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Hindi: Muhammad Farooq Khan and Muhammad Ahmed

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# Translation Ayah
1 साद। क़सम है, याददिहानी-वाले क़ुरआन की (जिसमें कोई कमी नहीं कि धर्मविरोधी सत्य को न समझ सकें) ص وَالْقُرْآنِ ذِي الذِّكْرِ
2 बल्कि जिन्होंने इनकार किया वे गर्व और विरोध में पड़े हुए है بَلِ الَّذِينَ كَفَرُوا فِي عِزَّةٍ وَشِقَاقٍ
3 उनसे पहले हमने कितनी ही पीढ़ियों को विनष्ट किया, तो वे लगे पुकारने। किन्तु वह समय हटने-बचने का न था كَمْ أَهْلَكْنَا مِن قَبْلِهِم مِّن قَرْنٍ فَنَادَوْا وَلَاتَ حِينَ مَنَاصٍ
4 उन्होंने आश्चर्य किया इसपर कि उनके पास उन्हीं में से एक सचेतकर्ता आया और इनकार करनेवाले कहने लगे, "यह जादूगर है बड़ा झूठा وَعَجِبُوا أَن جَاءهُم مُّنذِرٌ مِّنْهُمْ وَقَالَ الْكَافِرُونَ هَذَا سَاحِرٌ كَذَّابٌ
5 क्या उसने सारे उपास्यों को अकेला एक उपास्य ठहरा दिया? निस्संदेह यह तो बहुत अचम्भेवाली चीज़ है!" أَجَعَلَ الْآلِهَةَ إِلَهًا وَاحِدًا إِنَّ هَذَا لَشَيْءٌ عُجَابٌ
6 और उनके सरदार (यह कहते हुए) चल खड़े हुए कि "चलते रहो और अपने उपास्यों पर जमें रहो। निस्संदेह यह वांछिच चीज़ है وَانطَلَقَ الْمَلَأُ مِنْهُمْ أَنِ امْشُوا وَاصْبِرُوا عَلَى آلِهَتِكُمْ إِنَّ هَذَا لَشَيْءٌ يُرَادُ
7 यह बात तो हमने पिछले धर्म में सुनी ही नहीं। यह तो बस मनघड़त है مَا سَمِعْنَا بِهَذَا فِي الْمِلَّةِ الْآخِرَةِ إِنْ هَذَا إِلَّا اخْتِلَاقٌ
8 क्या हम सबमें से (चुनकर) इसी पर अनुस्मृति अवतरित हुई है?" नहीं, बल्कि वे मेरी अनुस्मृति के विषय में संदेह में है, बल्कि उन्होंने अभी तक मेरी यातना का मज़ा चखा ही नहीं है أَأُنزِلَ عَلَيْهِ الذِّكْرُ مِن بَيْنِنَا بَلْ هُمْ فِي شَكٍّ مِّن ذِكْرِي بَلْ لَمَّا يَذُوقُوا عَذَابِ
9 या, तेरे प्रभुत्वशाली, बड़े दाता रब की दयालुता के ख़ज़ाने उनके पास है? أَمْ عِندَهُمْ خَزَائِنُ رَحْمَةِ رَبِّكَ الْعَزِيزِ الْوَهَّابِ
10 या, आकाशों और धरती और जो कुछ उनके बीच है, उन सबकी बादशाही उन्हीं की है? फिर तो चाहिए कि वे रस्सियों द्वारा ऊपर चढ़ जाए أَمْ لَهُم مُّلْكُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا فَلْيَرْتَقُوا فِي الْأَسْبَابِ
11 वह एक साधारण सेना है (विनष्ट होनेवाले) दलों में से, वहाँ मात खाना जिसकी नियति है جُندٌ مَّا هُنَالِكَ مَهْزُومٌ مِّنَ الْأَحْزَابِ
12 उनसे पहले नूह की क़ौम और आद और मेखोंवाले फ़िरऔन ने झुठलाया كَذَّبَتْ قَبْلَهُمْ قَوْمُ نُوحٍ وَعَادٌ وَفِرْعَوْنُ ذُو الْأَوْتَادِ
13 और समूद और लूत की क़ौम और 'ऐकावाले' भी, ये है वे दल وَثَمُودُ وَقَوْمُ لُوطٍ وَأَصْحَابُ الأَيْكَةِ أُوْلَئِكَ الْأَحْزَابُ
14 उनमें से प्रत्येक ने रसूलों को झुठलाया, तो मेरी ओर से दंड अवश्यम्भावी होकर रहा إِن كُلٌّ إِلَّا كَذَّبَ الرُّسُلَ فَحَقَّ عِقَابِ
15 इन्हें बस एक चीख की प्रतीक्षा है जिसमें तनिक भी अवकाश न होगा وَمَا يَنظُرُ هَؤُلَاء إِلَّا صَيْحَةً وَاحِدَةً مَّا لَهَا مِن فَوَاقٍ
16 वे कहते है, "ऐ हमारे रब! हिसाब के दिन से पहले ही शीघ्र हमारा हिस्सा दे दे।" وَقَالُوا رَبَّنَا عَجِّل لَّنَا قِطَّنَا قَبْلَ يَوْمِ الْحِسَابِ
17 वे जो कुछ कहते है उसपर धैर्य से काम लो और ज़ोर व शक्तिवाले हमारे बन्दे दाऊद को याद करो। निश्चय ही वह (अल्लाह की ओर) बहुत रुजू करनेवाला था اصْبِرْ عَلَى مَا يَقُولُونَ وَاذْكُرْ عَبْدَنَا دَاوُودَ ذَا الْأَيْدِ إِنَّهُ أَوَّابٌ
18 हमने पर्वतों को उसके साथ वशीभूत कर दिया था कि प्रातःकाल और सन्ध्य समय तसबीह करते रहे। إِنَّا سَخَّرْنَا الْجِبَالَ مَعَهُ يُسَبِّحْنَ بِالْعَشِيِّ وَالْإِشْرَاقِ
19 और पक्षियों को भी, जो एकत्र हो जाते थे। प्रत्येक उसके आगे रुजू रहता وَالطَّيْرَ مَحْشُورَةً كُلٌّ لَّهُ أَوَّابٌ
20 हमने उसका राज्य सुदृढ़ कर दिया था और उसे तत्वदर्शिता प्रदान की थी और निर्णायक बात कहने की क्षमता प्रदान की थी وَشَدَدْنَا مُلْكَهُ وَآتَيْنَاهُ الْحِكْمَةَ وَفَصْلَ الْخِطَابِ
21 और क्या तुम्हें उन विवादियों की ख़बर पहुँची है? जब वे दीवार पर चढ़कर मेहराब (एकान्त कक्ष) मे आ पहुँचे وَهَلْ أَتَاكَ نَبَأُ الْخَصْمِ إِذْ تَسَوَّرُوا الْمِحْرَابَ
22 जब वे दाऊद के पास पहुँचे तो वह उनसे सहम गया। वे बोले, "डरिए नहीं, हम दो विवादी हैं। हममें से एक ने दूसरे पर ज़्यादती की है; तो आप हमारे बीच ठीक-ठीक फ़ैसला कर दीजिए। और बात को दूर न डालिए और हमें ठीक मार्ग बता दीजिए إِذْ دَخَلُوا عَلَى دَاوُودَ فَفَزِعَ مِنْهُمْ قَالُوا لَا تَخَفْ خَصْمَانِ بَغَى بَعْضُنَا عَلَى بَعْضٍ فَاحْكُم بَيْنَنَا بِالْحَقِّ وَلَا تُشْطِطْ وَاهْدِنَا إِلَى سَوَاء الصِّرَاطِ
23 यह मेरा भाई है। इसके पास निन्यानबे दुंबियाँ है और मेरे पास एक दुंबी है। अब इसका कहना है कि इसे भी मुझे सौप दे और बातचीत में इसने मुझे दबा लिया।" إِنَّ هَذَا أَخِي لَهُ تِسْعٌ وَتِسْعُونَ نَعْجَةً وَلِيَ نَعْجَةٌ وَاحِدَةٌ فَقَالَ أَكْفِلْنِيهَا وَعَزَّنِي فِي الْخِطَابِ
24 उसने कहा, "इसने अपनी दुंबियों के साथ तेरी दुंबी को मिला लेने की माँग करके निश्चय ही तुझपर ज़ुल्म किया है। और निस्संदेह बहुत-से साथ मिलकर रहनेवाले एक-दूसरे पर ज़्यादती करते है, सिवाय उन लोगों के जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए। किन्तु ऐसे लोग थोड़े ही है।" अब दाऊद समझ गया कि यह तो हमने उसे परीक्षा में डाला है। अतः उसने अपने रब से क्षमा-याचना की और झुककर (सीधे सजदे में) गिर पड़ा और रुजू हुआ قَالَ لَقَدْ ظَلَمَكَ بِسُؤَالِ نَعْجَتِكَ إِلَى نِعَاجِهِ وَإِنَّ كَثِيراً مِّنْ الْخُلَطَاء لَيَبْغِي بَعْضُهُمْ عَلَى بَعْضٍ إِلَّا الَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ وَقَلِيلٌ مَّا هُمْ وَظَنَّ دَاوُودُ أَنَّمَا فَتَنَّاهُ فَاسْتَغْفَرَ رَبَّهُ وَخَرَّ رَاكِعًا وَأَنَابَ
25 तो हमने उसका वह क़सूर माफ़ कर दिया। और निश्चय ही हमारे यहाँ उसके लिए अनिवार्यतः सामीप्य और उत्तम ठिकाना है فَغَفَرْنَا لَهُ ذَلِكَ وَإِنَّ لَهُ عِندَنَا لَزُلْفَى وَحُسْنَ مَآبٍ
26 "ऐ दाऊद! हमने धरती में तुझे ख़लीफ़ा (उत्तराधिकारी) बनाया है। अतः तू लोगों के बीच हक़ के साथ फ़ैसला करना और अपनी इच्छा का अनुपालन न करना कि वह तुझे अल्लाह के मार्ग से भटका दे। जो लोग अल्लाह के मार्ग से भटकते है, निश्चय ही उनके लिए कठोर यातना है, क्योंकि वे हिसाब के दिन को भूले रहे।- يَا دَاوُودُ إِنَّا جَعَلْنَاكَ خَلِيفَةً فِي الْأَرْضِ فَاحْكُم بَيْنَ النَّاسِ بِالْحَقِّ وَلَا تَتَّبِعِ الْهَوَى فَيُضِلَّكَ عَن سَبِيلِ اللَّهِ إِنَّ الَّذِينَ يَضِلُّونَ عَن سَبِيلِ اللَّهِ لَهُمْ عَذَابٌ شَدِيدٌ بِمَا نَسُوا يَوْمَ الْحِسَابِ
27 हमने आकाश और धरती को और जो कुछ उनके बीच है, व्यर्थ नहीं पैदा किया। यह तो उन लोगों का गुमान है जिन्होंने इनकार किया। अतः आग में झोंके जाने के कारण इनकार करनेवालों की बड़ी दुर्गति है وَمَا خَلَقْنَا السَّمَاء وَالْأَرْضَ وَمَا بَيْنَهُمَا بَاطِلًا ذَلِكَ ظَنُّ الَّذِينَ كَفَرُوا فَوَيْلٌ لِّلَّذِينَ كَفَرُوا مِنَ النَّارِ
28 (क्या हम उनको जो समझते है कि जगत की संरचना व्यर्थ नहीं है, उनके समान कर देंगे जो जगत को निरर्थक मानते है।) या हम उन लोगों को जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए, उनके समान कर देंगे जो धरती में बिगाड़ पैदा करते है; या डर रखनेवालों को हम दुराचारियों जैसा कर देंगे? أَمْ نَجْعَلُ الَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ كَالْمُفْسِدِينَ فِي الْأَرْضِ أَمْ نَجْعَلُ الْمُتَّقِينَ كَالْفُجَّارِ
29 यह एक इसकी आयतों पर सोच-विचार करें और ताकि बुद्धि और समझवाले इससे शिक्षा ग्रहण करें।- كِتَابٌ أَنزَلْنَاهُ إِلَيْكَ مُبَارَكٌ لِّيَدَّبَّرُوا آيَاتِهِ وَلِيَتَذَكَّرَ أُوْلُوا الْأَلْبَابِ
30 और हमने दाऊद को सुलैमान प्रदान किया। वह कितना अच्छा बन्दा था! निश्चय ही वह बहुत ही रुजू रहनेवाला था। وَوَهَبْنَا لِدَاوُودَ سُلَيْمَانَ نِعْمَ الْعَبْدُ إِنَّهُ أَوَّابٌ
31 याद करो, जबकि सन्ध्या समय उसके सामने सधे हुए द्रुतगामी घोड़े हाज़िर किए गए إِذْ عُرِضَ عَلَيْهِ بِالْعَشِيِّ الصَّافِنَاتُ الْجِيَادُ
32 तो उसने कहा, "मैंने इनके प्रति प्रेम अपने रब की याद के कारण अपनाया है।" यहाँ तक कि वे (घोड़े) ओट में छिप गए فَقَالَ إِنِّي أَحْبَبْتُ حُبَّ الْخَيْرِ عَن ذِكْرِ رَبِّي حَتَّى تَوَارَتْ بِالْحِجَابِ
33 "उन्हें मेरे पास वापस लाओ!" फिर वह उनकी पिंडलियों और गरदनों पर हाथ फेरने लगा رُدُّوهَا عَلَيَّ فَطَفِقَ مَسْحًا بِالسُّوقِ وَالْأَعْنَاقِ
34 निश्चय ही हमने सुलैमान को भी परीक्षा में डाला। और हमने उसके तख़्त पर एक धड़ डाल दिया। फिर वह रुजू हुआ وَلَقَدْ فَتَنَّا سُلَيْمَانَ وَأَلْقَيْنَا عَلَى كُرْسِيِّهِ جَسَدًا ثُمَّ أَنَابَ
35 उसने कहा, "ऐ मेरे रब! मुझे क्षमा कर दे और मुझे वह राज्य प्रदान कर, जो मेरे पश्चात किसी के लिए शोभनीय न हो। निश्चय ही तू बड़ा दाता है।" قَالَ رَبِّ اغْفِرْ لِي وَهَبْ لِي مُلْكًا لَّا يَنبَغِي لِأَحَدٍ مِّنْ بَعْدِي إِنَّكَ أَنتَ الْوَهَّابُ
36 तब हमने वायु को उसके लिए वशीभूत कर दिया, जो उसके आदेश से, जहाँ वह पहुँचना चाहता, सरलतापूर्वक चलती थी فَسَخَّرْنَا لَهُ الرِّيحَ تَجْرِي بِأَمْرِهِ رُخَاء حَيْثُ أَصَابَ
37 और शैतानों को भी (वशीभुत कर दिया), प्रत्येक निर्माता और ग़ोताख़ोर को وَالشَّيَاطِينَ كُلَّ بَنَّاء وَغَوَّاصٍ
38 और दूसरों को भी जो ज़जीरों में जकड़े हुए रहत وَآخَرِينَ مُقَرَّنِينَ فِي الْأَصْفَادِ
39 "यह हमारी बेहिसाब देन है। अब एहसान करो या रोको।" هَذَا عَطَاؤُنَا فَامْنُنْ أَوْ أَمْسِكْ بِغَيْرِ حِسَابٍ
40 और निश्चय ही हमारे यहाँ उसके लिए अनिवार्यतः समीप्य और उत्तम ठिकाना है وَإِنَّ لَهُ عِندَنَا لَزُلْفَى وَحُسْنَ مَآبٍ
41 हमारे बन्दे अय्यूब को भी याद करो, जब उसने अपने रब को पुकारा कि "शैतान ने मुझे दुख और पीड़ा पहुँचा रखी है।" وَاذْكُرْ عَبْدَنَا أَيُّوبَ إِذْ نَادَى رَبَّهُ أَنِّي مَسَّنِيَ الشَّيْطَانُ بِنُصْبٍ وَعَذَابٍ
42 "अपना पाँव (धरती पर) मार, यह है ठंडा (पानी) नहाने को और पीने को।" ارْكُضْ بِرِجْلِكَ هَذَا مُغْتَسَلٌ بَارِدٌ وَشَرَابٌ
43 और हमने उसे उसके परिजन दिए और उनके साथ वैसे ही और भी; अपनी ओर से दयालुता के रूप में और बुद्धि और समझ रखनेवालों के लिए शिक्षा के रूप में। وَوَهَبْنَا لَهُ أَهْلَهُ وَمِثْلَهُم مَّعَهُمْ رَحْمَةً مِّنَّا وَذِكْرَى لِأُوْلِي الْأَلْبَابِ
44 "और अपने हाथ में तिनकों का एक मुट्ठा ले और उससे मार और अपनी क़सम न तोड़।" निश्चय ही हमने उसे धैर्यवान पाया, क्या ही अच्छा बन्दा! निस्संदेह वह बड़ा ही रुजू रहनेवाला था وَخُذْ بِيَدِكَ ضِغْثًا فَاضْرِب بِّهِ وَلَا تَحْنَثْ إِنَّا وَجَدْنَاهُ صَابِرًا نِعْمَ الْعَبْدُ إِنَّهُ أَوَّابٌ
45 हमारे बन्दों, इबराहीम और इसहाक़ और याक़ूब को भी याद करो, जो हाथों (शक्ति) और निगाहोंवाले (ज्ञान-चक्षुवाले) थे وَاذْكُرْ عِبَادَنَا إبْرَاهِيمَ وَإِسْحَاقَ وَيَعْقُوبَ أُوْلِي الْأَيْدِي وَالْأَبْصَارِ
46 निस्संदेह हमने उन्हें एक विशिष्ट बात के लिए चुन लिया था और वह वास्तविक घर (आख़िरत) की याद थी إِنَّا أَخْلَصْنَاهُم بِخَالِصَةٍ ذِكْرَى الدَّارِ
47 और निश्चय ही वे हमारे यहाँ चुने हुए नेक लोगों में से है وَإِنَّهُمْ عِندَنَا لَمِنَ الْمُصْطَفَيْنَ الْأَخْيَارِ
48 इसमाईल और अल-यसअ और ज़ुलकिफ़्ल को भी याद करो। इनमें से प्रत्येक ही अच्छा रहा है وَاذْكُرْ إِسْمَاعِيلَ وَالْيَسَعَ وَذَا الْكِفْلِ وَكُلٌّ مِّنْ الْأَخْيَارِ
49 यह एक अनुस्मृति है। और निश्चय ही डर रखनेवालों के लिए अच्छा ठिकाना है هَذَا ذِكْرٌ وَإِنَّ لِلْمُتَّقِينَ لَحُسْنَ مَآبٍ
50 सदैव रहने के बाग़ है, जिनके द्वार उनके लिए खुले होंगे جَنَّاتِ عَدْنٍ مُّفَتَّحَةً لَّهُمُ الْأَبْوَابُ
51 उनमें वे तकिया लगाए हुए होंगे। वहाँ वे बहुत-से मेवे और पेय मँगवाते होंगे مُتَّكِئِينَ فِيهَا يَدْعُونَ فِيهَا بِفَاكِهَةٍ كَثِيرَةٍ وَشَرَابٍ
52 और उनके पास निगाहें बचाए रखनेवाली स्त्रियाँ होंगी, जो समान अवस्था की होंगी وَعِندَهُمْ قَاصِرَاتُ الطَّرْفِ أَتْرَابٌ
53 यह है वह चीज़, जिसका हिसाब के दिन के लिए तुमसे वादा किया जाता है هَذَا مَا تُوعَدُونَ لِيَوْمِ الْحِسَابِ
54 यह हमारा दिया है, जो कभी समाप्त न होगा إِنَّ هَذَا لَرِزْقُنَا مَا لَهُ مِن نَّفَادٍ
55 एक और यह है, किन्तु सरकशों के लिए बहुत बुरा ठिकाना है; هَذَا وَإِنَّ لِلطَّاغِينَ لَشَرَّ مَآبٍ
56 जहन्नम, जिसमें वे प्रवेश करेंगे। तो वह बहुत ही बुरा विश्राम-स्थल है! جَهَنَّمَ يَصْلَوْنَهَا فَبِئْسَ الْمِهَادُ
57 यह है, अब उन्हें इसे चखना है - खौलता हुआ पानी और रक्तयुक्त पीप هَذَا فَلْيَذُوقُوهُ حَمِيمٌ وَغَسَّاقٌ
58 और इसी प्रकार की दूसरी और भी चीज़ें وَآخَرُ مِن شَكْلِهِ أَزْوَاجٌ
59 "यह एक भीड़ है जो तुम्हारे साथ घुसी चली आ रही है। कोई आवभगत उनके लिए नहीं। वे तो आग में पड़नेवाले है।" هَذَا فَوْجٌ مُّقْتَحِمٌ مَّعَكُمْ لَا مَرْحَبًا بِهِمْ إِنَّهُمْ صَالُوا النَّارِ
60 वे कहेंगे, "नहीं, तुम नहीं। तुम्हारे लिए कोई आवभगत नहीं। तुम्ही यह हमारे आगे लाए हो। तो बहुत ही बुरी है यह ठहरने की जगह!" قَالُوا بَلْ أَنتُمْ لَا مَرْحَبًا بِكُمْ أَنتُمْ قَدَّمْتُمُوهُ لَنَا فَبِئْسَ الْقَرَارُ
61 वे कहेंगे, "ऐ हमारे रब! जो हमारे आगे यह (मुसीबत) लाया उसे आग में दोहरी यातना दे!" قَالُوا رَبَّنَا مَن قَدَّمَ لَنَا هَذَا فَزِدْهُ عَذَابًا ضِعْفًا فِي النَّارِ
62 और वे कहेंगे, "क्या बात है कि हम उन लोगों को नहीं देखते जिनकी गणना हम बुरों में करते थे? وَقَالُوا مَا لَنَا لَا نَرَى رِجَالًا كُنَّا نَعُدُّهُم مِّنَ الْأَشْرَارِ
63 क्या हमने यूँ ही उनका मज़ाक बनाया था, यह उनसे निगाहें चूक गई हैं?" أَتَّخَذْنَاهُمْ سِخْرِيًّا أَمْ زَاغَتْ عَنْهُمُ الْأَبْصَارُ
64 निस्संदेह आग में पड़नेवालों का यह आपस का झगड़ा तो अवश्य होना है إِنَّ ذَلِكَ لَحَقٌّ تَخَاصُمُ أَهْلِ النَّارِ
65 कह दो, "मैं तो बस एक सचेत करनेवाला हूँ। कोई पूज्य-प्रभु नहीं सिवाय अल्लाह के, जो अकेला है, सबपर क़ाबू रखनेवाला; قُلْ إِنَّمَا أَنَا مُنذِرٌ وَمَا مِنْ إِلَهٍ إِلَّا اللَّهُ الْوَاحِدُ الْقَهَّارُ
66 आकाशों और धरती का रब है, और जो कुछ इन दोनों के बीच है उसका भी, अत्यन्त प्रभुत्वशाली, बड़ा क्षमाशील।" رَبُّ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا الْعَزِيزُ الْغَفَّارُ
67 कह दो, "वह एक बड़ी ख़बर है, ‘ قُلْ هُوَ نَبَأٌ عَظِيمٌ
68 जिसे तुम ध्यान में नहीं ला रहे हो أَنتُمْ عَنْهُ مُعْرِضُونَ
69 मुझे 'मलए आला' (ऊपरी लोक के फ़रिश्तों) का कोई ज्ञान नहीं था, जब वे वाद-विवाद कर रहे थे مَا كَانَ لِي مِنْ عِلْمٍ بِالْمَلَإِ الْأَعْلَى إِذْ يَخْتَصِمُونَ
70 मेरी ओर तो बस इसलिए प्रकाशना की जाती है कि मैं खुल्लम-खुल्ला सचेत करनेवाला हूँ।" إِن يُوحَى إِلَيَّ إِلَّا أَنَّمَا أَنَا نَذِيرٌ مُّبِينٌ
71 याद करो जब तुम्हारे रब ने फ़रिश्तों से कहा कि "मैं मिट्टी से एक मनुष्य पैदा करनेवाला हूँ إِذْ قَالَ رَبُّكَ لِلْمَلَائِكَةِ إِنِّي خَالِقٌ بَشَرًا مِن طِينٍ
72 तो जब मैं उसको ठीक-ठाक कर दूँ औऱ उसमें अपनी रूह फूँक दूँ, तो तुम उसके आगे सजदे में गिर जाना।" فَإِذَا سَوَّيْتُهُ وَنَفَخْتُ فِيهِ مِن رُّوحِي فَقَعُوا لَهُ سَاجِدِينَ
73 तो सभी फ़रिश्तों ने सजदा किया, सिवाय इबलीस के। فَسَجَدَ الْمَلَائِكَةُ كُلُّهُمْ أَجْمَعُونَ
74 उसने घमंड किया और इनकार करनेवालों में से हो गया إِلَّا إِبْلِيسَ اسْتَكْبَرَ وَكَانَ مِنْ الْكَافِرِينَ
75 कहा, "ऐ इबलीस! तूझे किस चीज़ ने उसको सजदा करने से रोका जिसे मैंने अपने दोनों हाथों से बनाया? क्या तूने घमंड किया, या तू कोई ऊँची हस्ती है?" قَالَ يَا إِبْلِيسُ مَا مَنَعَكَ أَن تَسْجُدَ لِمَا خَلَقْتُ بِيَدَيَّ أَسْتَكْبَرْتَ أَمْ كُنتَ مِنَ الْعَالِينَ
76 उसने कहा, "मैं उससे उत्तम हूँ। तूने मुझे आग से पैदा किया और उसे मिट्टी से पैदा किया।" قَالَ أَنَا خَيْرٌ مِّنْهُ خَلَقْتَنِي مِن نَّارٍ وَخَلَقْتَهُ مِن طِينٍ
77 कहा, "अच्छा, निकल जा यहाँ से, क्योंकि तू धुत्कारा हुआ है قَالَ فَاخْرُجْ مِنْهَا فَإِنَّكَ رَجِيمٌ
78 और निश्चय ही बदला दिए जाने के दिन तक तुझपर मेरी लानत है।" وَإِنَّ عَلَيْكَ لَعْنَتِي إِلَى يَوْمِ الدِّينِ
79 उसने कहा, "ऐ मेरे रब! फिर तू मुझे उस दिन तक के लिए मुहल्लत दे, जबकि लोग (जीवित करके) उठाए जाएँगे।" قَالَ رَبِّ فَأَنظِرْنِي إِلَى يَوْمِ يُبْعَثُونَ
80 कहा, "अच्छा, तुझे निश्चित एवं قَالَ فَإِنَّكَ مِنَ الْمُنظَرِينَ
81 ज्ञात समय तक मुहलत है।" إِلَى يَوْمِ الْوَقْتِ الْمَعْلُومِ
82 उसने कहा, "तेरे प्रताप की सौगन्ध! मैं अवश्य उन सबको बहकाकर रहूँगा, قَالَ فَبِعِزَّتِكَ لَأُغْوِيَنَّهُمْ أَجْمَعِينَ
83 सिवाय उनमें से तेरे उन बन्दों के, जो चुने हुए है।" إِلَّا عِبَادَكَ مِنْهُمُ الْمُخْلَصِينَ
84 कहा, "तो यह सत्य है और मैं सत्य ही कहता हूँ قَالَ فَالْحَقُّ وَالْحَقَّ أَقُولُ
85 कि मैं जहन्नम को तुझसे और उन सबसे भर दूँगा, जिन्होंने उनमें से तेरा अनुसरण किया होगा।" لَأَمْلَأَنَّ جَهَنَّمَ مِنكَ وَمِمَّن تَبِعَكَ مِنْهُمْ أَجْمَعِينَ
86 कह दो, "मैं इसपर तुमसे कोई पारिश्रमिक नहीं माँगता और न मैं बनानट करनेवालों में से हूँ।" قُلْ مَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ وَمَا أَنَا مِنَ الْمُتَكَلِّفِينَ
87 वह तो एक अनुस्मृति है सारे संसारवालों के लिए إِنْ هُوَ إِلَّا ذِكْرٌ لِّلْعَالَمِينَ
88 और थोड़ी ही अवधि के पश्चात उसकी दी हुई ख़बर तुम्हे मालूम हो जाएगी وَلَتَعْلَمُنَّ نَبَأَهُ بَعْدَ حِينٍ
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