Ta-ha

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Hindi: Muhammad Farooq Khan and Muhammad Ahmed

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# Translation Ayah
1 ता॰ हा॰। طه
2 हमने तुमपर यह क़ुरआन इसलिए नहीं उतारा कि तुम मशक़्क़त में पड़ जाओ مَا أَنزَلْنَا عَلَيْكَ الْقُرْآنَ لِتَشْقَى
3 यह तो बस एक अनुस्मृति है, उसके लिए जो डरे, إِلَّا تَذْكِرَةً لِّمَن يَخْشَى
4 भली-भाँति अवतरित हुआ है उस सत्ता की ओर से, जिसने पैदा किया है धरती और उच्च आकाशों को تَنزِيلًا مِّمَّنْ خَلَقَ الْأَرْضَ وَالسَّمَاوَاتِ الْعُلَى
5 वह रहमान है, जो राजासन पर विराजमान हुआ الرَّحْمَنُ عَلَى الْعَرْشِ اسْتَوَى
6 उसी का है जो कुछ आकाशों में है और जो कुछ धरती में है और जो कुछ इन दोनों के मध्य है और जो कुछ आर्द्र मिट्टी के नीचे है لَهُ مَا فِي السَّمَاوَاتِ وَمَا فِي الْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا وَمَا تَحْتَ الثَّرَى
7 तुम चाहे बात पुकार कर कहो (या चुपके से), वह तो छिपी हुई और अत्यन्त गुप्त बात को भी जानता है وَإِن تَجْهَرْ بِالْقَوْلِ فَإِنَّهُ يَعْلَمُ السِّرَّ وَأَخْفَى
8 अल्लाह, कि उसके सिवा कोई पूज्य-प्रभू नहीं। उसके नाम बहुत ही अच्छे हैं। اللَّهُ لَا إِلَهَ إِلَّا هُوَ لَهُ الْأَسْمَاء الْحُسْنَى
9 क्या तुम्हें मूसा की भी ख़बर पहुँची? وَهَلْ أَتَاكَ حَدِيثُ مُوسَى
10 जबकि उसने एक आग देखी तो उसने अपने घरवालों से कहा, "ठहरो! मैंने एक आग देखी है। शायद कि तुम्हारे लिए उसमें से कोई अंगारा ले आऊँ या उस आग पर मैं मार्ग का पता पा लूँ।" إِذْ رَأَى نَارًا فَقَالَ لِأَهْلِهِ امْكُثُوا إِنِّي آنَسْتُ نَارًا لَّعَلِّي آتِيكُم مِّنْهَا بِقَبَسٍ أَوْ أَجِدُ عَلَى النَّارِ هُدًى
11 फिर जब वह वहाँ पहुँचा तो पुकारा गया, "ऐ मूसा! فَلَمَّا أَتَاهَا نُودِي يَا مُوسَى
12 मैं ही तेरा रब हूँ। अपने जूते उतार दे। तू पवित्र घाटी 'तुवा' में है إِنِّي أَنَا رَبُّكَ فَاخْلَعْ نَعْلَيْكَ إِنَّكَ بِالْوَادِ الْمُقَدَّسِ طُوًى
13 मैंने तुझे चुन लिया है। अतः सुन, जो कुछ प्रकाशना की जाती है وَأَنَا اخْتَرْتُكَ فَاسْتَمِعْ لِمَا يُوحَى
14 निस्संदेह मैं ही अल्लाह हूँ। मेरे सिवा कोई पूज्य-प्रभु नहीं। अतः तू मेरी बन्दगी कर और मेरी याद के लिए नमाज़ क़ायम कर إِنَّنِي أَنَا اللَّهُ لَا إِلَهَ إِلَّا أَنَا فَاعْبُدْنِي وَأَقِمِ الصَّلَاةَ لِذِكْرِي
15 निश्चय ही वह (क़ियामत की) घड़ी आनेवाली है - शीघ्र ही उसे लाऊँगा, उसे छिपाए रखता हूँ - ताकि प्रत्येक व्यक्ति जो प्रयास वह करता है, उसका बदला पाए إِنَّ السَّاعَةَ ءاَتِيَةٌ أَكَادُ أُخْفِيهَا لِتُجْزَى كُلُّ نَفْسٍ بِمَا تَسْعَى
16 अतः जो कोई उसपर ईमान नहीं लाता और अपनी वासना के पीछे पड़ा है, वह तुझे उससे रोक न दे, अन्यथा तू विनष्ट हो जाएगा فَلاَ يَصُدَّنَّكَ عَنْهَا مَنْ لاَ يُؤْمِنُ بِهَا وَاتَّبَعَ هَوَاهُ فَتَرْدَى
17 और ऐ मूसा! यह तेरे दाहिने हाथ में क्या है?" وَمَا تِلْكَ بِيَمِينِكَ يَا مُوسَى
18 उसने कहा, "यह मेरी लाठी है। मैं इसपर टेक लगाता हूँ और इससे अपनी बकरियों के लिए पत्ते झाड़ता हूँ और इससे मेरी दूसरी ज़रूरतें भी पूरी होती है।" قَالَ هِيَ عَصَايَ أَتَوَكَّأُ عَلَيْهَا وَأَهُشُّ بِهَا عَلَى غَنَمِي وَلِيَ فِيهَا مَآرِبُ أُخْرَى
19 कहा, "डाल दे उसे, ऐ मूसा!" قَالَ أَلْقِهَا يَا مُوسَى
20 अतः उसने डाल दिया। सहसा क्या देखते है कि वह एक साँप है, जो दौड़ रहा है فَأَلْقَاهَا فَإِذَا هِيَ حَيَّةٌ تَسْعَى
21 कहा, "इसे पकड़ ले और डर मत। हम इसे इसकी पहली हालत पर लौटा देंगे قَالَ خُذْهَا وَلَا تَخَفْ سَنُعِيدُهَا سِيرَتَهَا الْأُولَى
22 और अपने हाथ अपने बाज़ू की ओर समेट ले। वह बिना किसी ऐब के रौशन दूसरी निशानी के रूप में निकलेगा وَاضْمُمْ يَدَكَ إِلَى جَنَاحِكَ تَخْرُجْ بَيْضَاء مِنْ غَيْرِ سُوءٍ آيَةً أُخْرَى
23 इसलिए कि हम तुझे अपनी बड़ी निशानियाँ दिखाएँ لِنُرِيَكَ مِنْ آيَاتِنَا الْكُبْرَى
24 तू फ़िरऔन के पास जा। वह बहुत सरकश हो गया है।" اذْهَبْ إِلَى فِرْعَوْنَ إِنَّهُ طَغَى
25 उसने निवेदन किया, "मेरे रब! मेरा सीना मेरे लिए खोल दे قَالَ رَبِّ اشْرَحْ لِي صَدْرِي
26 और मेरे काम को मेरे लिए आसान कर दे وَيَسِّرْ لِي أَمْرِي
27 और मेरी ज़बान की गिरह खोल दे। وَاحْلُلْ عُقْدَةً مِّن لِّسَانِي
28 कि वे मेरी बात समझ सकें يَفْقَهُوا قَوْلِي
29 और मेरे लिए अपने घरवालों में से एक सहायक नियुक्त कर दें, وَاجْعَل لِّي وَزِيرًا مِّنْ أَهْلِي
30 हारून को, जो मेरा भाई है هَارُونَ أَخِي
31 उसके द्वारा मेरी कमर मज़बूत कर اشْدُدْ بِهِ أَزْرِي
32 और उसे मेरे काम में शरीक कर दें, وَأَشْرِكْهُ فِي أَمْرِي
33 कि हम अधिक से अधिक तेरी तसबीह करें كَيْ نُسَبِّحَكَ كَثِيراً
34 और तुझे ख़ूब याद करें وَنَذْكُرَكَ كَثِيراً
35 निश्चय ही तू हमें खूब देख रहा है।" إِنَّكَ كُنتَ بِنَا بَصِيرًا
36 कहा, "दिया गया तुझे जो तूने माँगा, ऐ मूसा! قَالَ قَدْ أُوتِيتَ سُؤْلَكَ يَا مُوسَى
37 हम तो तुझपर एक बार और भी उपकार कर चुके है وَلَقَدْ مَنَنَّا عَلَيْكَ مَرَّةً أُخْرَى
38 जब हमने तेरी माँ के दिल में यह बात डाली थी, जो अब प्रकाशना की जा रही है, إِذْ أَوْحَيْنَا إِلَى أُمِّكَ مَا يُوحَى
39 कि उसको सन्दूक में रख दे; फिर उसे दरिया में डाल दे; फिर दरिया उसे तट पर डाल दे कि उसे मेरा शत्रु और उसका शत्रु उठा ले। मैंने अपनी ओर से तुझपर अपना प्रेम डाला। (ताकि तू सुरक्षित रहे) और ताकि मेरी आँख के सामने तेरा पालन-पोषण हो أَنِ اقْذِفِيهِ فِي التَّابُوتِ فَاقْذِفِيهِ فِي الْيَمِّ فَلْيُلْقِهِ الْيَمُّ بِالسَّاحِلِ يَأْخُذْهُ عَدُوٌّ لِّي وَعَدُوٌّ لَّهُ وَأَلْقَيْتُ عَلَيْكَ مَحَبَّةً مِّنِّي وَلِتُصْنَعَ عَلَى عَيْنِي
40 याद कर जबकि तेरी बहन जाती और कहती थी, क्या मैं तुम्हें उसका पता बता दूँ जो इसका पालन-पोषण अपने ज़िम्मे ले ले? इस प्रकार हमने फिर तुझे तेरी माँ के पास पहुँचा दिया, ताकि उसकी आँख ठंड़ी हो और वह शोकाकुल न हो। और हमने तुझे भली-भाँति परखा। फिर तू कई वर्ष मदयन के लोगों में ठहरा रहा। फिर ऐ मूसा! तू ख़ास समय पर आ गया है إِذْ تَمْشِي أُخْتُكَ فَتَقُولُ هَلْ أَدُلُّكُمْ عَلَى مَن يَكْفُلُهُ فَرَجَعْنَاكَ إِلَى أُمِّكَ كَيْ تَقَرَّ عَيْنُهَا وَلَا تَحْزَنَ وَقَتَلْتَ نَفْسًا فَنَجَّيْنَاكَ مِنَ الْغَمِّ وَفَتَنَّاكَ فُتُونًا فَلَبِثْتَ سِنِينَ فِي أَهْلِ مَدْيَنَ ثُمَّ جِئْتَ عَلَى قَدَرٍ يَا مُوسَى
41 हमने तुझे अपने लिए तैयार किया है وَاصْطَنَعْتُكَ لِنَفْسِي
42 जो, तू और तेरी भाई मेरी निशानियो के साथ; और मेरी याद में ढ़ीले मत पड़ना اذْهَبْ أَنتَ وَأَخُوكَ بِآيَاتِي وَلَا تَنِيَا فِي ذِكْرِي
43 जाओ दोनों, फ़िरऔन के पास, वह सरकश हो गया है اذْهَبَا إِلَى فِرْعَوْنَ إِنَّهُ طَغَى
44 उससे नर्म बात करना, कदाचित वह ध्यान दे या डरे।" فَقُولَا لَهُ قَوْلًا لَّيِّنًا لَّعَلَّهُ يَتَذَكَّرُ أَوْ يَخْشَى
45 दोनों ने कहा, "ऐ हमारे रब! हमें इसका भय है कि वह हमपर ज़्यादती करे या सरकशी करने लग जाए।" قَالَا رَبَّنَا إِنَّنَا نَخَافُ أَن يَفْرُطَ عَلَيْنَا أَوْ أَن يَطْغَى
46 कहा, "डरो नहीं, मै तुम्हारे साथ हूँ। सुनता और देखता हूँ قَالَ لَا تَخَافَا إِنَّنِي مَعَكُمَا أَسْمَعُ وَأَرَى
47 अतः जाओ, उसके पास और कहो, हम तेरे रब के रसूल है। इसराईल की सन्तान को हमारे साथ भेज दे। और उन्हें यातना न दे। हम तेरे पास तेरे रब की निशानी लेकर आए है। और सलामती है उसके लिए जो संमार्ग का अनुसरण करे! فَأْتِيَاهُ فَقُولَا إِنَّا رَسُولَا رَبِّكَ فَأَرْسِلْ مَعَنَا بَنِي إِسْرَائِيلَ وَلَا تُعَذِّبْهُمْ قَدْ جِئْنَاكَ بِآيَةٍ مِّن رَّبِّكَ وَالسَّلَامُ عَلَى مَنِ اتَّبَعَ الْهُدَى
48 निस्संदेह हमारी ओर प्रकाशना हुई है कि यातना उसके लिए है, जो झुठलाए और मुँह फेरे।" إِنَّا قَدْ أُوحِيَ إِلَيْنَا أَنَّ الْعَذَابَ عَلَى مَن كَذَّبَ وَتَوَلَّى
49 उसने कहा, "अच्छा, तुम दोनों का रब कौन है, मूसा?" قَالَ فَمَن رَّبُّكُمَا يَا مُوسَى
50 कहा, "हमारा रब वह है जिसने हर चीज़ को उसकी आकृति दी, फिर तदनुकूव निर्देशन किया।" قَالَ رَبُّنَا الَّذِي أَعْطَى كُلَّ شَيْءٍ خَلْقَهُ ثُمَّ هَدَى
51 उसने कहा, "अच्छा तो उन नस्लों का क्या हाल है, जो पहले थी?" قَالَ فَمَا بَالُ الْقُرُونِ الْأُولَى
52 कहा, "उसका ज्ञान मेरे रब के पास एक किताब में सुरक्षित है। मेरा रब न चूकता है और न भूलता है।" قَالَ عِلْمُهَا عِندَ رَبِّي فِي كِتَابٍ لَّا يَضِلُّ رَبِّي وَلَا يَنسَى
53 "वही है जिसने तुम्हारे लिए धरती को पालना (बिछौना) बनाया और उसने तुम्हारे लिए रास्ते निकाले और आकाश से पानी उतारा। फिर हमने उसके द्वारा विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे निकाले الَّذِي جَعَلَ لَكُمُ الْأَرْضَ مَهْدًا وَسَلَكَ لَكُمْ فِيهَا سُبُلًا وَأَنزَلَ مِنَ السَّمَاء مَاء فَأَخْرَجْنَا بِهِ أَزْوَاجًا مِّن نَّبَاتٍ شَتَّى
54 खाओ और अपने चौपायों को भी चराओ! निस्संदेह इसमें बुद्धिमानों के लिए बहुत-सी निशानियाँ है كُلُوا وَارْعَوْا أَنْعَامَكُمْ إِنَّ فِي ذَلِكَ لَآيَاتٍ لِّأُوْلِي النُّهَى
55 उसी से हमने तुम्हें पैदा किया और उसी में हम तुम्हें लौटाते है और उसी से तुम्हें दूसरी बार निकालेंगे।" مِنْهَا خَلَقْنَاكُمْ وَفِيهَا نُعِيدُكُمْ وَمِنْهَا نُخْرِجُكُمْ تَارَةً أُخْرَى
56 और हमने फ़िरऔन को अपनी सब निशानियाँ दिखाई, किन्तु उसने झुठलाया और इनकार किया।- وَلَقَدْ أَرَيْنَاهُ آيَاتِنَا كُلَّهَا فَكَذَّبَ وَأَبَى
57 उसने कहा, "ऐ मूसा! क्या तू हमारे पास इसलिए आया है कि अपने जादू से हमको हमारे अपने भूभाग से निकाल दे? قَالَ أَجِئْتَنَا لِتُخْرِجَنَا مِنْ أَرْضِنَا بِسِحْرِكَ يَا مُوسَى
58 अच्छा, हम भी तेरे पास ऐसा ही जादू लाते है। अब हमारे और अपने बीच एक निश्चित स्थान ठहरा ले, कोई बीच की जगह, न हम इसके विरुद्ध जाएँ और न तू।" فَلَنَأْتِيَنَّكَ بِسِحْرٍ مِّثْلِهِ فَاجْعَلْ بَيْنَنَا وَبَيْنَكَ مَوْعِدًا لَّا نُخْلِفُهُ نَحْنُ وَلَا أَنتَ مَكَانًا سُوًى
59 कहा, "उत्सव का दिन तुम्हारे वादे का है और यह कि लोग दिन चढ़े इकट्ठे हो जाएँ।" قَالَ مَوْعِدُكُمْ يَوْمُ الزِّينَةِ وَأَن يُحْشَرَ النَّاسُ ضُحًى
60 तब फ़िरऔन ने पलटकर अपने सारे हथकंडे जुटाए। और आ गया فَتَوَلَّى فِرْعَوْنُ فَجَمَعَ كَيْدَهُ ثُمَّ أَتَى
61 मूसा ने उन लोगों से कहा, "तबाही है तुम्हारी; झूठ घड़कर अल्लाह पर न थोपो कि वह तुम्हें एक यातना से विनष्ट कर दे और झूठ जिस किसी ने भी घड़कर थोपा, वह असफल रहा।" قَالَ لَهُم مُّوسَى وَيْلَكُمْ لَا تَفْتَرُوا عَلَى اللَّهِ كَذِبًا فَيُسْحِتَكُمْ بِعَذَابٍ وَقَدْ خَابَ مَنِ افْتَرَى
62 इसपर उन्होंने परस्पर बड़ा मतभेद किया औऱ और चुपके-चुपके कानाफूसी की فَتَنَازَعُوا أَمْرَهُم بَيْنَهُمْ وَأَسَرُّوا النَّجْوَى
63 कहने लगे, "ये दोनों जादूगर है, चाहते है कि अपने जादू से तुम्हें तुम्हारे भूभाग से निकाल बाहर करें। और तुम्हारी उत्तम और उच्च प्रणाली को तहस-नहस करके रख दे।" قَالُوا إِنْ هَذَانِ لَسَاحِرَانِ يُرِيدَانِ أَن يُخْرِجَاكُم مِّنْ أَرْضِكُم بِسِحْرِهِمَا وَيَذْهَبَا بِطَرِيقَتِكُمُ الْمُثْلَى
64 अतः तुम सब मिलकर अपना उपाय जुटा लो, फिर पंक्तिबद्ध होकर आओ। आज तो प्रभावी रहा, वही सफल है।" فَأَجْمِعُوا كَيْدَكُمْ ثُمَّ ائْتُوا صَفًّا وَقَدْ أَفْلَحَ الْيَوْمَ مَنِ اسْتَعْلَى
65 वे बोले, "ऐ मूसा! या तो तुम फेंको या फिर हम पहले फेंकते हैं।" قَالُوا يَا مُوسَى إِمَّا أَن تُلْقِيَ وَإِمَّا أَن نَّكُونَ أَوَّلَ مَنْ أَلْقَى
66 कहा, "नहीं, बल्कि तुम्हीं फेंको।" फिर अचानक क्या देखते है कि उनकी रस्सियाँ और लाठियाँ उनके जादू से उनके ख़याल में दौड़ती हुई प्रतीत हुई قَالَ بَلْ أَلْقُوا فَإِذَا حِبَالُهُمْ وَعِصِيُّهُمْ يُخَيَّلُ إِلَيْهِ مِن سِحْرِهِمْ أَنَّهَا تَسْعَى
67 और मूसा अपने जी में डरा فَأَوْجَسَ فِي نَفْسِهِ خِيفَةً مُّوسَى
68 हमने कहा, "मत डर! निस्संदेह तू ही प्रभावी रहेगा। قُلْنَا لَا تَخَفْ إِنَّكَ أَنتَ الْأَعْلَى
69 और डाल दे जो तेरे दाहिने हाथ में है। जो कुछ उन्होंने रचा है, वह उसे निगल जाएगा। जो कुछ उन्होंने रचा है, वह तो बस जादूगर का स्वांग है और जादूगर सफल नहीं होता, चाहे वह जैसे भी आए।" وَأَلْقِ مَا فِي يَمِينِكَ تَلْقَفْ مَا صَنَعُوا إِنَّمَا صَنَعُوا كَيْدُ سَاحِرٍ وَلَا يُفْلِحُ السَّاحِرُ حَيْثُ أَتَى
70 अन्ततः जादूगर सजदे में गिर पड़े, बोले, "हम हारून और मूसा के रब पर ईमान ले आए।" فَأُلْقِيَ السَّحَرَةُ سُجَّدًا قَالُوا آمَنَّا بِرَبِّ هَارُونَ وَمُوسَى
71 उसने कहा, "तुमने मान लिया उसको, इससे पहले कि मैं तुम्हें इसकी अनुज्ञा देता? निश्चय ही यह तुम सबका प्रमुख है, जिसने जादू सिखाया है। अच्छा, अब मैं तुम्हारा हाथ और पाँव विपरीत दिशाओं से कटवा दूँगा और खंजूर के तनों पर तुम्हें सूली दे दूँगा। तब तुम्हें अवश्य ही मालूम हो जाएगा कि हममें से किसकी यातना अधिक कठोर और स्थायी है!" قَالَ آمَنتُمْ لَهُ قَبْلَ أَنْ آذَنَ لَكُمْ إِنَّهُ لَكَبِيرُكُمُ الَّذِي عَلَّمَكُمُ السِّحْرَ فَلَأُقَطِّعَنَّ أَيْدِيَكُمْ وَأَرْجُلَكُم مِّنْ خِلَافٍ وَلَأُصَلِّبَنَّكُمْ فِي جُذُوعِ النَّخْلِ وَلَتَعْلَمُنَّ أَيُّنَا أَشَدُّ عَذَابًا وَأَبْقَى
72 उन्होंने कहा, "जो स्पष्ट निशानियाँ हमारे सामने आ चुकी है उनके मुक़ाबले में सौगंध है उस सत्ता की, जिसने हमें पैदा किया है, हम कदापि तुझे प्राथमिकता नहीं दे सकते। तो जो कुछ तू फ़ैसला करनेवाला है, कर ले। तू बस इसी सांसारिक जीवन का फ़ैसला कर सकता है قَالُوا لَن نُّؤْثِرَكَ عَلَى مَا جَاءنَا مِنَ الْبَيِّنَاتِ وَالَّذِي فَطَرَنَا فَاقْضِ مَا أَنتَ قَاضٍ إِنَّمَا تَقْضِي هَذِهِ الْحَيَاةَ الدُّنْيَا
73 हम तो अपने रब पर ईमान ले आए, ताकि वह हमारी खताओं को माफ़ कर दे औऱ इस जादू को भी जिसपर तूने हमें बाध्य किया। अल्लाह की उत्तम और शेष रहनेवाला है।" - إِنَّا آمَنَّا بِرَبِّنَا لِيَغْفِرَ لَنَا خَطَايَانَا وَمَا أَكْرَهْتَنَا عَلَيْهِ مِنَ السِّحْرِ وَاللَّهُ خَيْرٌ وَأَبْقَى
74 सत्य यह है कि जो कोई अपने रब के पास अपराधी बनकर आया उसके लिए जहन्नम है, जिसमें वह न मरेगा और न जिएगा إِنَّهُ مَن يَأْتِ رَبَّهُ مُجْرِمًا فَإِنَّ لَهُ جَهَنَّمَ لَا يَمُوتُ فِيهَا وَلَا يَحْيى
75 और जो कोई उसके पास मोमिन होकर आया, जिसने अच्छे कर्म किए होंगे, तो ऐसे लोगों के लिए तो ऊँचे दर्जें है وَمَنْ يَأْتِهِ مُؤْمِنًا قَدْ عَمِلَ الصَّالِحَاتِ فَأُوْلَئِكَ لَهُمُ الدَّرَجَاتُ الْعُلَى
76 अदन के बाग़ है, जिनके नीचें नहरें बहती होंगी। उनमें वे सदैव रहेंगे। यह बदला है उसका जिसने स्वयं को विकसित किया-- جَنَّاتُ عَدْنٍ تَجْرِي مِن تَحْتِهَا الْأَنْهَارُ خَالِدِينَ فِيهَا وَذَلِكَ جَزَاء مَن تَزَكَّى
77 और हमने मूसा की ओर प्रकाशना की, "रातों रात मेरे बन्दों को लेकर निकल पड़, और उनके लिए दरिया में सूखा मार्ग निकाल ले। न तो तुझे पीछा किए जाने औऱ न पकड़े जाने का भय हो और न किसी अन्य चीज़ से तुझे डर लगे।" وَلَقَدْ أَوْحَيْنَا إِلَى مُوسَى أَنْ أَسْرِ بِعِبَادِي فَاضْرِبْ لَهُمْ طَرِيقًا فِي الْبَحْرِ يَبَسًا لَّا تَخَافُ دَرَكًا وَلَا تَخْشَى
78 फ़िरऔन ने अपनी सेना के साथ उनका पीछा किया। अन्ततः पानी उनपर छा गया, जैसाकि उसे उनपर छा जाना था فَأَتْبَعَهُمْ فِرْعَوْنُ بِجُنُودِهِ فَغَشِيَهُم مِّنَ الْيَمِّ مَا غَشِيَهُمْ
79 फ़िरऔन ने अपनी क़ौम को पथभ्रष्ट किया और मार्ग न दिखाया وَأَضَلَّ فِرْعَوْنُ قَوْمَهُ وَمَا هَدَى
80 ऐ ईसराईल की सन्तान! हमने तुम्हें तुम्हारे शत्रु से छुटकारा दिया और तुमसे तूर के दाहिने छोर का वादा किया और तुमपर मग्न और सलवा उतारा, يَا بَنِي إِسْرَائِيلَ قَدْ أَنجَيْنَاكُم مِّنْ عَدُوِّكُمْ وَوَاعَدْنَاكُمْ جَانِبَ الطُّورِ الْأَيْمَنَ وَنَزَّلْنَا عَلَيْكُمُ الْمَنَّ وَالسَّلْوَى
81 "खाओ, जो कुछ पाक अच्छी चीज़े हमने तुम्हें प्रदान की है, किन्तु इसमें हद से आगे न बढ़ो कि तुमपर मेरा प्रकोप टूट पड़े और जिस किसी पर मेरा प्रकोप टूटा, वह तो गिरकर ही रहा كُلُوا مِن طَيِّبَاتِ مَا رَزَقْنَاكُمْ وَلَا تَطْغَوْا فِيهِ فَيَحِلَّ عَلَيْكُمْ غَضَبِي وَمَن يَحْلِلْ عَلَيْهِ غَضَبِي فَقَدْ هَوَى
82 और जो तौबा कर ले और ईमान लाए और अच्छा कर्म करे, फिर सीधे मार्ग पर चलता रहे, उसके लिए निश्चय ही मैं अत्यन्त क्षमाशील हूँ।" - وَإِنِّي لَغَفَّارٌ لِّمَن تَابَ وَآمَنَ وَعَمِلَ صَالِحًا ثُمَّ اهْتَدَى
83 "और अपनी क़ौम को छोड़कर तुझे शीघ्र आने पर किस चीज़ ने उभारा, ऐ मूसा?" وَمَا أَعْجَلَكَ عَن قَوْمِكَ يَا مُوسَى
84 उसने कहा, "वे मेरे पीछे ही और मैं जल्दी बढ़कर आया तेरी ओर, ऐ रब! ताकि तू राज़ी हो जाए।" قَالَ هُمْ أُولَاء عَلَى أَثَرِي وَعَجِلْتُ إِلَيْكَ رَبِّ لِتَرْضَى
85 कहा, "अच्छा, तो हमने तेरे पीछे तेरी क़ौम के लोगों को आज़माइश में डाल दिया है। और सामरी ने उन्हें पथभ्रष्ट कर डाला।" قَالَ فَإِنَّا قَدْ فَتَنَّا قَوْمَكَ مِن بَعْدِكَ وَأَضَلَّهُمُ السَّامِرِيُّ
86 तब मूसा अत्यन्त क्रोध और खेद में डूबा हुआ अपनी क़ौम के लोगों की ओर पलटा। कहा, "ऐ मेरी क़ौम के लोगों! क्या तुमसे तुम्हारे रब ने अच्छा वादा नहीं किया था? क्या तुमपर लम्बी मुद्दत गुज़र गई या तुमने यही चाहा कि तुमपर तुम्हारे रब का प्रकोप ही टूटे कि तुमने मेरे वादे के विरुद्ध आचरण किया?" فَرَجَعَ مُوسَى إِلَى قَوْمِهِ غَضْبَانَ أَسِفًا قَالَ يَا قَوْمِ أَلَمْ يَعِدْكُمْ رَبُّكُمْ وَعْدًا حَسَنًا أَفَطَالَ عَلَيْكُمُ الْعَهْدُ أَمْ أَرَدتُّمْ أَن يَحِلَّ عَلَيْكُمْ غَضَبٌ مِّن رَّبِّكُمْ فَأَخْلَفْتُم مَّوْعِدِي
87 उन्होंने कहा, "हमने आपसे किए हुए वादे के विरुद्ध अपने अधिकार से कुछ नहीं किया, बल्कि लोगों के ज़ेवरों के बोझ हम उठाए हुए थे, फिर हमने उनको (आग में) फेंक दिया, सामरी ने इसी तरह प्रेरित किया था।" قَالُوا مَا أَخْلَفْنَا مَوْعِدَكَ بِمَلْكِنَا وَلَكِنَّا حُمِّلْنَا أَوْزَارًا مِّن زِينَةِ الْقَوْمِ فَقَذَفْنَاهَا فَكَذَلِكَ أَلْقَى السَّامِرِيُّ
88 और उसने उनके लिए एक बछड़ा ढालकर निकाला, एक धड़ जिसकी आवाज़ बैल की थी। फिर उन्होंने कहा, "यही तुम्हारा इष्ट-पूज्य है और मूसा का भी इष्ट -पूज्य है, किन्तु वह भूल गया है।" فَأَخْرَجَ لَهُمْ عِجْلًا جَسَدًا لَهُ خُوَارٌ فَقَالُوا هَذَا إِلَهُكُمْ وَإِلَهُ مُوسَى فَنَسِيَ
89 क्या वे देखते न थे कि न वह किसी बात का उत्तर देता है और न उसे उनकी हानि का कुछ अधिकार प्राप्त है और न लाभ का? أَفَلَا يَرَوْنَ أَلَّا يَرْجِعُ إِلَيْهِمْ قَوْلًا وَلَا يَمْلِكُ لَهُمْ ضَرًّا وَلَا نَفْعًا
90 और हारून इससे पहले उनसे कह भी चुका था कि "मेरी क़ौम के लोगों! तुम इसके कारण बस फ़ितने में पड़ गए हो। तुम्हारा रब तो रहमान है। अतः तुम मेरा अनुसरण करो और मेरी बात मानो।" وَلَقَدْ قَالَ لَهُمْ هَارُونُ مِن قَبْلُ يَا قَوْمِ إِنَّمَا فُتِنتُم بِهِ وَإِنَّ رَبَّكُمُ الرَّحْمَنُ فَاتَّبِعُونِي وَأَطِيعُوا أَمْرِي
91 उन्होंने कहा, "जब तक मूसा लौटकर हमारे पास न आ जाए, हम तो इससे ही लगे बैठे रहेंगे।" قَالُوا لَن نَّبْرَحَ عَلَيْهِ عَاكِفِينَ حَتَّى يَرْجِعَ إِلَيْنَا مُوسَى
92 उसने कहा, "ऐ हारून! जब तुमने देखा कि ये पथभ्रष्ट हो गए है, तो किस चीज़ ने तुम्हें रोका قَالَ يَا هَارُونُ مَا مَنَعَكَ إِذْ رَأَيْتَهُمْ ضَلُّوا
93 कि तुमने मेरा अनुसरण न किया? क्या तुमने मेरे आदेश की अवहेलना की?" أَلَّا تَتَّبِعَنِ أَفَعَصَيْتَ أَمْرِي
94 उसने कहा, "ऐ मेरी माँ के बेटे! मेरी दाढ़ी न पकड़ और न मेरा सिर! मैं डरा कि तू कहेंगा कि तूने इसराईल की सन्तान में फूट डाल दी और मेरी बात पर ध्यान न दिया।" قَالَ يَا ابْنَ أُمَّ لَا تَأْخُذْ بِلِحْيَتِي وَلَا بِرَأْسِي إِنِّي خَشِيتُ أَن تَقُولَ فَرَّقْتَ بَيْنَ بَنِي إِسْرَائِيلَ وَلَمْ تَرْقُبْ قَوْلِي
95 (मूसा ने) कहा, "ऐ सामरी! तेरा क्या मामला है?" قَالَ فَمَا خَطْبُكَ يَا سَامِرِيُّ
96 उसने कहा, "मुझे उसकी सूझ प्राप्त हुई, जिसकी सूझ उन्हें प्राप्त॥ न हुई। फिर मैंने रसूल के पद-चिन्ह से एक मुट्ठी उठा ली। फिर उसे डाल दिया और मेरे जी ने मुझे कुछ ऐसा ही सुझाया।" قَالَ بَصُرْتُ بِمَا لَمْ يَبْصُرُوا بِهِ فَقَبَضْتُ قَبْضَةً مِّنْ أَثَرِ الرَّسُولِ فَنَبَذْتُهَا وَكَذَلِكَ سَوَّلَتْ لِي نَفْسِي
97 कहा, "अच्छा, तू जा! अब इस जीवन में तेरे लिए यही है कि कहता रहे, कोई छुए नहीं! और निश्चित वादा है, जो तेरे लिए एक निश्चित वादा है, जो तुझपर से कदापि न टलेगा। और देख अपने इष्ट-पूज्य को जिसपर तू रीझा-जमा बैठा था! हम उसे जला डालेंगे, फिर उसे चूर्ण-विचूर्ण करके दरिया में बिखेर देंगे।" قَالَ فَاذْهَبْ فَإِنَّ لَكَ فِي الْحَيَاةِ أَن تَقُولَ لَا مِسَاسَ وَإِنَّ لَكَ مَوْعِدًا لَّنْ تُخْلَفَهُ وَانظُرْ إِلَى إِلَهِكَ الَّذِي ظَلْتَ عَلَيْهِ عَاكِفًا لَّنُحَرِّقَنَّهُ ثُمَّ لَنَنسِفَنَّهُ فِي الْيَمِّ نَسْفًا
98 "तुम्हारा पूज्य-प्रभु तो बस वही अल्लाह है, जिसके अतिरिक्त कोई पूज्य-प्रभु नहीं। वह अपने ज्ञान से हर चीज़ पर हावी है।" إِنَّمَا إِلَهُكُمُ اللَّهُ الَّذِي لَا إِلَهَ إِلَّا هُوَ وَسِعَ كُلَّ شَيْءٍ عِلْمًا
99 इस प्रकार विगत वृत्तांत हम तुम्हें सुनाते है और हमने तुम्हें अपने पास से एक अनुस्मृति प्रदान की है كَذَلِكَ نَقُصُّ عَلَيْكَ مِنْ أَنبَاء مَا قَدْ سَبَقَ وَقَدْ آتَيْنَاكَ مِن لَّدُنَّا ذِكْرًا
100 जिस किसी ने उससे मुँह मोड़ा, वह निश्चय ही क़ियामत के दिन एक बोझ उठाएगा مَنْ أَعْرَضَ عَنْهُ فَإِنَّهُ يَحْمِلُ يَوْمَ الْقِيَامَةِ وِزْرًا
101 ऐसे दिन सदैव इसी वबाल में पड़े रहेंगे और क़ियामत के दिन उनके हक़ में यह बहुत ही बुरा बोझ सिद्ध होगा خَالِدِينَ فِيهِ وَسَاء لَهُمْ يَوْمَ الْقِيَامَةِ حِمْلًا
102 जिस दिन सूर फूँका जाएगा और हम अपराधियों को उस दिन इस दशा में इकट्ठा करेंगे कि उनकी आँखे नीली पड़ गई होंगी يَوْمَ يُنفَخُ فِي الصُّورِ وَنَحْشُرُ الْمُجْرِمِينَ يَوْمَئِذٍ زُرْقًا
103 वे आपस में चुपके-चुपके कहेंगे कि "तुम बस दस ही दिन ठहरे हो।" يَتَخَافَتُونَ بَيْنَهُمْ إِن لَّبِثْتُمْ إِلَّا عَشْرًا
104 हम भली-भाँति जानते है जो कुछ वे कहेंगे, जबकि उनका सबसे अच्छी सम्मतिवाला कहेगा, "तुम तो बस एक ही दिन ठहरे हो।" نَحْنُ أَعْلَمُ بِمَا يَقُولُونَ إِذْ يَقُولُ أَمْثَلُهُمْ طَرِيقَةً إِن لَّبِثْتُمْ إِلَّا يَوْمًا
105 वे तुमसे पर्वतों के विषय में पूछते है। कह दो, "मेरा रब उन्हें छूल की तरह उड़ा देगा, وَيَسْأَلُونَكَ عَنِ الْجِبَالِ فَقُلْ يَنسِفُهَا رَبِّي نَسْفًا
106 और धरती को एक समतल चटियल मैदान बनाकर छोड़ेगा فَيَذَرُهَا قَاعًا صَفْصَفًا
107 तुम उसमें न कोई सिलवट देखोगे और न ऊँच-नीच।" لَا تَرَى فِيهَا عِوَجًا وَلَا أَمْتًا
108 उस दिन वे पुकारनेवाले के पीछे चल पड़ेंगे और उसके सामने कोई अकड़ न दिखाई जा सकेगी। आवाज़े रहमान के सामने दब जाएँगी। एक हल्की मन्द आवाज़ के अतिरिक्त तुम कुछ न सुनोगे يَوْمَئِذٍ يَتَّبِعُونَ الدَّاعِيَ لَا عِوَجَ لَهُ وَخَشَعَت الْأَصْوَاتُ لِلرَّحْمَنِ فَلَا تَسْمَعُ إِلَّا هَمْسًا
109 उस दिन सिफ़ारिश काम न आएगी। यह और बात है कि किसी के लिए रहमान अनुज्ञा दे और उसके लिए बात करने को पसन्द करे يَوْمَئِذٍ لَّا تَنفَعُ الشَّفَاعَةُ إِلَّا مَنْ أَذِنَ لَهُ الرَّحْمَنُ وَرَضِيَ لَهُ قَوْلًا
110 वह जानता है जो कुछ उनके आगे है और जो कुछ उनके पीछे है, किन्तु वे अपने ज्ञान से उसपर हावी नहीं हो सकते يَعْلَمُ مَا بَيْنَ أَيْدِيهِمْ وَمَا خَلْفَهُمْ وَلَا يُحِيطُونَ بِهِ عِلْمًا
111 चेहरे उस जीवन्त, शाश्वत सत्ता के आगे झुकें होंगे। असफल हुआ वह जिसने ज़ुल्म का बोझ उठाया وَعَنَتِ الْوُجُوهُ لِلْحَيِّ الْقَيُّومِ وَقَدْ خَابَ مَنْ حَمَلَ ظُلْمًا
112 किन्तु जो कोई अच्छे कर्म करे और हो वह मोमिन, तो उसे न तो किसी ज़ुल्म का भय होगा और न हक़ मारे जाने का وَمَن يَعْمَلْ مِنَ الصَّالِحَاتِ وَهُوَ مُؤْمِنٌ فَلَا يَخَافُ ظُلْمًا وَلَا هَضْمًا
113 और इस प्रकार हमने इसे अरबी क़ुरआन के रूप में अवतरित किया है और हमने इसमें तरह-तरह से चेतावनी दी है, ताकि वे डर रखें या यह उन्हें होश दिलाए وَكَذَلِكَ أَنزَلْنَاهُ قُرْآنًا عَرَبِيًّا وَصَرَّفْنَا فِيهِ مِنَ الْوَعِيدِ لَعَلَّهُمْ يَتَّقُونَ أَوْ يُحْدِثُ لَهُمْ ذِكْرًا
114 अतः सर्वोच्च है अल्लाह, सच्चा सम्राट! क़ुरआन के (फ़ैसले के) सिलसिले में जल्दी न करो, जब तक कि वह पूरा न हो जाए। तेरी ओर उसकी प्रकाशना हो रही है। और कहो, "मेरे रब, मुझे ज्ञान में अभिवृद्धि प्रदान कर।" فَتَعَالَى اللَّهُ الْمَلِكُ الْحَقُّ وَلَا تَعْجَلْ بِالْقُرْآنِ مِن قَبْلِ أَن يُقْضَى إِلَيْكَ وَحْيُهُ وَقُل رَّبِّ زِدْنِي عِلْمًا
115 और हमने इससे पहले आदम से वचन लिया था, किन्तु वह भूल गया और हमने उसमें इरादे की मज़बूती न पाई وَلَقَدْ عَهِدْنَا إِلَى آدَمَ مِن قَبْلُ فَنَسِيَ وَلَمْ نَجِدْ لَهُ عَزْمًا
116 और जब हमने फ़रिश्तों से कहा, "आदम को सजदा करो।" तो उन्होंने सजदा किया सिवाय इबलीस के, वह इनकार कर बैठा وَإِذْ قُلْنَا لِلْمَلَائِكَةِ اسْجُدُوا لِآدَمَ فَسَجَدُوا إِلَّا إِبْلِيسَ أَبَى
117 इसपर हमने कहा, "ऐ आदम! निश्चय ही यह तुम्हारा और तुम्हारी पत्नी का शत्रु है। ऐसा न हो कि तुम दोनों को जन्नत से निकलवा दे और तुम तकलीफ़ में पड़ जाओ فَقُلْنَا يَا آدَمُ إِنَّ هَذَا عَدُوٌّ لَّكَ وَلِزَوْجِكَ فَلَا يُخْرِجَنَّكُمَا مِنَ الْجَنَّةِ فَتَشْقَى
118 तुम्हारे लिए तो ऐसा है कि न तुम यहाँ भूखे रहोगे और न नंगे إِنَّ لَكَ أَلَّا تَجُوعَ فِيهَا وَلَا تَعْرَى
119 और यह कि न यहाँ प्यासे रहोगे और न धूप की तकलीफ़ उठाओगे।" وَأَنَّكَ لَا تَظْمَأُ فِيهَا وَلَا تَضْحَى
120 फिर शैतान ने उसे उकसाया। कहने लगा, "ऐ आदम! क्या मैं तुझे शाश्वत जीवन के वृक्ष का पता दूँ और ऐसे राज्य का जो कभी जीर्ण न हो?" فَوَسْوَسَ إِلَيْهِ الشَّيْطَانُ قَالَ يَا آدَمُ هَلْ أَدُلُّكَ عَلَى شَجَرَةِ الْخُلْدِ وَمُلْكٍ لَّا يَبْلَى
121 अन्ततः उन दोनों ने उसमें से खा लिया, जिसके परिणामस्वरूप उनकी छिपाने की चीज़े उनके आगे खुल गई और वे दोनों अपने ऊपर जन्नत के पत्ते जोड-जोड़कर रखने लगे। और आदम ने अपने रब की अवज्ञा की, तो वह मार्ग से भटक गया فَأَكَلَا مِنْهَا فَبَدَتْ لَهُمَا سَوْآتُهُمَا وَطَفِقَا يَخْصِفَانِ عَلَيْهِمَا مِن وَرَقِ الْجَنَّةِ وَعَصَى آدَمُ رَبَّهُ فَغَوَى
122 इसके पश्चात उसके रब ने उसे चुन लिया और दोबारा उसकी ओर ध्यान दिया और उसका मार्गदर्शन किया ثُمَّ اجْتَبَاهُ رَبُّهُ فَتَابَ عَلَيْهِ وَهَدَى
123 कहा, "तुम दोनों के दोनों यहाँ से उतरो! तुम्हारे कुछ लोग कुछ के शत्रु होंगे। फिर यदि मेरी ओर से तुम्हें मार्गदर्शन पहुँचे, तो जिस किसी ने मेरे मार्गदर्शन का अनुपालन किया, वह न तो पथभ्रष्ट होगा और न तकलीफ़ में पड़ेगा قَالَ اهْبِطَا مِنْهَا جَمِيعًا بَعْضُكُمْ لِبَعْضٍ عَدُوٌّ فَإِمَّا يَأْتِيَنَّكُم مِّنِّي هُدًى فَمَنِ اتَّبَعَ هُدَايَ فَلَا يَضِلُّ وَلَا يَشْقَى
124 और जिस किसी ने मेरी स्मृति से मुँह मोडा़ तो उसका जीवन संकीर्ण होगा और क़ियामत के दिन हम उसे अंधा उठाएँगे।" وَمَنْ أَعْرَضَ عَن ذِكْرِي فَإِنَّ لَهُ مَعِيشَةً ضَنكًا وَنَحْشُرُهُ يَوْمَ الْقِيَامَةِ أَعْمَى
125 वह कहेगा, "ऐ मेरे रब! तूने मुझे अंधा क्यों उठाया, जबकि मैं आँखोंवाला था?" قَالَ رَبِّ لِمَ حَشَرْتَنِي أَعْمَى وَقَدْ كُنتُ بَصِيرًا
126 वह कहेगा, "इसी प्रकार (तू संसार में अंधा रहा था) । तेरे पास मेरी आयतें आई थी, तो तूने उन्हें भूला दिया था। उसी प्रकार आज तुझे भुलाया जा रहा है।" قَالَ كَذَلِكَ أَتَتْكَ آيَاتُنَا فَنَسِيتَهَا وَكَذَلِكَ الْيَوْمَ تُنسَى
127 इसी प्रकार हम उसे बदला देते है जो मर्यादा का उल्लंघन करे और अपने रब की आयतों पर ईमान न लाए। और आख़िरत की यातना तो अत्यन्त कठोर और अधिक स्थायी है وَكَذَلِكَ نَجْزِي مَنْ أَسْرَفَ وَلَمْ يُؤْمِن بِآيَاتِ رَبِّهِ وَلَعَذَابُ الْآخِرَةِ أَشَدُّ وَأَبْقَى
128 फिर क्या उनको इससे भी मार्ग न मिला कि हम उनसे पहले कितनी ही नस्लों को विनष्ट कर चुके है, जिनकी बस्तियों में वे चलते-फिरते है? निस्संदेह बुद्धिमानों के लिए इसमें बहुत-सी निशानियाँ है أَفَلَمْ يَهْدِ لَهُمْ كَمْ أَهْلَكْنَا قَبْلَهُم مِّنَ الْقُرُونِ يَمْشُونَ فِي مَسَاكِنِهِمْ إِنَّ فِي ذَلِكَ لَآيَاتٍ لِّأُوْلِي النُّهَى
129 यदि तेरे रब की ओर से पहले ही एक बात निश्चित न हो गई होती और एक अवधि नियत न की जा चुकी होती, तो अवश्य ही उन्हें यातना आ पकड़ती وَلَوْلَا كَلِمَةٌ سَبَقَتْ مِن رَّبِّكَ لَكَانَ لِزَامًا وَأَجَلٌ مُسَمًّى
130 अतः जो कुछ वे कहते है उसपर धैर्य से काम लो और अपने रब का गुणगान करो, सूर्योदय से पहले और उसके डूबने से पहले, और रात की घड़ियों में भी तसबीह करो, और दिन के किनारों पर भी, ताकि तुम राज़ी हो जाओ فَاصْبِرْ عَلَى مَا يَقُولُونَ وَسَبِّحْ بِحَمْدِ رَبِّكَ قَبْلَ طُلُوعِ الشَّمْسِ وَقَبْلَ غُرُوبِهَا وَمِنْ آنَاء اللَّيْلِ فَسَبِّحْ وَأَطْرَافَ النَّهَارِ لَعَلَّكَ تَرْضَى
131 और उसकी ओर आँख उठाकर न देखो, जो कुछ हमने उनमें से विभिन्न लोगों को उपभोग के लिए दे रखा है, ताकि हम उसके द्वारा उन्हें आज़माएँ। वह तो बस सांसारिक जीवन की शोभा है। तुम्हारे रब की रोज़ी उत्तम भी है और स्थायी भी وَلَا تَمُدَّنَّ عَيْنَيْكَ إِلَى مَا مَتَّعْنَا بِهِ أَزْوَاجًا مِّنْهُمْ زَهْرَةَ الْحَيَاةِ الدُّنيَا لِنَفْتِنَهُمْ فِيهِ وَرِزْقُ رَبِّكَ خَيْرٌ وَأَبْقَى
132 और अपने लोगों को नमाज़ का आदेश करो और स्वयं भी उसपर जमे रहो। हम तुमसे कोई रोज़ी नहीं माँगते। रोज़ी हम ही तुम्हें देते है, और अच्छा परिणाम तो धर्मपरायणता ही के लिए निश्चित है وَأْمُرْ أَهْلَكَ بِالصَّلَاةِ وَاصْطَبِرْ عَلَيْهَا لَا نَسْأَلُكَ رِزْقًا نَّحْنُ نَرْزُقُكَ وَالْعَاقِبَةُ لِلتَّقْوَى
133 और वे कहते है कि "यह अपने रब की ओर से हमारे पास कोई निशानी क्यों नहीं लाता?" क्या उनके पास उसका स्पष्ट प्रमाण नहीं आ गया, जो कुछ कि पहले की पुस्तकों में उल्लिखित है? وَقَالُوا لَوْلَا يَأْتِينَا بِآيَةٍ مِّن رَّبِّهِ أَوَلَمْ تَأْتِهِم بَيِّنَةُ مَا فِي الصُّحُفِ الْأُولَى
134 यदि हम उसके पहले इन्हें किसी यातना से विनष्ट कर देते तो ये कहते कि "ऐ हमारे रब, तूने हमारे पास कोई रसूल क्यों न भेजा कि इससे पहले कि हम अपमानित और रुसवा होते, तेरी आयतों का अनुपालन करने लगते?" وَلَوْ أَنَّا أَهْلَكْنَاهُم بِعَذَابٍ مِّن قَبْلِهِ لَقَالُوا رَبَّنَا لَوْلَا أَرْسَلْتَ إِلَيْنَا رَسُولًا فَنَتَّبِعَ آيَاتِكَ مِن قَبْلِ أَن نَّذِلَّ وَنَخْزَى
135 कह दो, "हर एक प्रतीक्षा में है। अतः अब तुम भी प्रतीक्षा करो। शीघ्र ही तुम जान लोगे कि कौन सीधे मार्गवाला है और किनको मार्गदर्शन प्राप्त है।" قُلْ كُلٌّ مُّتَرَبِّصٌ فَتَرَبَّصُوا فَسَتَعْلَمُونَ مَنْ أَصْحَابُ الصِّرَاطِ السَّوِيِّ وَمَنِ اهْتَدَى
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