَيْئًا فَرِيًّا
28 हे हारून की बहन! न तो तेरा बाप ही कोई बुरा आदमी था और न तेरी माँ ही बदचलन थी।" يَا أُخْتَ هَارُونَ مَا كَانَ أَبُوكِ امْرَأَ سَوْءٍ وَمَا كَانَتْ أُمُّكِ بَغِيًّا
29 तब उसने उस (बच्चे) की ओर संकेत किया। वे कहने लगे, "हम उससे कैसे बात करें जो पालने में पड़ा हुआ एक बच्चा है?" فَأَشَارَتْ إِلَيْهِ قَالُوا كَيْفَ نُكَلِّمُ مَن كَانَ فِي الْمَهْدِ صَبِيًّا
30 उसने कहा, "मैं अल्लाह का बन्दा हूँ। उसने मुझे किताब दी और मुझे नबी बनाया قَالَ إِنِّي عَبْدُ اللَّهِ آتَانِيَ الْكِتَابَ وَجَعَلَنِي نَبِيًّا
31 और मुझे बरकतवाला किया जहाँ भी मैं रहूँ, और मुझे नमाज़ और ज़कात की ताकीद की, जब तक कि मैं जीवित रहूँ وَجَعَلَنِي مُبَارَكًا أَيْنَ مَا كُنتُ وَأَوْصَانِي بِالصَّلَاةِ وَالزَّكَاةِ مَا دُمْتُ حَيًّا
32 और अपनी माँ का हक़ अदा करनेवाला बनाया। और उसने मुझे सरकश और बेनसीब नहीं बनाया وَبَرًّا بِوَالِدَتِي وَلَمْ يَجْعَلْنِي جَبَّارًا شَقِيًّا
33 सलाम है मुझपर जिस दिन कि मैं पैदा हुआ और जिस दिन कि मैं मरूँ और जिस दिन कि जीवित करके उठाया जाऊँ!" وَالسَّلَامُ عَلَيَّ يَوْمَ وُلِدتُّ وَيَوْمَ أَمُوتُ وَيَوْمَ أُبْعَثُ حَيًّا
34 सच्ची और पक्की बात की स्पष्ट से यह है कि मरयम का बेटा ईसा, जिसके विषय में वे सन्देह में पड़े हुए है ذَلِكَ عِيسَى ابْنُ مَرْيَمَ قَوْلَ الْحَقِّ الَّذِي فِيهِ يَمْتَرُونَ
35 अल्लाह ऐसा नहीं कि वह किसी को अपना बेटा बनाए। महान और उच्च है, वह! जब वह किसी चीज़ का फ़ैसला करता है तो बस उसे कह देता है, "हो जा!" तो वह हो जाती है। - مَا كَانَ لِلَّهِ أَن يَتَّخِذَ مِن وَلَدٍ سُبْحَانَهُ إِذَا قَضَى أَمْرًا فَإِنَّمَا يَقُولُ لَهُ كُن فَيَكُونُ
36 "और निस्संदेह अल्लाह मेरा रब भी है और तुम्हारा रब भी। अतः तुम उसी की बन्दगी करो यही सीधा मार्ग है।" وَإِنَّ اللَّهَ رَبِّي وَرَبُّكُمْ فَاعْبُدُوهُ هَذَا صِرَاطٌ مُّسْتَقِيمٌ
37 किन्तु उनमें कितने ही गिरोहों ने पारस्परिक वैमनस्य के कारण विभेद किया, तो जिन लोगों ने इनकार किया उनके लिए बड़ी तबाही है एक बड़े दिन की उपस्थिति से فَاخْتَلَفَ الْأَحْزَابُ مِن بَيْنِهِمْ فَوَيْلٌ لِّلَّذِينَ كَفَرُوا مِن مَّشْهَدِ يَوْمٍ عَظِيمٍ
38 भली-भाँति सुननेवाले और भली-भाँति देखनेवाले होंगे, जिस दिन वे हमारे समाने आएँगे! किन्तु आज ये ज़ालिम खुली गुमराही में पड़े हुए है أَسْمِعْ بِهِمْ وَأَبْصِرْ يَوْمَ يَأْتُونَنَا لَكِنِ الظَّالِمُونَ الْيَوْمَ فِي ضَلَالٍ مُّبِينٍ
39 उन्हें पश्चाताप के दिन से डराओ, जबकि मामले का फ़ैसला कर दिया जाएगा, और उनका हाल यह है कि वे ग़फ़लत में पड़े हुए है और वे ईमान नहीं ला रहे है وَأَنذِرْهُمْ يَوْمَ الْحَسْرَةِ إِذْ قُضِيَ الْأَمْرُ وَهُمْ فِي غَفْلَةٍ وَهُمْ لَا يُؤْمِنُونَ
40 धरती और जो भी उसके ऊपर है उसके वारिस हम ही रह जाएँगे और हमारी ही ओर उन्हें लौटना होगा إِنَّا نَحْنُ نَرِثُ الْأَرْضَ وَمَنْ عَلَيْهَا وَإِلَيْنَا يُرْجَعُونَ
41 और इस किताब में इबराहीम की चर्चा करो। निस्संदेह वह एक सत्यवान नबी था وَاذْكُرْ فِي الْكِتَابِ إِبْرَاهِيمَ إِنَّهُ كَانَ صِدِّيقًا نَّبِيًّا
42 जबकि उसने अपने बाप से कहा, "ऐ मेरे बाप! आप उस चीज़ को क्यों पूजते हो, जो न सुने और न देखे और न आपके कुछ काम आए? إِذْ قَالَ لِأَبِيهِ يَا أَبَتِ لِمَ تَعْبُدُ مَا لَا يَسْمَعُ وَلَا يُبْصِرُ وَلَا يُغْنِي عَنكَ شَيْئًا
43 ऐ मेरे बाप! मेरे पास ज्ञान आ गया है जो आपके पास नहीं आया। अतः आप मेरा अनुसरण करें, मैं आपको सीधा मार्ग दिखाऊँगा يَا أَبَتِ إِنِّي قَدْ جَاءنِي مِنَ الْعِلْمِ مَا لَمْ يَأْتِكَ فَاتَّبِعْنِي أَهْدِكَ صِرَاطًا سَوِيًّا
44 ऐ मेरे बाप! शैतान की बन्दगी न कीजिए। शैतान तो रहमान का अवज्ञाकारी है يَا أَبَتِ لَا تَعْبُدِ الشَّيْطَانَ إِنَّ الشَّيْطَانَ كَانَ لِلرَّحْمَنِ عَصِيًّا
45 ऐ मेरे बाप! मैं डरता हूँ कि कहीं आपको रहमान की कोई यातना न आ पकड़े और आप शैतान के साथी होकर रह जाएँ।" يَا أَبَتِ إِنِّي أَخَافُ أَن يَمَسَّكَ عَذَابٌ مِّنَ الرَّحْمَن فَتَكُونَ لِلشَّيْطَانِ وَلِيًّا
46 उसने कहा, "ऐ इबराहीम! क्या तू मेरे उपास्यों से फिर गया है? यदि तू बाज़ न आया तो मैं तुझपर पथराव कर दूँगा। तू अलग हो जा मुझसे मुद्दत के लिए!" قَالَ أَرَاغِبٌ أَنتَ عَنْ آلِهَتِي يَا إِبْراهِيمُ لَئِن لَّمْ تَنتَهِ لَأَرْجُمَنَّكَ وَاهْجُرْنِي مَلِيًّا
47 कहा, "सलाम है आपको! मैं आपके लिए रब से क्षमा की प्रार्थना करूँगा। वह तो मुझपर बहुत मेहरबान है قَالَ سَلَامٌ عَلَيْكَ سَأَسْتَغْفِرُ لَكَ رَبِّي إِنَّهُ كَانَ بِي حَفِيًّا
48 मैं आप लोगों को छोड़ता हूँ और उनको भी जिन्हें अल्लाह से हटकर आप लोग पुकारा करते है। मैं तो अपने रब को पुकारूँगा। आशा है कि मैं अपने रब को पुकारकर बेनसीब नहीं रहूँगा।" وَأَعْتَزِلُكُمْ وَمَا تَدْعُونَ مِن دُونِ اللَّهِ وَأَدْعُو رَبِّي عَسَى أَلَّا أَكُونَ بِدُعَاء رَبِّي شَقِيًّا
49 फिर जब वह उन लोगों से और जिन्हें वे अल्लाह के सिवा पूजते थे उनसे अलग हो गया, तो हमने उसे इसहाक़ और याक़ूब प्रदान किए और हर एक को हमने नबी बनाया فَلَمَّا اعْتَزَلَهُمْ وَمَا يَعْبُدُونَ مِن دُونِ اللَّهِ وَهَبْنَا لَهُ إِسْحَاقَ وَيَعْقُوبَ وَكُلًّا جَعَلْنَا نَبِيًّا
50 और उन्हें अपनी दयालुता से हिस्सा दिया। और उन्हें एक सच्ची उच्च ख्याति प्रदान की وَوَهَبْنَا لَهُم مِّن رَّحْمَتِنَا وَجَعَلْنَا لَهُمْ لِسَانَ صِدْقٍ عَلِيًّا
51 और इस किताब में मूसा की चर्चा करो। निस्संदेह वह चुना हुआ था और एक रसूल, नबी था وَاذْكُرْ فِي الْكِتَابِ مُوسَى إِنَّهُ كَانَ مُخْلَصًا وَكَانَ رَسُولًا نَّبِيًّا
52 हमने उसे 'तूर' के मुबारक छोर से पुकारा और रहस्य की बातें करने के लिए हमने उसे समीप किया وَنَادَيْنَاهُ مِن جَانِبِ الطُّورِ الْأَيْمَنِ وَقَرَّبْنَاهُ نَجِيًّا
53 और अपनी दयालुता से अपने भाई हारून को नबी बनाकर उसे दिया وَوَهَبْنَا لَهُ مِن رَّحْمَتِنَا أَخَاهُ هَارُونَ نَبِيًّا
54 और इस किताब में इसमाईल की चर्चा करो। निस्संदेह वह वादे का सच्च, नबी था وَاذْكُرْ فِي الْكِتَابِ إِسْمَاعِيلَ إِنَّهُ كَانَ صَادِقَ الْوَعْدِ وَكَانَ رَسُولًا نَّبِيًّا
55 और अपने लोगों को नमाज़ और ज़कात का हुक्म देता था। और वह अपने रब के यहाँ प्रीतिकर व्यक्ति था وَكَانَ يَأْمُرُ أَهْلَهُ بِالصَّلَاةِ وَالزَّكَاةِ وَكَانَ عِندَ رَبِّهِ مَرْضِيًّا
56 और इस किताब में इदरीस की भी चर्चा करो। वह अत्यन्त सत्यवान, एक नबी था وَاذْكُرْ فِي الْكِتَابِ إِدْرِيسَ إِنَّهُ كَانَ صِدِّيقًا نَّبِيًّا
57 हमने उसे उच्च स्थान पर उठाया था وَرَفَعْنَاهُ مَكَانًا عَلِيًّا
58 ये वे पैग़म्बर है जो अल्लाह के कृपापात्र हुए, आदम की सन्तान में से और उन लोगों के वंशज में से जिनको हमने नूह के साथ सवार किया, और इबराहीम और इसराईल के वंशज में से और उनमें से जिनको हमने सीधा मार्ग दिखाया और चुन लिया। जब उन्हें रहमान की आयतें सुनाई जातीं तो वे सजदा करते और रोते हुए गिर पड़ते थे أُوْلَئِكَ الَّذِينَ أَنْعَمَ اللَّهُ عَلَيْهِم مِّنَ النَّبِيِّينَ مِن ذُرِّيَّةِ آدَمَ وَمِمَّنْ حَمَلْنَا مَعَ نُوحٍ وَمِن ذُرِّيَّةِ إِبْرَاهِيمَ وَإِسْرَائِيلَ وَمِمَّنْ هَدَيْنَا وَاجْتَبَيْنَا إِذَا تُتْلَى عَلَيْهِمْ آيَاتُ الرَّحْمَن خَرُّوا سُجَّدًا وَبُكِيًّا
59 फिर उनके पश्चात ऐसे बुरे लोग उनके उत्तराधिकारी हुए, जिन्होंने नमाज़ को गँवाया और मन की इच्छाओं के पीछे पड़े। अतः जल्द ही वे गुमराही (के परिणाम) से दोचार होंगा فَخَلَفَ مِن بَعْدِهِمْ خَلْفٌ أَضَاعُوا الصَّلَاةَ وَاتَّبَعُوا الشَّهَوَاتِ فَسَوْفَ يَلْقَوْنَ غَيًّا
60 किन्तु जो तौबा करे और ईमान लाए और अच्छा कर्म करे, तो ऐसे लोग जन्नत में प्रवेश करेंगे। उनपर कुछ भी ज़ुल्म न होगा। - إِلَّا مَن تَابَ وَآمَنَ وَعَمِلَ صَالِحًا فَأُوْلَئِكَ يَدْخُلُونَ الْجَنَّةَ وَلَا يُظْلَمُونَ شَيْئًا
61 अदन (रहने) के बाग़ जिनका रहमान ने अपने बन्दों से परोक्ष में होते हुए वादा किया है। निश्चय ही उसके वादे पर उपस्थित हाना है। - جَنَّاتِ عَدْنٍ الَّتِي وَعَدَ الرَّحْمَنُ عِبَادَهُ بِالْغَيْبِ إِنَّهُ كَانَ وَعْدُهُ مَأْتِيًّا
62 वहाँ वे 'सलाम' के सिवा कोई व्यर्थ बात नहीं सुनेंगे। उनकी रोज़ी उन्हें वहाँ प्रातः और सन्ध्या समय प्राप्त होती रहेगी لَا يَسْمَعُونَ فِيهَا لَغْوًا إِلَّا سَلَامًا وَلَهُمْ رِزْقُهُمْ فِيهَا بُكْرَةً وَعَشِيًّا
63 यह है वह जन्नत जिसका वारिस हम अपने बन्दों में से हर उस व्यक्ति को बनाएँगे, जो डर रखनेवाला हो تِلْكَ الْجَنَّةُ الَّتِي نُورِثُ مِنْ عِبَادِنَا مَن كَانَ تَقِيًّا
64 हम तुम्हारे रब की आज्ञा के बिना नहीं उतरते। जो कुछ हमारे आगे है और जो कुछ हमारे पीछे है और जो कुछ इसके मध्य है सब उसी का है, और तुम्हारा रब भूलनेवाला नहीं है وَمَا نَتَنَزَّلُ إِلَّا بِأَمْرِ رَبِّكَ لَهُ مَا بَيْنَ أَيْدِينَا وَمَا خَلْفَنَا وَمَا بَيْنَ ذَلِكَ وَمَا كَانَ رَبُّكَ نَسِيًّا
65 आकाशों और धरती का रब है और उसका भी जो इन दोनों के मध्य है। अतः तुम उसी की बन्दगी पर जमे रहो। क्या तुम्हारे ज्ञान में उस जैसा कोई है? رَبُّ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا فَاعْبُدْهُ وَاصْطَبِرْ لِعِبَادَتِهِ هَلْ تَعْلَمُ لَهُ سَمِيًّا
66 और मनुष्य कहता है, "क्या जब मैं मर गया तो फिर जीवित करके निकाला जाऊँगा?" وَيَقُولُ الْإِنسَانُ أَئِذَا مَا مِتُّ لَسَوْفَ أُخْرَجُ حَيًّا
67 क्या मनुष्य याद नहीं करता कि हम उसे इससे पहले पैदा कर चुके है, जबकि वह कुछ भी न था? أَوَلَا يَذْكُرُ الْإِنسَانُ أَنَّا خَلَقْنَاهُ مِن قَبْلُ وَلَمْ يَكُ شَيْئًا
68 अतः तुम्हारे रब की क़सम! हम अवश्य उन्हें और शैतानों को भी इकट्ठा करेंगे। फिर हम उन्हें जहन्नम के चतुर्दिक इस दशा में ला उपस्थित करेंगे कि वे घुटनों के बल झुके होंगे فَوَرَبِّكَ لَنَحْشُرَنَّهُمْ وَالشَّيَاطِينَ ثُمَّ لَنُحْضِرَنَّهُمْ حَوْلَ جَهَنَّمَ جِثِيًّا
69 फिर प्रत्येक गिरोह में से हम अवश्य ही उसे छाँटकर अलग करेंगे जो उनमें से रहमान (कृपाशील प्रभु) के मुक़ाबले में सबसे बढ़कर सरकश रहा होगा ثُمَّ لَنَنزِعَنَّ مِن كُلِّ شِيعَةٍ أَيُّهُمْ أَشَدُّ عَلَى الرَّحْمَنِ عِتِيًّا
70 फिर हम उन्हें भली-भाँति जानते है जो उसमें झोंके जाने के सर्वाधिक योग्य है ثُمَّ لَنَحْنُ أَعْلَمُ بِالَّذِينَ هُمْ أَوْلَى بِهَا صِلِيًّا
71 तुममें से प्रत्येक को उसपर पहुँचना ही है। यह एक निश्चय पाई हुई बात है, जिसे पूरा करना तेरे रब के ज़िम्मे है। وَإِن مِّنكُمْ إِلَّا وَارِدُهَا كَانَ عَلَى رَبِّكَ حَتْمًا مَّقْضِيًّا
72 फिर हम डर रखनेवालों को बचा लेंगे और ज़ालिमों को उसमें घुटनों के बल छोड़ देंगे ثُمَّ نُنَجِّي الَّذِينَ اتَّقَوا وَّنَذَرُ الظَّالِمِينَ فِيهَا جِثِيًّا
73 जब उन्हें हमारी खुली हुई आयतें सुनाई जाती है तो जिन लोगों ने कुफ़्र किया, वे ईमान लानेवालों से कहते हैं, "दोनों गिरोहों में स्थान की स्पष्ट से कौन उत्तम है और कौन मजलिस की दृष्टि से अधिक अच्छा है?" وَإِذَا تُتْلَى عَلَيْهِمْ آيَاتُنَا بَيِّنَاتٍ قَالَ الَّذِينَ كَفَرُوا لِلَّذِينَ آمَنُوا أَيُّ الْفَرِيقَيْنِ خَيْرٌ مَّقَامًا وَأَحْسَنُ نَدِيًّا
74 हालाँकि उनसे पहले हम कितनी ही नसलों को विनष्ट कर चुके है जो सामग्री और बाह्य भव्यता में इनसे कहीं अच्छी थीं! وَكَمْ أَهْلَكْنَا قَبْلَهُم مِّن قَرْنٍ هُمْ أَحْسَنُ أَثَاثًا وَرِئْيًا
75 कह दो, "जो गुमराही में पड़ा हुआ है उसके प्रति तो यही चाहिए कि रहमान उसकी रस्सी ख़ूब ढीली छोड़ दे, यहाँ तक कि जब ऐसे लोग उस चीज़ को देख लेंगे जिसका उनसे वादा किया जाता है - चाहे यातना हो या क़ियामत की घड़ी - तो वे उस समय जान लेंगे कि अपने स्थान की स्पष्ट से कौन निकृष्ट और जत्थे की दृष्टि से अधिक कमजोर है।" قُلْ مَن كَانَ فِي الضَّلَالَةِ فَلْيَمْدُدْ لَهُ الرَّحْمَنُ مَدًّا حَتَّى إِذَا رَأَوْا مَا يُوعَدُونَ إِمَّا الْعَذَابَ وَإِمَّا السَّاعَةَ فَسَيَعْلَمُونَ مَنْ هُوَ شَرٌّ مَّكَانًا وَأَضْعَفُ جُندًا
76 और जिन लोगों ने मार्ग पा लिया है, अल्लाह उनके मार्गदर्शन में अभिवृद्धि प्रदान करता है और शेष रहनेवाली नेकियाँ ही तुम्हारे रब के यहाँ बदले और अन्तिम परिणाम की स्पष्ट से उत्तम है وَيَزِيدُ اللَّهُ الَّذِينَ اهْتَدَوْا هُدًى وَالْبَاقِيَاتُ الصَّالِحَاتُ خَيْرٌ عِندَ رَبِّكَ ثَوَابًا وَخَيْرٌ مَّرَدًّا
77 फिर क्या तुमने उस व्यक्ति को देखा जिसने हमारी आयतों का इनकार किया और कहा, "मुझे तो अवश्य ही धन और सन्तान मिलने को है?" أَفَرَأَيْتَ الَّذِي كَفَرَ بِآيَاتِنَا وَقَالَ لَأُوتَيَنَّ مَالًا وَوَلَدًا
78 क्या उसने परोक्ष को झाँककर देख लिया है, या रहमान से कोई वचन ले रखा है? أَاطَّلَعَ الْغَيْبَ أَمِ اتَّخَذَ عِندَ الرَّحْمَنِ عَهْدًا
79 कदापि नहीं, हम लिखेंगे जो कुछ वह कहता है और उसके लिए हम यातना को दीर्घ करते चले जाएँगे। كَلَّا سَنَكْتُبُ مَا يَقُولُ وَنَمُدُّ لَهُ مِنَ الْعَذَابِ مَدًّا
80 औऱ जो कुछ वह बताता है उसके वारिस हम होंगे और वह अकेला ही हमारे पास आएगा وَنَرِثُهُ مَا يَقُولُ وَيَأْتِينَا فَرْدًا
81 और उन्होंने अल्लाह से इतर अपने कुछ पूज्य-प्रभु बना लिए है, ताकि वे उनके लिए शक्ति का कारण बनें। وَاتَّخَذُوا مِن دُونِ اللَّهِ آلِهَةً لِّيَكُونُوا لَهُمْ عِزًّا
82 कुछ नहीं, ये उनकी बन्दगी का इनकार करेंगे और उनके विरोधी बन जाएँगे। - كَلَّا سَيَكْفُرُونَ بِعِبَادَتِهِمْ وَيَكُونُونَ عَلَيْهِمْ ضِدًّا
83 क्या तुमने देखा नहीं कि हमने शैतानों को छोड़ रखा है, जो इनकार करनेवालों पर नियुक्त है? أَلَمْ تَرَ أَنَّا أَرْسَلْنَا الشَّيَاطِينَ عَلَى الْكَافِرِينَ تَؤُزُّهُمْ أَزًّا
84 अतः तुम उनके लिए जल्दी न करो। हम तो बस उनके लिए (उनकी बातें) गिन रहे है فَلَا تَعْجَلْ عَلَيْهِمْ إِنَّمَا نَعُدُّ لَهُمْ عَدًّا
85 याद करो जिस दिन हम डर रखनेवालों के सम्मानित गिरोह के रूप में रहमान के पास इकट्ठा करेंगे। يَوْمَ نَحْشُرُ الْمُتَّقِينَ إِلَى الرَّحْمَنِ وَفْدًا
86 और अपराधियों को जहन्नम के घाट की ओर प्यासा हाँक ले जाएँगे। وَنَسُوقُ الْمُجْرِمِينَ إِلَى جَهَنَّمَ وِرْدًا
87 उन्हें सिफ़ारिश का अधिकार प्राप्त न होगा। सिवाय उसके, जिसने रहमान के यहाँ से अनुमोदन प्राप्त कर लिया हो لَا يَمْلِكُونَ الشَّفَاعَةَ إِلَّا مَنِ اتَّخَذَ عِندَ الرَّحْمَنِ عَهْدًا
88 वे कहते है, "रहमान ने किसी को अपना बेटा बनाया है।" وَقَالُوا اتَّخَذَ الرَّحْمَنُ وَلَدًا
89 अत्यन्त भारी बात है, जो तुम घड़ लाए हो! لَقَدْ جِئْتُمْ شَيْئًا إِدًّا
90 निकट है कि आकाश इससे फट पड़े और धरती टुकड़े-टुकड़े हो जाए और पहाड़ धमाके के साथ गिर पड़े, تَكَادُ السَّمَاوَاتُ يَتَفَطَّرْنَ مِنْهُ وَتَنشَقُّ الْأَرْضُ وَتَخِرُّ الْجِبَالُ هَدًّا
91 इस बात पर कि उन्होंने रहमान के लिए बेटा होने का दावा किया! أَن دَعَوْا لِلرَّحْمَنِ وَلَدًا
92 जबकि रहमान की प्रतिष्ठा के प्रतिकूल है कि वह किसी को अपना बेटा बनाए وَمَا يَنبَغِي لِلرَّحْمَنِ أَن يَتَّخِذَ وَلَدًا
93 आकाशों और धरती में जो कोई भी है एक बन्दें के रूप में रहमान के पास आनेवाला है إِن كُلُّ مَن فِي السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ إِلَّا آتِي الرَّحْمَنِ عَبْدًا
94 उसने उनका आकलन कर रखा है और उन्हें अच्छी तरह गिन रखा है لَقَدْ أَحْصَاهُمْ وَعَدَّهُمْ عَدًّا
95 और उनमें से प्रत्येक क़ियामत के दिन उस अकेले (रहमान) के सामने उपस्थित होगा وَكُلُّهُمْ آتِيهِ يَوْمَ الْقِيَامَةِ فَرْدًا
96 निस्संदेह जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए शीघ्र ही रहमान उनके लिए प्रेम उत्पन्न कर देगा إِنَّ الَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ سَيَجْعَلُ لَهُمُ الرَّحْمَنُ وُدًّا
97 अतः हमने इस वाणी को तुम्हारी भाषा में इसी लिए सहज एवं उपयुक्त बनाया है, ताकि तुम इसके द्वारा डर रखनेवालों को शुभ सूचना दो और उन झगड़ालू लोगों को इसके द्वारा डराओ فَإِنَّمَا يَسَّرْنَاهُ بِلِسَانِكَ لِتُبَشِّرَ بِهِ الْمُتَّقِينَ وَتُنذِرَ بِهِ قَوْمًا لُّدًّا
98 उनसे पहले कितनी ही नसलों को हम विनष्ट कर चुके है। क्या उनमें किसी की आहट तुम पाते हो या उनकी कोई भनक सुनते हो? وَكَمْ أَهْلَكْنَا قَبْلَهُم مِّن قَرْنٍ هَلْ تُحِسُّ مِنْهُم مِّنْ أَحَدٍ أَوْ تَسْمَعُ لَهُمْ رِكْزًا
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