Fatir

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Hindi: Muhammad Farooq Khan and Muhammad Ahmed

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# Translation Ayah
1 सब प्रशंसा अल्लाह के लिए है, जो आकाशों और धरती का पैदा करनेवाला है। दो-दो, तीन-तीन और चार-चार फ़रिश्तों को बाज़ुओंवालों सन्देशवाहक बनाकर नियुक्त करता है। वह संरचना में जैसी चाहता है, अभिवृद्धि करता है। निश्चय ही अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है الْحَمْدُ لِلَّهِ فَاطِرِ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ جَاعِلِ الْمَلَائِكَةِ رُسُلًا أُولِي أَجْنِحَةٍ مَّثْنَى وَثُلَاثَ وَرُبَاعَ يَزِيدُ فِي الْخَلْقِ مَا يَشَاء إِنَّ اللَّهَ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ
2 अल्लाह जो दयालुता लोगों के लिए खोल दे उसे कोई रोकनेवाला नहीं और जिसे वह रोक ले तो उसके बाद उसे कोई जारी करनेवाला भी नहीं। वह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है مَا يَفْتَحِ اللَّهُ لِلنَّاسِ مِن رَّحْمَةٍ فَلَا مُمْسِكَ لَهَا وَمَا يُمْسِكْ فَلَا مُرْسِلَ لَهُ مِن بَعْدِهِ وَهُوَ الْعَزِيزُ الْحَكِيمُ
3 ऐ लोगो! अल्लाह की तुमपर जो अनुकम्पा है, उसे याद करो। क्या अल्लाह के सिवा कोई और पैदा करनेवाला है, जो तुम्हें आकाश और धरती से रोज़ी देता हो? उसके सिवा कोई पूज्य-प्रभु नहीं। तो तुम कहाँ से उलटे भटके चले जा रहे हो? يَا أَيُّهَا النَّاسُ اذْكُرُوا نِعْمَتَ اللَّهِ عَلَيْكُمْ هَلْ مِنْ خَالِقٍ غَيْرُ اللَّهِ يَرْزُقُكُم مِّنَ السَّمَاء وَالْأَرْضِ لَا إِلَهَ إِلَّا هُوَ فَأَنَّى تُؤْفَكُونَ
4 और यदि वे तुम्हें झुठलाते तो तुमसे पहले भी कितने ही रसूल झुठलाए जा चुके है। सारे मामले अल्लाह ही की ओर पलटते हैं وَإِن يُكَذِّبُوكَ فَقَدْ كُذِّبَتْ رُسُلٌ مِّن قَبْلِكَ وَإِلَى اللَّهِ تُرْجَعُ الأمُورُ
5 ऐ लोगों! निश्चय ही अल्लाह का वादा सच्चा है। अतः सांसारिक जीवन तुम्हें धोखे में न डाले और न वह धोखेबाज़ अल्लाह के विषय में तुम्हें धोखा दे يَا أَيُّهَا النَّاسُ إِنَّ وَعْدَ اللَّهِ حَقٌّ فَلَا تَغُرَّنَّكُمُ الْحَيَاةُ الدُّنْيَا وَلَا يَغُرَّنَّكُم بِاللَّهِ الْغَرُورُ
6 निश्चय ही शैतान तुम्हारा शत्रु है। अतः तुम उसे शत्रु ही समझो। वह तो अपने गिरोह को केवल इसी लिए बुला रहा है कि वे दहकती आगवालों में सम्मिलित हो जाएँ إِنَّ الشَّيْطَانَ لَكُمْ عَدُوٌّ فَاتَّخِذُوهُ عَدُوًّا إِنَّمَا يَدْعُو حِزْبَهُ لِيَكُونُوا مِنْ أَصْحَابِ السَّعِيرِ
7 वे लोग है कि जिन्होंने इनकार किया उनके लिए कठोर यातना है। किन्तु जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए उनके लिए क्षमा और बड़ा प्रतिदान है الَّذِينَ كَفَرُوا لَهُمْ عَذَابٌ شَدِيدٌ وَالَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ لَهُم مَّغْفِرَةٌ وَأَجْرٌ كَبِيرٌ
8 फिर क्या वह व्यक्ति जिसके लिए उसका बुरा कर्म सुहाना बना दिया गया हो और वह उसे अच्छा दिख रहा हो (तो क्या वह बुराई को छोड़ेगा)? निश्चय ही अल्लाह जिसे चाहता है मार्ग से वंचित रखता है और जिसे चाहता है सीधा मार्ग दिखाता है। अतः उनपर अफ़सोस करते-करते तुम्हारी जान न जाती रहे। अल्लाह भली-भाँति जानता है जो कुछ वे रच रहे है أَفَمَن زُيِّنَ لَهُ سُوءُ عَمَلِهِ فَرَآهُ حَسَنًا فَإِنَّ اللَّهَ يُضِلُّ مَن يَشَاء وَيَهْدِي مَن يَشَاء فَلَا تَذْهَبْ نَفْسُكَ عَلَيْهِمْ حَسَرَاتٍ إِنَّ اللَّهَ عَلِيمٌ بِمَا يَصْنَعُونَ
9 अल्लाह ही तो है जिसने हवाएँ चलाई फिर वह बादलों को उभारती है, फिर हम उसे किसी शुष्क और निर्जीव भूभाग की ओर ले गए, और उसके द्वारा हमने धरती को उसके मुर्दा हो जाने के पश्चात जीवित कर दिया। इसी प्रकार (लोगों का नए सिरे से) जीवित होकर उठना भी है وَاللَّهُ الَّذِي أَرْسَلَ الرِّيَاحَ فَتُثِيرُ سَحَابًا فَسُقْنَاهُ إِلَى بَلَدٍ مَّيِّتٍ فَأَحْيَيْنَا بِهِ الْأَرْضَ بَعْدَ مَوْتِهَا كَذَلِكَ النُّشُورُ
10 जो कोई प्रभुत्व चाहता हो तो प्रभुत्व तो सारा का सारा अल्लाह के लिए है। उसी की ओर अच्छा-पवित्र बोल चढ़ता है और अच्छा कर्म उसे ऊँचा उठाता है। रहे वे लोग जो बुरी चालें चलते है, उनके लिए कठोर यातना है और उनकी चालबाज़ी मटियामेट होकर रहेगी مَن كَانَ يُرِيدُ الْعِزَّةَ فَلِلَّهِ الْعِزَّةُ جَمِيعًا إِلَيْهِ يَصْعَدُ الْكَلِمُ الطَّيِّبُ وَالْعَمَلُ الصَّالِحُ يَرْفَعُهُ وَالَّذِينَ يَمْكُرُونَ السَّيِّئَاتِ لَهُمْ عَذَابٌ شَدِيدٌ وَمَكْرُ أُوْلَئِكَ هُوَ يَبُورُ
11 अल्लाह ने तुम्हें मिट्टी से पैदा किया, फिर वीर्य से, फिर तुम्हें जोड़े-जोड़े बनाया। उसके ज्ञान के बिना न कोई स्त्री गर्भवती होती है और न जन्म देती है। और जो कोई आयु को प्राप्ति करनेवाला आयु को प्राप्त करता है और जो कुछ उसकी आयु में कमी होती है। अनिवार्यतः यह सब एक किताब में लिखा होता है। निश्चय ही यह सब अल्लाह के लिए अत्यन्त सरल है وَاللَّهُ خَلَقَكُم مِّن تُرَابٍ ثُمَّ مِن نُّطْفَةٍ ثُمَّ جَعَلَكُمْ أَزْوَاجًا وَمَا تَحْمِلُ مِنْ أُنثَى وَلَا تَضَعُ إِلَّا بِعِلْمِهِ وَمَا يُعَمَّرُ مِن مُّعَمَّرٍ وَلَا يُنقَصُ مِنْ عُمُرِهِ إِلَّا فِي كِتَابٍ إِنَّ ذَلِكَ عَلَى اللَّهِ يَسِيرٌ
12 दोनों सागर समान नहीं, यह मीठा सुस्वाद है जिससे प्यास जाती रहे, पीने में रुचिकर। और यह खारा-कडुवा है। और तुम प्रत्येक में से तरोताज़ा माँस खाते हो और आभूषण निकालते हो, जिसे तुम पहनते हो। और तुम नौकाओं को देखते हो कि चीरती हुई उसमें चली जा रही हैं, ताकि तुम उसका उदार अनुग्रह तलाश करो और कदाचित तुम आभारी बनो وَمَا يَسْتَوِي الْبَحْرَانِ هَذَا عَذْبٌ فُرَاتٌ سَائِغٌ شَرَابُهُ وَهَذَا مِلْحٌ أُجَاجٌ وَمِن كُلٍّ تَأْكُلُونَ لَحْمًا طَرِيًّا وَتَسْتَخْرِجُونَ حِلْيَةً تَلْبَسُونَهَا وَتَرَى الْفُلْكَ فِيهِ مَوَاخِرَ لِتَبْتَغُوا مِن فَضْلِهِ وَلَعَلَّكُمْ تَشْكُرُونَ
13 वह रात को दिन में प्रविष्ट करता है और दिन को रात में प्रविष्ट करता हैं। उसने सूर्य और चन्द्रमा को काम में लगा रखा है। प्रत्येक एक नियत समय पूरी करने के लिए चल रहा है। वही अल्लाह तुम्हारा रब है। उसी की बादशाही है। उससे हटकर जिनको तुम पुकारते हो वे एक तिनके के भी मालिक नहीं يُولِجُ اللَّيْلَ فِي النَّهَارِ وَيُولِجُ النَّهَارَ فِي اللَّيْلِ وَسَخَّرَ الشَّمْسَ وَالْقَمَرَ كُلٌّ يَجْرِي لِأَجَلٍ مُّسَمًّى ذَلِكُمُ اللَّهُ رَبُّكُمْ لَهُ الْمُلْكُ وَالَّذِينَ تَدْعُونَ مِن دُونِهِ مَا يَمْلِكُونَ مِن قِطْمِيرٍ
14 यदि तुम उन्हें पुकारो तो वे तुम्हारी पुकार सुनेगे नहीं। और यदि वे सुनते तो भी तुम्हारी याचना स्वीकार न कर सकते और क़ियामत के दिन वे तुम्हारे साझी ठहराने का इनकार कर देंगे। पूरी ख़बर रखनेवाला (अल्लाह) की तरह तुम्हें कोई न बताएगा إِن تَدْعُوهُمْ لَا يَسْمَعُوا دُعَاءكُمْ وَلَوْ سَمِعُوا مَا اسْتَجَابُوا لَكُمْ وَيَوْمَ الْقِيَامَةِ يَكْفُرُونَ بِشِرْكِكُمْ وَلَا يُنَبِّئُكَ مِثْلُ خَبِيرٍ
15 ऐ लोगों! तुम्ही अल्लाह के मुहताज हो और अल्लाह तो निस्पृह, स्वप्रशंसित है يَا أَيُّهَا النَّاسُ أَنتُمُ الْفُقَرَاء إِلَى اللَّهِ وَاللَّهُ هُوَ الْغَنِيُّ الْحَمِيدُ
16 यदि वह चाहे तो तुम्हें हटा दे और एक नई संसृति ले आए إِن يَشَأْ يُذْهِبْكُمْ وَيَأْتِ بِخَلْقٍ جَدِيدٍ
17 और यह अल्लाह के लिए कुछ भी कठिन नहीं وَمَا ذَلِكَ عَلَى اللَّهِ بِعَزِيزٍ
18 कोई बोझ उठानेवाला किसी दूसरे का बोझ न उठाएगा। और यदि कोई कोई से दबा हुआ व्यक्ति अपना बोझ उठाने के लिए पुकारे तो उसमें से कुछ भी न उठाया, यद्यपि वह निकट का सम्बन्धी ही क्यों न हो। तुम तो केवल सावधान कर रहे हो। जो परोक्ष में रहते हुए अपने रब से डरते हैं और नमाज़ के पाबन्द हो चुके है (उनकी आत्मा का विकास हो गया) । और जिसने स्वयं को विकसित किया वह अपने ही भले के लिए अपने आपको विकसित करेगा। और पलटकर जाना तो अल्लाह ही की ओर है وَلَا تَزِرُ وَازِرَةٌ وِزْرَ أُخْرَى وَإِن تَدْعُ مُثْقَلَةٌ إِلَى حِمْلِهَا لَا يُحْمَلْ مِنْهُ شَيْءٌ وَلَوْ كَانَ ذَا قُرْبَى إِنَّمَا تُنذِرُ الَّذِينَ يَخْشَوْنَ رَبَّهُم بِالغَيْبِ وَأَقَامُوا الصَّلَاةَ وَمَن تَزَكَّى فَإِنَّمَا يَتَزَكَّى لِنَفْسِهِ وَإِلَى اللَّهِ الْمَصِيرُ
19 अंधा और आँखोंवाला बराबर नहीं, وَمَا يَسْتَوِي الْأَعْمَى وَالْبَصِيرُ
20 और न अँधेरे और प्रकाश, وَلَا الظُّلُمَاتُ وَلَا النُّورُ
21 और न छाया और धूप وَلَا الظِّلُّ وَلَا الْحَرُورُ
22 और न जीवित और मृत बराबर है। निश्चय ही अल्लाह जिसे चाहता है सुनाता है। तुम उन लोगों को नहीं सुना सकते, जो क़ब्रों में हो। وَمَا يَسْتَوِي الْأَحْيَاء وَلَا الْأَمْوَاتُ إِنَّ اللَّهَ يُسْمِعُ مَن يَشَاء وَمَا أَنتَ بِمُسْمِعٍ مَّن فِي الْقُبُورِ
23 तुम तो बस एक सचेतकर्ता हो إِنْ أَنتَ إِلَّا نَذِيرٌ
24 हमने तुम्हें सत्य के साथ भेजा है, शुभ-सूचना देनेवाला और सचेतकर्ता बनाकर। और जो भी समुदाय गुज़रा है, उसमें अनिवार्यतः एक सचेतकर्ता हुआ है إِنَّا أَرْسَلْنَاكَ بِالْحَقِّ بَشِيرًا وَنَذِيرًا وَإِن مِّنْ أُمَّةٍ إِلَّا خلَا فِيهَا نَذِيرٌ
25 यदि वे तुम्हें झुठलाते है तो जो उनसे पहले थे वे भी झुठला चुके है। उनके रसूल उनके पास स्पष्ट और ज़बूरें और प्रकाशमान किताब लेकर आए थे وَإِن يُكَذِّبُوكَ فَقَدْ كَذَّبَ الَّذِينَ مِن قَبْلِهِمْ جَاءتْهُمْ رُسُلُهُم بِالْبَيِّنَاتِ وَبِالزُّبُرِ وَبِالْكِتَابِ الْمُنِيرِ
26 फिर मैं उन लोगों को, जिन्होंने इनकार किया, पकड़ लिया (तो फिर कैसा रहा मेरा इनकार!) ثُمَّ أَخَذْتُ الَّذِينَ كَفَرُوا فَكَيْفَ كَانَ نَكِيرِ
27 क्या तुमने नहीं देखा कि अल्लाह ने आकाश से पानी बरसाया, फिर उसके द्वारा हमने फल निकाले, जिनके रंग विभिन्न प्रकार के होते है? और पहाड़ो में भी श्वेत और लाल विभिन्न रंगों की धारियाँ पाई जाती है, और भुजंग काली भी أَلَمْ تَرَ أَنَّ اللَّهَ أَنزَلَ مِنَ السَّمَاء مَاء فَأَخْرَجْنَا بِهِ ثَمَرَاتٍ مُّخْتَلِفًا أَلْوَانُهَا وَمِنَ الْجِبَالِ جُدَدٌ بِيضٌ وَحُمْرٌ مُّخْتَلِفٌ أَلْوَانُهَا وَغَرَابِيبُ سُودٌ
28 और मनुष्यों और जानवरों और चौपायों के रंग भी इसी प्रकार भिन्न हैं। अल्लाह से डरते तो उसके वही बन्दे हैं, जो बाख़बर है। निश्चय ही अल्लाह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, क्षमाशील है وَمِنَ النَّاسِ وَالدَّوَابِّ وَالْأَنْعَامِ مُخْتَلِفٌ أَلْوَانُهُ كَذَلِكَ إِنَّمَا يَخْشَى اللَّهَ مِنْ عِبَادِهِ الْعُلَمَاء إِنَّ اللَّهَ عَزِيزٌ غَفُورٌ
29 निश्चय ही जो लोग अल्लाह की किताब पढ़ते हैं, इस हाल मे कि नमाज़ के पाबन्द हैं, और जो कुछ हमने उन्हें दिया है, उसमें से छिपे और खुले ख़र्च किया है, वे एक ऐसे व्यापार की आशा रखते है जो कभी तबाह न होगा إِنَّ الَّذِينَ يَتْلُونَ كِتَابَ اللَّهِ وَأَقَامُوا الصَّلَاةَ وَأَنفَقُوا مِمَّا رَزَقْنَاهُمْ سِرًّا وَعَلَانِيَةً يَرْجُونَ تِجَارَةً لَّن تَبُورَ
30 परिणामस्वरूप वह उन्हें उनके प्रतिदान पूरे-पूरे दे और अपने उदार अनुग्रह से उन्हें और अधिक भी प्रदान करे। निस्संदेह वह बहुत क्षमाशील, अत्यन्त गुणग्राहक है لِيُوَفِّيَهُمْ أُجُورَهُمْ وَيَزِيدَهُم مِّن فَضْلِهِ إِنَّهُ غَفُورٌ شَكُورٌ
31 जो किताब हमने तुम्हारी ओर प्रकाशना द्वारा भेजी है, वही सत्य है। अपने से पहले (की किताबों) की पुष्टि में है। निश्चय ही अल्लाह अपने बन्दों की ख़बर पूरी रखनेवाला, देखनेवाला है وَالَّذِي أَوْحَيْنَا إِلَيْكَ مِنَ الْكِتَابِ هُوَ الْحَقُّ مُصَدِّقًا لِّمَا بَيْنَ يَدَيْهِ إِنَّ اللَّهَ بِعِبَادِهِ لَخَبِيرٌ بَصِيرٌ
32 फिर हमने इस किताब का उत्तराधिकारी उन लोगों को बनाया, जिन्हें हमने अपने बन्दो में से चुन लिया है। अब कोई तो उनमें से अपने आप पर ज़ुल्म करता है और कोई उनमें से मध्य श्रेणी का है और कोई उनमें से अल्लाह के कृपायोग से भलाइयों में अग्रसर है। यही है बड़ी श्रेष्ठता। - ثُمَّ أَوْرَثْنَا الْكِتَابَ الَّذِينَ اصْطَفَيْنَا مِنْ عِبَادِنَا فَمِنْهُمْ ظَالِمٌ لِّنَفْسِهِ وَمِنْهُم مُّقْتَصِدٌ وَمِنْهُمْ سَابِقٌ بِالْخَيْرَاتِ بِإِذْنِ اللَّهِ ذَلِكَ هُوَ الْفَضْلُ الْكَبِيرُ
33 सदैव रहने के बाग है, जिनमें वे प्रवेश करेंगे। वहाँ उन्हें सोने के कंगनों और मोती से आभूषित किया जाएगा। और वहाँ उनका वस्त्र रेशम होगा جَنَّاتُ عَدْنٍ يَدْخُلُونَهَا يُحَلَّوْنَ فِيهَا مِنْ أَسَاوِرَ مِن ذَهَبٍ وَلُؤْلُؤًا وَلِبَاسُهُمْ فِيهَا حَرِيرٌ
34 और वे कहेंगे, "सब प्रशंसा अल्लाह के लिए है, जिसने हमसे ग़म दूर कर दिया। निश्चय ही हमारा रब अत्यन्त क्षमाशील, बड़ा गुणग्राहक है وَقَالُوا الْحَمْدُ لِلَّهِ الَّذِي أَذْهَبَ عَنَّا الْحَزَنَ إِنَّ رَبَّنَا لَغَفُورٌ شَكُورٌ
35 जिसने हमें अपने उदार अनुग्रह से रहने के ऐसे घर में उतारा जहाँ न हमें कोई मशक़्क़त उठानी पड़ती है और न हमें कोई थकान ही आती है।" الَّذِي أَحَلَّنَا دَارَ الْمُقَامَةِ مِن فَضْلِهِ لَا يَمَسُّنَا فِيهَا نَصَبٌ وَلَا يَمَسُّنَا فِيهَا لُغُوبٌ
36 रहे वे लोग जिन्होंने इनकार किया, उनके लिए जहन्नम की आग है, न उनका काम तमाम किया जाएगा कि मर जाएँ और न उनसे उसकी यातना ही कुछ हल्की की जाएगी। हम ऐसा ही बदला प्रत्येक अकृतज्ञ को देते है وَالَّذِينَ كَفَرُوا لَهُمْ نَارُ جَهَنَّمَ لَا يُقْضَى عَلَيْهِمْ فَيَمُوتُوا وَلَا يُخَفَّفُ عَنْهُم مِّنْ عَذَابِهَا كَذَلِكَ نَجْزِي كُلَّ كَفُورٍ
37 वे वहाँ चिल्लाएँगे कि "ऐ हमारे रब! हमें निकाल ले। हम अच्छा कर्म करेंगे, उससे भिन्न जो हम करते रहे।" "क्या हमने तुम्हें इतनी आयु नहीं दी कि जिसमें कोई होश में आना चाहता तो होश में आ जाता? और तुम्हारे पास सचेतकर्ता भी आया था, तो अब मज़ा चखते रहो! ज़ालिमोंं को कोई सहायक नहीं!" وَهُمْ يَصْطَرِخُونَ فِيهَا رَبَّنَا أَخْرِجْنَا نَعْمَلْ صَالِحًا غَيْرَ الَّذِي كُنَّا نَعْمَلُ أَوَلَمْ نُعَمِّرْكُم مَّا يَتَذَكَّرُ فِيهِ مَن تَذَكَّرَ وَجَاءكُمُ النَّذِيرُ فَذُوقُوا فَمَا لِلظَّالِمِينَ مِن نَّصِيرٍ
38 निस्संदेह अल्लाह आकाशों और धरती की छिपी बात को जानता है। वह तो सीनो तक की बात जानता है إِنَّ اللَّهَ عَالِمُ غَيْبِ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ إِنَّهُ عَلِيمٌ بِذَاتِ الصُّدُورِ
39 वही तो है जिसने तुम्हे धरती में ख़लीफ़ा बनाया। अब तो कोई इनकार करेगा, उसके इनकार का वबाल उसी पर है। इनकार करनेवालों का इनकार उनके रब के यहाँ केवल प्रकोप ही को बढ़ाता है, और इनकार करनेवालों का इनकार केवल घाटे में ही अभिवृद्धि करता है هُوَ الَّذِي جَعَلَكُمْ خَلَائِفَ فِي الْأَرْضِ فَمَن كَفَرَ فَعَلَيْهِ كُفْرُهُ وَلَا يَزِيدُ الْكَافِرِينَ كُفْرُهُمْ عِندَ رَبِّهِمْ إِلَّا مَقْتًا وَلَا يَزِيدُ الْكَافِرِينَ كُفْرُهُمْ إِلَّا خَسَارًا
40 कहो, "क्या तुमने अपने ठहराए हुए साझीदारो का अवलोकन भी किया, जिन्हें तुम अल्लाह को छोड़कर पुकारते हो? मुझे दिखाओ उन्होंने धरती का कौन-सा भाग पैदा किया है या आकाशों में उनकी कोई भागीदारी है?" या हमने उन्हें कोई किताब ही है कि उसका कोई स्पष्ट प्रमाण उनके पक्ष में हो? नहीं, बल्कि वे ज़ालिम आपस में एक-दूसरे से केवल धोखे का वादा कर रहे है قُلْ أَرَأَيْتُمْ شُرَكَاءكُمُ الَّذِينَ تَدْعُونَ مِن دُونِ اللَّهِ أَرُونِي مَاذَا خَلَقُوا مِنَ الْأَرْضِ أَمْ لَهُمْ شِرْكٌ فِي السَّمَاوَاتِ أَمْ آتَيْنَاهُمْ كِتَابًا فَهُمْ عَلَى بَيِّنَةٍ مِّنْهُ بَلْ إِن يَعِدُ الظَّالِمُونَ بَعْضُهُم بَعْضًا إِلَّا غُرُورًا
41 अल्लाह ही आकाशों और धरती को थामे हुए है कि वे टल न जाएँ और यदि वे टल जाएँ तो उसके पश्चात कोई भी नहीं जो उन्हें थाम सके। निस्संदेह, वह बहुत सहनशील, क्षमा करनेवाला है إِنَّ اللَّهَ يُمْسِكُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ أَن تَزُولَا وَلَئِن زَالَتَا إِنْ أَمْسَكَهُمَا مِنْ أَحَدٍ مِّن بَعْدِهِ إِنَّهُ كَانَ حَلِيمًا غَفُورًا
42 उन्होंने अल्लाह की कड़ी-कड़ी क़समें खाई थी कि यदि उनके पास कोई सचेतकर्ता आए तो वे समुदायों में से प्रत्येक से बढ़कर सीधे मार्ग पर होंगे। किन्तु जब उनके पास एक सचेतकर्ता आ गया तो इस चीज़ ने धरती में उनके घमंड और बुरी चालों के कारण उनकी नफ़रत ही में अभिवृद्धि की, وَأَقْسَمُوا بِاللَّهِ جَهْدَ أَيْمَانِهِمْ لَئِن جَاءهُمْ نَذِيرٌ لَّيَكُونُنَّ أَهْدَى مِنْ إِحْدَى الْأُمَمِ فَلَمَّا جَاءهُمْ نَذِيرٌ مَّا زَادَهُمْ إِلَّا نُفُورًا
43 हालाँकि बुरी चाल अपने ही लोगों को घेर लेती है। तो अब क्या जो रीति अगलों के सिलसिले में रही है वे बस उसी रीति की प्रतिक्षा कर रहे है? तो तुम अल्लाह की रीति में कदापि कोई परिवर्तन न पाओगे और न तुम अल्लाह की रीति को कभी टलते ही पाओगे اسْتِكْبَارًا فِي الْأَرْضِ وَمَكْرَ السَّيِّئِ وَلَا يَحِيقُ الْمَكْرُ السَّيِّئُ إِلَّا بِأَهْلِهِ فَهَلْ يَنظُرُونَ إِلَّا سُنَّتَ الْأَوَّلِينَ فَلَن تَجِدَ لِسُنَّتِ اللَّهِ تَبْدِيلًا وَلَن تَجِدَ لِسُنَّتِ اللَّهِ تَحْوِيلًا
44 क्या वे धरती में चले-फिरे नहीं कि देखते कि उन लोगों का कैसा परिणाम हुआ है जो उनसे पहले गुज़रे हैं? हालाँकि वे शक्ति में उनसे कही बढ़-चढ़कर थे। अल्लाह ऐसा नहीं कि आकाशों में कोई चीज़ उसे मात कर सके और न धरती ही में। निस्संदेह वह सर्वज्ञ, सामर्थ्यमान है أَوَلَمْ يَسِيرُوا فِي الْأَرْضِ فَيَنظُرُوا كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الَّذِينَ مِن قَبْلِهِمْ وَكَانُوا أَشَدَّ مِنْهُمْ قُوَّةً وَمَا كَانَ اللَّهُ لِيُعْجِزَهُ مِن شَيْءٍ فِي السَّمَاوَاتِ وَلَا فِي الْأَرْضِ إِنَّهُ كَانَ عَلِيمًا قَدِيرًا
45 यदि अल्लाह लोगों को उनकी कमाई के कारण पकड़ने पर आ जाए तो इस धरती की पीठ पर किसी जीवधारी को भी न छोड़े। किन्तु वह उन्हें एक नियत समय तक ढील देता है, फिर जब उनका नियत समय आ जाता है तो निश्चय ही अल्लाह तो अपने बन्दों को देख ही रहा है وَلَوْ يُؤَاخِذُ اللَّهُ النَّاسَ بِمَا كَسَبُوا مَا تَرَكَ عَلَى ظَهْرِهَا مِن دَابَّةٍ وَلَكِن يُؤَخِّرُهُمْ إِلَى أَجَلٍ مُّسَمًّى فَإِذَا جَاء أَجَلُهُمْ فَإِنَّ اللَّهَ كَانَ بِعِبَادِهِ بَصِيرًا
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