Ash-Shu'araa

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Hindi: Muhammad Farooq Khan and Muhammad Ahmed

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# Translation Ayah
1 ता॰ सीन॰ मीम॰ طسم
2 ये स्पष्ट किताब की आयतें है تِلْكَ آيَاتُ الْكِتَابِ الْمُبِينِ
3 शायद इसपर कि वे ईमान नहीं लाते, तुम अपने प्राण ही खो बैठोगे لَعَلَّكَ بَاخِعٌ نَّفْسَكَ أَلَّا يَكُونُوا مُؤْمِنِينَ
4 यदि हम चाहें तो उनपर आकाश से एक निशानी उतार दें। फिर उनकी गर्दनें उसके आगे झुकी रह जाएँ إِن نَّشَأْ نُنَزِّلْ عَلَيْهِم مِّن السَّمَاء آيَةً فَظَلَّتْ أَعْنَاقُهُمْ لَهَا خَاضِعِينَ
5 उनके पास रहमान की ओर से जो नवीन अनुस्मृति भी आती है, वे उससे मुँह फेर ही लेते है وَمَا يَأْتِيهِم مِّن ذِكْرٍ مِّنَ الرَّحْمَنِ مُحْدَثٍ إِلَّا كَانُوا عَنْهُ مُعْرِضِينَ
6 अब जबकि वे झुठला चुके है, तो शीघ्र ही उन्हें उसकी हक़ीकत मालूम हो जाएगी, जिसका वे मज़ाक़ उड़ाते रहे है فَقَدْ كَذَّبُوا فَسَيَأْتِيهِمْ أَنبَاء مَا كَانُوا بِهِ يَسْتَهْزِئُون
7 क्या उन्होंने धरती को नहीं देखा कि हमने उसमें कितने ही प्रकार की उमदा चीज़ें पैदा की है? أَوَلَمْ يَرَوْا إِلَى الْأَرْضِ كَمْ أَنبَتْنَا فِيهَا مِن كُلِّ زَوْجٍ كَرِيمٍ
8 निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है, इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं إِنَّ فِي ذَلِكَ لَآيَةً وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ
9 और निश्चय ही तुम्हारा रब ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ
10 और जबकि तुम्हारे रह ने मूसा को पुकारा कि "ज़ालिम लोगों के पास जा - وَإِذْ نَادَى رَبُّكَ مُوسَى أَنِ ائْتِ الْقَوْمَ الظَّالِمِينَ
11 फ़िरऔन की क़ौम के पास - क्या वे डर नहीं रखते?" قَوْمَ فِرْعَوْنَ أَلَا يَتَّقُونَ
12 उसने कहा, "ऐ मेरे रब! मुझे डर है कि वे मुझे झुठला देंगे, قَالَ رَبِّ إِنِّي أَخَافُ أَن يُكَذِّبُونِ
13 और मेरा सीना घुटता है और मेरी ज़बान नहीं चलती। इसलिए हारून की ओर भी संदेश भेज दे وَيَضِيقُ صَدْرِي وَلَا يَنطَلِقُ لِسَانِي فَأَرْسِلْ إِلَى هَارُونَ
14 और मुझपर उनके यहाँ के एक गुनाह का बोझ भी है। इसलिए मैं डरता हूँ कि वे मुझे मार डालेंगे।" وَلَهُمْ عَلَيَّ ذَنبٌ فَأَخَافُ أَن يَقْتُلُونِ
15 कहा, "कदापि नहीं, तुम दोनों हमारी निशानियाँ लेकर जाओ। हम तुम्हारे साथ है, सुनने को मौजूद है قَالَ كَلَّا فَاذْهَبَا بِآيَاتِنَا إِنَّا مَعَكُم مُّسْتَمِعُونَ
16 अतः तुम दोनो फ़िरऔन को पास जाओ और कहो कि हम सारे संसार के रब के भेजे हुए है فَأْتِيَا فِرْعَوْنَ فَقُولَا إِنَّا رَسُولُ رَبِّ الْعَالَمِينَ
17 कि तू इसराईल की सन्तान को हमारे साथ जाने दे।" أَنْ أَرْسِلْ مَعَنَا بَنِي إِسْرَائِيلَ
18 (फ़िरऔन ने) कहा, "क्या हमने तुझे जबकि तू बच्चा था, अपने यहाँ पाला नहीं था? और तू अपनी अवस्था के कई वर्षों तक हमारे साथ रहा, قَالَ أَلَمْ نُرَبِّكَ فِينَا وَلِيدًا وَلَبِثْتَ فِينَا مِنْ عُمُرِكَ سِنِينَ
19 और तूने अपना वह काम किया, जो किया। तू बड़ा ही कृतघ्न है।" وَفَعَلْتَ فَعْلَتَكَ الَّتِي فَعَلْتَ وَأَنتَ مِنَ الْكَافِرِينَ
20 कहा, ऐसा तो मुझसे उस समय हुआ जबकि मैं चूक गया था قَالَ فَعَلْتُهَا إِذًا وَأَنَا مِنَ الضَّالِّينَ
21 फिर जब मुझे तुम्हारा भय हुआ तो मैं तुम्हारे यहाँ से भाग गया। फिर मेरे रब ने मुझे निर्णय-शक्ति प्रदान की और मुझे रसूलों में सम्मिलित किया فَفَرَرْتُ مِنكُمْ لَمَّا خِفْتُكُمْ فَوَهَبَ لِي رَبِّي حُكْمًا وَجَعَلَنِي مِنَ الْمُرْسَلِينَ
22 यही वह उदार अनुग्रह है जिसका रहमान तू मुझपर जताता है कि तूने इसराईल की सन्तान को ग़ुलाम बना रखा है।" وَتِلْكَ نِعْمَةٌ تَمُنُّهَا عَلَيَّ أَنْ عَبَّدتَّ بَنِي إِسْرَائِيلَ
23 फ़िरऔन ने कहा, "और यह सारे संसार का रब क्या होता है?" قَالَ فِرْعَوْنُ وَمَا رَبُّ الْعَالَمِينَ
24 उसने कहा, "आकाशों और धरती का रब और जो कुछ इन दोनों का मध्य है उसका भी, यदि तुम्हें यकीन हो।" قَالَ رَبُّ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا إن كُنتُم مُّوقِنِينَ
25 उसने अपने आस-पासवालों से कहा, "क्या तुम सुनते नहीं हो?" قَالَ لِمَنْ حَوْلَهُ أَلَا تَسْتَمِعُونَ
26 कहा, "तुम्हारा रब और तुम्हारे अगले बाप-दादा का रब।" قَالَ رَبُّكُمْ وَرَبُّ آبَائِكُمُ الْأَوَّلِينَ
27 बोला, "निश्चय ही तुम्हारा यह रसूल, जो तुम्हारी ओर भेजा गया है, बिलकुल ही पागल है।" قَالَ إِنَّ رَسُولَكُمُ الَّذِي أُرْسِلَ إِلَيْكُمْ لَمَجْنُونٌ
28 उसने कहा, "पूर्व और पश्चिम का रब और जो कुछ उनके बीच है उसका भी, यदि तुम कुछ बुद्धि रखते हो।" قَالَ رَبُّ الْمَشْرِقِ وَالْمَغْرِبِ وَمَا بَيْنَهُمَا إِن كُنتُمْ تَعْقِلُونَ
29 बोला, "यदि तूने मेरे सिवा किसी और को पूज्य एवं प्रभु बनाया, तो मैं तुझे बन्दी बनाकर रहूँगा।" قَالَ لَئِنِ اتَّخَذْتَ إِلَهًا غَيْرِي لَأَجْعَلَنَّكَ مِنَ الْمَسْجُونِينَ
30 उसने कहा, "क्या यदि मैं तेरे पास एक स्पष्ट चीज़ ले आऊँ तब भी?" قَالَ أَوَلَوْ جِئْتُكَ بِشَيْءٍ مُّبِينٍ
31 बोलाः “अच्छा वह ले आ; यदि तू सच्चा है” । قَالَ فَأْتِ بِهِ إِن كُنتَ مِنَ الصَّادِقِينَ
32 फिर उसने अपनी लाठी डाल दी, तो अचानक क्या देखते है कि वह एक प्रत्यक्ष अज़गर है فَأَلْقَى عَصَاهُ فَإِذَا هِيَ ثُعْبَانٌ مُّبِينٌ
33 और उसने अपना हाथ बाहर खींचा तो फिर क्या देखते है कि वह देखनेवालों के सामने चमक रहा है وَنَزَعَ يَدَهُ فَإِذَا هِيَ بَيْضَاء لِلنَّاظِرِينَ
34 उसने अपने आस-पास के सरदारों से कहा, "निश्चय ही यह एक बड़ा ही प्रवीण जादूगर है قَالَ لِلْمَلَإِ حَوْلَهُ إِنَّ هَذَا لَسَاحِرٌ عَلِيمٌ
35 चाहता है कि अपने जादू से तुम्हें तुम्हारी अपनी भूमि से निकाल बाहर करें; तो अब तुम क्या कहते हो?" يُرِيدُ أَن يُخْرِجَكُم مِّنْ أَرْضِكُم بِسِحْرِهِ فَمَاذَا تَأْمُرُونَ
36 उन्होंने कहा, "इसे और इसके भाई को अभी टाले रखिए, और एकत्र करनेवालों को नगरों में भेज दीजिए قَالُوا أَرْجِهِ وَأَخَاهُ وَابْعَثْ فِي الْمَدَائِنِ حَاشِرِينَ
37 कि वे प्रत्येक प्रवीण जादूगर को आपके पास ले आएँ।" يَأْتُوكَ بِكُلِّ سَحَّارٍ عَلِيمٍ
38 अतएव एक निश्चित दिन के नियत समय पर जादूगर एकत्र कर लिए गए فَجُمِعَ السَّحَرَةُ لِمِيقَاتِ يَوْمٍ مَّعْلُومٍ
39 और लोगों से कहा गया, "क्या तुम भी एकत्र होते हो?" وَقِيلَ لِلنَّاسِ هَلْ أَنتُم مُّجْتَمِعُونَ
40 कदाचित हम जादूगरों ही के अनुयायी रह जाएँ, यदि वे विजयी हुए لَعَلَّنَا نَتَّبِعُ السَّحَرَةَ إِن كَانُوا هُمُ الْغَالِبِينَ
41 फिर जब जादूगर आए तो उन्होंने फ़िरऔन से कहा, "क्या हमारे लिए कोई प्रतिदान भी है, यदि हम प्रभावी रहे?" فَلَمَّا جَاء السَّحَرَةُ قَالُوا لِفِرْعَوْنَ أَئِنَّ لَنَا لَأَجْرًا إِن كُنَّا نَحْنُ الْغَالِبِينَ
42 उसने कहा, "हाँ, और निश्चित ही तुम तो उस समय निकटतम लोगों में से हो जाओगे।" قَالَ نَعَمْ وَإِنَّكُمْ إِذًا لَّمِنَ الْمُقَرَّبِينَ
43 मूसा ने उनसे कहा, "डालो, जो कुछ तुम्हें डालना है।" قَالَ لَهُم مُّوسَى أَلْقُوا مَا أَنتُم مُّلْقُونَ
44 तब उन्होंने अपनी रस्सियाँ और लाठियाँ डाल दी और बोले, "फ़िरऔन के प्रताप से हम ही विजयी रहेंगे।" فَأَلْقَوْا حِبَالَهُمْ وَعِصِيَّهُمْ وَقَالُوا بِعِزَّةِ فِرْعَوْنَ إِنَّا لَنَحْنُ الْغَالِبُونَ
45 फिर मूसा ने अपनी लाठी फेकी तो क्या देखते है कि वह उसे स्वाँग को, जो वे रचाते है, निगलती जा रही है فَأَلْقَى مُوسَى عَصَاهُ فَإِذَا هِيَ تَلْقَفُ مَا يَأْفِكُونَ
46 इसपर जादूगर सजदे में गिर पड़े فَأُلْقِيَ السَّحَرَةُ سَاجِدِينَ
47 वे बोल उठे, "हम सारे संसार के रब पर ईमान ले आए - قَالُوا آمَنَّا بِرَبِّ الْعَالَمِينَ
48 मूसा और हारून के रब पर!" رَبِّ مُوسَى وَهَارُونَ
49 उसने कहा, "तुमने उसको मान लिया, इससे पहले कि मैं तुम्हें अनुमति देता। निश्चय ही वह तुम सबका प्रमुख है, जिसने तुमको जादू सिखाया है। अच्छा, शीघ्र ही तुम्हें मालूम हुआ जाता है! मैं तुम्हारे हाथ और पाँव विपरीत दिशाओं से कटवा दूँगा और तुम सभी को सूली पर चढ़ा दूँगा।" قَالَ آمَنتُمْ لَهُ قَبْلَ أَنْ آذَنَ لَكُمْ إِنَّهُ لَكَبِيرُكُمُ الَّذِي عَلَّمَكُمُ السِّحْرَ فَلَسَوْفَ تَعْلَمُونَ لَأُقَطِّعَنَّ أَيْدِيَكُمْ وَأَرْجُلَكُم مِّنْ خِلَافٍ وَلَأُصَلِّبَنَّكُمْ أَجْمَعِينَ
50 उन्होंने कहा, "कुछ हरज नहीं; हम तो अपने रब ही की ओर पलटकर जानेवाले है قَالُوا لَا ضَيْرَ إِنَّا إِلَى رَبِّنَا مُنقَلِبُونَ
51 हमें तो इसी की लालसा है कि हमारा रब हमारी ख़ताओं को क्षमा कर दें, क्योंकि हम सबसे पहले ईमान लाए।" إِنَّا نَطْمَعُ أَن يَغْفِرَ لَنَا رَبُّنَا خَطَايَانَا أَن كُنَّا أَوَّلَ الْمُؤْمِنِينَ
52 हमने मूसा की ओर प्रकाशना की, "मेरे बन्दों को लेकर रातों-रात निकल जा। निश्चय ही तुम्हारा पीछा किया जाएगा।" وَأَوْحَيْنَا إِلَى مُوسَى أَنْ أَسْرِ بِعِبَادِي إِنَّكُم مُّتَّبَعُونَ
53 इसपर फ़िरऔन ने एकत्र करनेवालों को नगर में भेजा فَأَرْسَلَ فِرْعَوْنُ فِي الْمَدَائِنِ حَاشِرِينَ
54 कि "यह गिरे-पड़े थोड़े लोगों का एक गिरोह है, إِنَّ هَؤُلَاء لَشِرْذِمَةٌ قَلِيلُونَ
55 और ये हमें क्रुद्ध कर रहे है। وَإِنَّهُمْ لَنَا لَغَائِظُونَ
56 और हम चौकन्ना रहनेवाले लोग है।" وَإِنَّا لَجَمِيعٌ حَاذِرُونَ
57 इस प्रकार हम उन्हें बाग़ों और स्रोतों فَأَخْرَجْنَاهُم مِّن جَنَّاتٍ وَعُيُونٍ
58 और ख़जानों और अच्छे स्थान से निकाल लाए وَكُنُوزٍ وَمَقَامٍ كَرِيمٍ
59 ऐसा ही हम करते है और इनका वारिस हमने इसराईल की सन्तान को बना दिया كَذَلِكَ وَأَوْرَثْنَاهَا بَنِي إِسْرَائِيلَ
60 सुबह-तड़के उन्होंने उनका पीछा किया فَأَتْبَعُوهُم مُّشْرِقِينَ
61 फिर जब दोनों गिरोहों ने एक-दूसरे को देख लिया तो मूसा के साथियों ने कहा, "हम तो पकड़े गए!" فَلَمَّا تَرَاءى الْجَمْعَانِ قَالَ أَصْحَابُ مُوسَى إِنَّا لَمُدْرَكُونَ
62 उसने कहा, "कदापि नहीं, मेरे साथ मेरा रब है। वह अवश्य मेरा मार्गदर्शन करेगा।" قَالَ كَلَّا إِنَّ مَعِيَ رَبِّي سَيَهْدِينِ
63 तब हमने मूसा की ओर प्रकाशना की, "अपनी लाठी सागर पर मार।" فَأَوْحَيْنَا إِلَى مُوسَى أَنِ اضْرِب بِّعَصَاكَ الْبَحْرَ فَانفَلَقَ فَكَانَ كُلُّ فِرْقٍ كَالطَّوْدِ الْعَظِيمِ
64 और हम दूसरों को भी निकट ले आए وَأَزْلَفْنَا ثَمَّ الْآخَرِينَ
65 हमने मूसा को और उन सबको जो उसके साथ थे, बचा लिया وَأَنجَيْنَا مُوسَى وَمَن مَّعَهُ أَجْمَعِينَ
66 और दूसरों को डूबो दिया ثُمَّ أَغْرَقْنَا الْآخَرِينَ
67 निस्संदेह इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं إِنَّ فِي ذَلِكَ لَآيَةً وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ
68 और निश्चय ही तुम्हारा रब ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ
69 और उन्हें इबराहीम का वृत्तान्त सुनाओ, وَاتْلُ عَلَيْهِمْ نَبَأَ إِبْرَاهِيمَ
70 जबकि उसने अपने बाप और अपनी क़ौंम के लोगों से कहा, "तुम क्या पूजते हो?" إِذْ قَالَ لِأَبِيهِ وَقَوْمِهِ مَا تَعْبُدُونَ
71 उन्होंने कहा, "हम बुतों की पूजा करते है, हम तो उन्हीं की सेवा में लगे रहेंगे।" قَالُوا نَعْبُدُ أَصْنَامًا فَنَظَلُّ لَهَا عَاكِفِينَ
72 उसने कहा, "क्या ये तुम्हारी सुनते है, जब तुम पुकारते हो, قَالَ هَلْ يَسْمَعُونَكُمْ إِذْ تَدْعُونَ
73 या ये तुम्हें कुछ लाभ या हानि पहुँचाते है?" أَوْ يَنفَعُونَكُمْ أَوْ يَضُرُّونَ
74 उन्होंने कहा, "नहीं, बल्कि हमने तो अपने बाप-दादा को ऐसा ही करते पाया है।" قَالُوا بَلْ وَجَدْنَا آبَاءنَا كَذَلِكَ يَفْعَلُونَ
75 उसने कहा, "क्या तुमने उनपर विचार भी किया कि जिन्हें तुम पूजते हो, قَالَ أَفَرَأَيْتُم مَّا كُنتُمْ تَعْبُدُونَ
76 तुम और तुम्हारे पहले के बाप-दादा? أَنتُمْ وَآبَاؤُكُمُ الْأَقْدَمُونَ
77 वे सब तो मेरे शत्रु है, सिवाय सारे संसार के रब के, فَإِنَّهُمْ عَدُوٌّ لِّي إِلَّا رَبَّ الْعَالَمِينَ
78 जिसने मुझे पैदा किया और फिर वही मेरा मार्गदर्शन करता है الَّذِي خَلَقَنِي فَهُوَ يَهْدِينِ
79 और वही है जो मुझे खिलाता और पिलाता है وَالَّذِي هُوَ يُطْعِمُنِي وَيَسْقِينِ
80 और जब मैं बीमार होता हूँ, तो वही मुझे अच्छा करता है وَإِذَا مَرِضْتُ فَهُوَ يَشْفِينِ
81 और वही है जो मुझे मारेगा, फिर मुझे जीवित करेगा وَالَّذِي يُمِيتُنِي ثُمَّ يُحْيِينِ
82 और वही है जिससे मुझे इसकी आकांक्षा है कि बदला दिए जाने के दिन वह मेरी ख़ता माफ़ कर देगा وَالَّذِي أَطْمَعُ أَن يَغْفِرَ لِي خَطِيئَتِي يَوْمَ الدِّينِ
83 ऐ मेरे रब! मुझे निर्णय-शक्ति प्रदान कर और मुझे योग्य लोगों के साथ मिला। رَبِّ هَبْ لِي حُكْمًا وَأَلْحِقْنِي بِالصَّالِحِينَ
84 और बाद के आनेवालों में से मुझे सच्ची ख़्याति प्रदान कर وَاجْعَل لِّي لِسَانَ صِدْقٍ فِي الْآخِرِينَ
85 और मुझे नेमत भरी जन्नत के वारिसों में सम्मिलित कर وَاجْعَلْنِي مِن وَرَثَةِ جَنَّةِ النَّعِيمِ
86 और मेरे बाप को क्षमा कर दे। निश्चय ही वह पथभ्रष्ट लोगों में से है وَاغْفِرْ لِأَبِي إِنَّهُ كَانَ مِنَ الضَّالِّينَ
87 और मुझे उस दिन रुसवा न कर, जब लोग जीवित करके उठाए जाएँगे। وَلَا تُخْزِنِي يَوْمَ يُبْعَثُونَ
88 जिस दिन न माल काम आएगा और न औलाद, يَوْمَ لَا يَنفَعُ مَالٌ وَلَا بَنُونَ
89 सिवाय इसके कि कोई भला-चंगा दिल लिए हुए अल्लाह के पास आया हो।" إِلَّا مَنْ أَتَى اللَّهَ بِقَلْبٍ سَلِيمٍ
90 और डर रखनेवालों के लिए जन्नत निकट लाई जाएगी وَأُزْلِفَتِ الْجَنَّةُ لِلْمُتَّقِينَ
91 और भडकती आग पथभ्रष्टि लोगों के लिए प्रकट कर दी जाएगी وَبُرِّزَتِ الْجَحِيمُ لِلْغَاوِينَ
92 और उनसे कहा जाएगा, "कहाँ है वे जिन्हें तुम अल्लाह को छोड़कर पूजते रहे हो? وَقِيلَ لَهُمْ أَيْنَ مَا كُنتُمْ تَعْبُدُونَ
93 क्या वे तुम्हारी कुछ सहायता कर रहे है या अपना ही बचाव कर सकते है?" مِن دُونِ اللَّهِ هَلْ يَنصُرُونَكُمْ أَوْ يَنتَصِرُونَ
94 फिर वे उसमें औंधे झोक दिए जाएँगे, वे और बहके हुए लोग فَكُبْكِبُوا فِيهَا هُمْ وَالْغَاوُونَ
95 और इबलीस की सेनाएँ, सबके सब। وَجُنُودُ إِبْلِيسَ أَجْمَعُونَ
96 वे वहाँ आपस में झगड़ते हुए कहेंगे, قَالُوا وَهُمْ فِيهَا يَخْتَصِمُونَ
97 "अल्लाह की क़सम! निश्चय ही हम खुली गुमराही में थे تَاللَّهِ إِن كُنَّا لَفِي ضَلَالٍ مُّبِينٍ
98 जबकि हम तुम्हें सारे संसार के रब के बराबर ठहरा रहे थे إِذْ نُسَوِّيكُم بِرَبِّ الْعَالَمِينَ
99 और हमें तो बस उन अपराधियों ने ही पथभ्रष्ट किया وَمَا أَضَلَّنَا إِلَّا الْمُجْرِمُونَ
100 अब न हमारा कोई सिफ़ारिशी है, فَمَا لَنَا مِن شَافِعِينَ
101 और न घनिष्ट मित्र وَلَا صَدِيقٍ حَمِيمٍ
102 क्या ही अच्छा होता कि हमें एक बार फिर पलटना होता, तो हम मोमिनों में से हो जाते!" فَلَوْ أَنَّ لَنَا كَرَّةً فَنَكُونَ مِنَ الْمُؤْمِنِينَ
103 निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकरतर माननेवाले नहीं إِنَّ فِي ذَلِكَ لَآيَةً وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ
104 और निस्संदेह तुम्हारा रब ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ
105 नूह की क़ौम ने रसूलों को झुठलाया; كَذَّبَتْ قَوْمُ نُوحٍ الْمُرْسَلِينَ
106 जबकि उनसे उनके भाई नूह ने कहा, "क्या तुम डर नहीं रखते? إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ نُوحٌ أَلَا تَتَّقُونَ
107 निस्संदेह मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ إِنِّي لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ
108 अतः अल्लाह का डर रखो और मेरा कहा मानो فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ
109 मैं इस काम के बदले तुमसे कोई बदला नहीं माँगता। मेरा बदला तो बस सारे संसार के रब के ज़िम्मे है وَمَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ إِنْ أَجْرِيَ إِلَّا عَلَى رَبِّ الْعَالَمِينَ
110 अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो।" فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ
111 उन्होंने कहा, "क्या हम तेरी बात मान लें, जबकि तेरे पीछे तो अत्यन्त नीच लोग चल रहे है?" قَالُوا أَنُؤْمِنُ لَكَ وَاتَّبَعَكَ الْأَرْذَلُونَ
112 उसने कहा, "मुझे क्या मालूम कि वे क्या करते रहे है? قَالَ وَمَا عِلْمِي بِمَا كَانُوا يَعْمَلُونَ
113 उनका हिसाब तो बस मेरे रब के ज़िम्मे है। क्या ही अच्छा होता कि तुममें चेतना होती। إِنْ حِسَابُهُمْ إِلَّا عَلَى رَبِّي لَوْ تَشْعُرُونَ
114 और मैं ईमानवालों को धुत्कारनेवाला नहीं हूँ। وَمَا أَنَا بِطَارِدِ الْمُؤْمِنِينَ
115 मैं तो बस स्पष्ट रूप से एक सावधान करनेवाला हूँ।" إِنْ أَنَا إِلَّا نَذِيرٌ مُّبِينٌ
116 उन्होंने कहा, "यदि तू बाज़ न आया ऐ नूह, तो तू संगसार होकर रहेगा।" قَالُوا لَئِن لَّمْ تَنتَهِ يَا نُوحُ لَتَكُونَنَّ مِنَ الْمَرْجُومِينَ
117 उसने कहा, "ऐ मेरे रब! मेरी क़ौम के लोगों ने तो मुझे झुठला दिया قَالَ رَبِّ إِنَّ قَوْمِي كَذَّبُونِ
118 अब मेरे और उनके बीच दो टूक फ़ैसला कर दे और मुझे और जो ईमानवाले मेरे साथ है, उन्हें बचा ले!" فَافْتَحْ بَيْنِي وَبَيْنَهُمْ فَتْحًا وَنَجِّنِي وَمَن مَّعِي مِنَ الْمُؤْمِنِينَ
119 अतः हमने उसे और जो उसके साथ भरी हुई नौका में थे बचा लिया فَأَنجَيْنَاهُ وَمَن مَّعَهُ فِي الْفُلْكِ الْمَشْحُونِ
120 और उसके पश्चात शेष लोगों को डूबो दिया ثُمَّ أَغْرَقْنَا بَعْدُ الْبَاقِينَ
121 निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं إِنَّ فِي ذَلِكَ لَآيَةً وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ
122 और निस्संदेह तुम्हारा रब ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ
123 आद ने रसूलों को झूठलाया كَذَّبَتْ عَادٌ الْمُرْسَلِينَ
124 जबकि उनके भाई हूद ने उनसे कहा, "क्या तुम डर नहीं रखते? إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ هُودٌ أَلَا تَتَّقُونَ
125 मैं तो तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ إِنِّي لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ
126 अतः तुम अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा मानो فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ
127 मैं इस काम पर तुमसे कोई प्रतिदान नहीं माँगता। मेरा प्रतिदान तो बस सारे संसार के रब के ज़ि्म्मे है। وَمَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ إِنْ أَجْرِيَ إِلَّا عَلَى رَبِّ الْعَالَمِينَ
128 क्या तुम प्रत्येक उच्च स्थान पर व्यर्थ एक स्मारक का निर्माण करते रहोगे? أَتَبْنُونَ بِكُلِّ رِيعٍ آيَةً تَعْبَثُونَ
129 और भव्य महल बनाते रहोगे, मानो तुम्हें सदैव रहना है? وَتَتَّخِذُونَ مَصَانِعَ لَعَلَّكُمْ تَخْلُدُونَ
130 और जब किसी पर हाथ डालते हो तो बिलकुल निर्दय अत्याचारी बनकर हाथ डालते हो! وَإِذَا بَطَشْتُم بَطَشْتُمْ جَبَّارِينَ
131 अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ
132 उसका डर रखो जिसने तुम्हें वे चीज़े पहुँचाई जिनको तुम जानते हो وَاتَّقُوا الَّذِي أَمَدَّكُم بِمَا تَعْلَمُونَ
133 उसने तुम्हारी सहायता की चौपायों और बेटों से, أَمَدَّكُم بِأَنْعَامٍ وَبَنِينَ
134 और बाग़ो और स्रोतो से وَجَنَّاتٍ وَعُيُونٍ
135 निश्चय ही मुझे तुम्हारे बारे में एक बड़े दिन की यातना का भय है।" إِنِّي أَخَافُ عَلَيْكُمْ عَذَابَ يَوْمٍ عَظِيمٍ
136 उन्होंने कहा, "हमारे लिए बराबर है चाहे तुम नसीहत करो या नसीहत करने वाले न बनो। قَالُوا سَوَاء عَلَيْنَا أَوَعَظْتَ أَمْ لَمْ تَكُن مِّنَ الْوَاعِظِينَ
137 यह तो बस पहले लोगों की पुरानी आदत है إِنْ هَذَا إِلَّا خُلُقُ الْأَوَّلِينَ
138 और हमें कदापि यातना न दी जाएगी।" وَمَا نَحْنُ بِمُعَذَّبِينَ
139 अन्ततः उन्होंने उन्हें झुठला दिया जो हमने उनको विनष्ट कर दिया। बेशक इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं فَكَذَّبُوهُ فَأَهْلَكْنَاهُمْ إِنَّ فِي ذَلِكَ لَآيَةً وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ
140 और बेशक तुम्हारा रब ही है, जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ
141 समूद ने रसूलों को झुठलाया, كَذَّبَتْ ثَمُودُ الْمُرْسَلِينَ
142 जबकि उसके भाई सालेह ने उससे कहा, "क्या तुम डर नहीं रखते? إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ صَالِحٌ أَلَا تَتَّقُونَ
143 निस्संदेह मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ إِنِّي لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ
144 अतः तुम अल्लाह का डर रखो और मेरी बात मानो فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ
145 मैं इस काम पर तुमसे कोई बदला नहीं माँगता। मेरा बदला तो बस सारे संसार के रब के ज़िम्मे है وَمَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ إِنْ أَجْرِيَ إِلَّا عَلَى رَبِّ الْعَالَمِينَ
146 क्या तुम यहाँ जो कुछ है उसके बीच, निश्चिन्त छोड़ दिए जाओगे, أَتُتْرَكُونَ فِي مَا هَاهُنَا آمِنِينَ
147 बाग़ों और स्रोतों فِي جَنَّاتٍ وَعُيُونٍ
148 और खेतों और उन खजूरों में जिनके गुच्छे तरो ताज़ा और गुँथे हुए है? وَزُرُوعٍ وَنَخْلٍ طَلْعُهَا هَضِيمٌ
149 तुम पहाड़ों को काट-काटकर इतराते हुए घर बनाते हो? وَتَنْحِتُونَ مِنَ الْجِبَالِ بُيُوتًا فَارِهِينَ
150 अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ
151 और उन हद से गुज़र जानेवालों की आज्ञा का पालन न करो, وَلَا تُطِيعُوا أَمْرَ الْمُسْرِفِينَ
152 जो धरती में बिगाड़ पैदा करते है, और सुधार का काम नहीं करते।" الَّذِينَ يُفْسِدُونَ فِي الْأَرْضِ وَلَا يُصْلِحُونَ
153 उन्होंने कहा, "तू तो बस जादू का मारा हुआ है। قَالُوا إِنَّمَا أَنتَ مِنَ الْمُسَحَّرِينَ
154 तू बस हमारे ही जैसा एक आदमी है। यदि तू सच्चा है, तो कोई निशानी ले आ।" مَا أَنتَ إِلَّا بَشَرٌ مِّثْلُنَا فَأْتِ بِآيَةٍ إِن كُنتَ مِنَ الصَّادِقِينَ
155 उसने कहा, "यह ऊँटनी है। एक दिन पानी पीने की बारी इसकी है और एक नियत दिन की बारी पानी लेने की तुम्हारी है قَالَ هَذِهِ نَاقَةٌ لَّهَا شِرْبٌ وَلَكُمْ شِرْبُ يَوْمٍ مَّعْلُومٍ
156 तकलीफ़ पहुँचाने के लिए इसे हाथ न लगाना, अन्यथा एक बड़े दिन की यातना तुम्हें आ लेगी।" وَلَا تَمَسُّوهَا بِسُوءٍ فَيَأْخُذَكُمْ عَذَابُ يَوْمٍ عَظِيمٍ
157 किन्तु उन्होंने उसकी कूचें काट दी। फिर पछताते रह गए فَعَقَرُوهَا فَأَصْبَحُوا نَادِمِينَ
158 अन्ततः यातना ने उन्हें आ दबोचा। निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं فَأَخَذَهُمُ الْعَذَابُ إِنَّ فِي ذَلِكَ لَآيَةً وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ
159 और निस्संदेह तुम्हारा रब ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयाशील है وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ
160 लूत की क़ौम के लोगों ने रसूलों को झुठलाया; كَذَّبَتْ قَوْمُ لُوطٍ الْمُرْسَلِينَ
161 जबकि उनके भाई लूत ने उनसे कहा, "क्या तुम डर नहीं रखते? إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ لُوطٌ أَلَا تَتَّقُونَ
162 मैं तो तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ إِنِّي لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ
163 अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ
164 मैं इस काम पर तुमसे कोई प्रतिदान नहीं माँगता, मेरा प्रतिदान तो बस सारे संसार के रब के ज़िम्मे है وَمَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ إِنْ أَجْرِيَ إِلَّا عَلَى رَبِّ الْعَالَمِينَ
165 क्या सारे संसारवालों में से तुम ही ऐसे हो जो पुरुषों के पास जाते हो, أَتَأْتُونَ الذُّكْرَانَ مِنَ الْعَالَمِينَ
166 और अपनी पत्नियों को, जिन्हें तुम्हारे रब ने तुम्हारे लिए पैदा किया, छोड़ देते हो? इतना ही नहीं, बल्कि तुम हद से आगे बढ़े हुए लोग हो।" وَتَذَرُونَ مَا خَلَقَ لَكُمْ رَبُّكُمْ مِنْ أَزْوَاجِكُم بَلْ أَنتُمْ قَوْمٌ عَادُونَ
167 उन्होंने कहा, "यदि तू बाज़ न आया, ऐ लतू! तो तू अवश्य ही निकाल बाहर किया जाएगा।" قَالُوا لَئِن لَّمْ تَنتَهِ يَا لُوطُ لَتَكُونَنَّ مِنَ الْمُخْرَجِينَ
168 उसने कहा, "मैं तुम्हारे कर्म से अत्यन्त विरक्त हूँ। قَالَ إِنِّي لِعَمَلِكُم مِّنَ الْقَالِينَ
169 ऐ मेरे रब! मुझे और मेरे लोगों को, जो कुछ ये करते है उसके परिणाम से, बचा ले।" رَبِّ نَجِّنِي وَأَهْلِي مِمَّا يَعْمَلُونَ
170 अन्ततः हमने उसे और उसके सारे लोगों को बचा लिया; فَنَجَّيْنَاهُ وَأَهْلَهُ أَجْمَعِينَ
171 सिवाय एक बुढ़िया के जो पीछे रह जानेवालों में थी إِلَّا عَجُوزًا فِي الْغَابِرِينَ
172 फिर शेष दूसरे लोगों को हमने विनष्ट कर दिया। ثُمَّ دَمَّرْنَا الْآخَرِينَ
173 और हमने उनपर एक बरसात बरसाई। और यह चेताए हुए लोगों की बहुत ही बुरी वर्षा थी وَأَمْطَرْنَا عَلَيْهِم مَّطَرًا فَسَاء مَطَرُ الْمُنذَرِينَ
174 निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं إِنَّ فِي ذَلِكَ لَآيَةً وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ
175 और निश्चय ही तुम्हारा रब बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ
176 अल-ऐकावालों ने रसूलों को झुठलाया كَذَّبَ أَصْحَابُ الْأَيْكَةِ الْمُرْسَلِينَ
177 जबकि शुऐब ने उनसे कहा, "क्या तुम डर नहीं रखते? إِذْ قَالَ لَهُمْ شُعَيْبٌ أَلَا تَتَّقُونَ
178 मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ إِنِّي لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ
179 अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ
180 मैं इस काम पर तुमसे कोई प्रतिदान नहीं माँगता। मेरा प्रतिदान तो बस सारे संसार के रब के ज़िम्मे है وَمَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ إِنْ أَجْرِيَ إِلَّا عَلَى رَبِّ الْعَالَمِينَ
181 तुम पूरा-पूरा पैमाना भरो और घाटा न दो أَوْفُوا الْكَيْلَ وَلَا تَكُونُوا مِنَ الْمُخْسِرِينَ
182 और ठीक तराज़ू से तौलो وَزِنُوا بِالْقِسْطَاسِ الْمُسْتَقِيمِ
183 और लोगों को उनकी चीज़ों में घाटा न दो और धरती में बिगाड़ और फ़साद मचाते मत फिरो وَلَا تَبْخَسُوا النَّاسَ أَشْيَاءهُمْ وَلَا تَعْثَوْا فِي الْأَرْضِ مُفْسِدِينَ
184 उसका डर रखो जिसने तुम्हें और पिछली नस्लों को पैदा किया हैं।" وَاتَّقُوا الَّذِي خَلَقَكُمْ وَالْجِبِلَّةَ الْأَوَّلِينَ
185 उन्होंने कहा, "तू तो बस जादू का मारा हुआ है قَالُوا إِنَّمَا أَنتَ مِنَ الْمُسَحَّرِينَ
186 और तू बस हमारे ही जैसा एक आदमी है और हम तो तुझे झूठा समझते है وَمَا أَنتَ إِلَّا بَشَرٌ مِّثْلُنَا وَإِن نَّظُنُّكَ لَمِنَ الْكَاذِبِينَ
187 फिर तू हमपर आकाश को कोई टुकड़ा गिरा दे, यदि तू सच्चा है।" فَأَسْقِطْ عَلَيْنَا كِسَفًا مِّنَ السَّمَاء إِن كُنتَ مِنَ الصَّادِقِينَ
188 उसने कहा, " मेरा रब भली-भाँति जानता है जो कुछ तुम कर रहे हो।" قَالَ رَبِّي أَعْلَمُ بِمَا تَعْمَلُونَ
189 किन्तु उन्होंने उसे झुठला दिया। फिर छायावाले दिन की यातना ने आ लिया। निश्चय ही वह एक बड़े दिन की यातना थी فَكَذَّبُوهُ فَأَخَذَهُمْ عَذَابُ يَوْمِ الظُّلَّةِ إِنَّهُ كَانَ عَذَابَ يَوْمٍ عَظِيمٍ
190 निस्संदेह इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं إِنَّ فِي ذَلِكَ لَآيَةً وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ
191 और निश्चय ही तुम्हारा रब ही है, जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ
192 निश्चय ही यह (क़ुरआन) सारे संसार के रब की अवतरित की हुई चीज़ है وَإِنَّهُ لَتَنزِيلُ رَبِّ الْعَالَمِينَ
193 इसको लेकर तुम्हारे हृदय पर एक विश्वसनीय आत्मा उतरी है, نَزَلَ بِهِ الرُّوحُ الْأَمِينُ
194 ताकि तुम सावधान करनेवाले हो عَلَى قَلْبِكَ لِتَكُونَ مِنَ الْمُنذِرِينَ
195 स्पष्ट अरबी भाषा में بِلِسَانٍ عَرَبِيٍّ مُّبِينٍ
196 और निस्संदेह यह पिछले लोगों की किताबों में भी मौजूद है وَإِنَّهُ لَفِي زُبُرِ الْأَوَّلِينَ
197 क्या यह उनके लिए कोई निशानी नहीं है कि इसे बनी इसराईल के विद्वान जानते है? أَوَلَمْ يَكُن لَّهُمْ آيَةً أَن يَعْلَمَهُ عُلَمَاء بَنِي إِسْرَائِيلَ
198 यदि हम इसे ग़ैर अरबी भाषी पर भी उतारते, وَلَوْ نَزَّلْنَاهُ عَلَى بَعْضِ الْأَعْجَمِينَ
199 और वह इसे उन्हें पढ़कर सुनाता तब भी वे इसे माननेवाले न होते فَقَرَأَهُ عَلَيْهِم مَّا كَانُوا بِهِ مُؤْمِنِينَ
200 इसी प्रकार हमने इसे अपराधियों के दिलों में पैठाया है كَذَلِكَ سَلَكْنَاهُ فِي قُلُوبِ الْمُجْرِمِينَ
201 वे इसपर ईमान लाने को नहीं, जब तक कि दुखद यातना न देख लें لَا يُؤْمِنُونَ بِهِ حَتَّى يَرَوُا الْعَذَابَ الْأَلِيمَ
202 फिर जब वह अचानक उनपर आ जाएगी और उन्हें ख़बर भी न होगी, فَيَأْتِيَهُم بَغْتَةً وَهُمْ لَا يَشْعُرُونَ
203 तब वे कहेंगे, "क्या हमें कुछ मुहलत मिल सकती है?" فَيَقُولُوا هَلْ نَحْنُ مُنظَرُونَ
204 तो क्या वे लोग हमारी यातना के लिए जल्दी मचा रहे है? أَفَبِعَذَابِنَا يَسْتَعْجِلُونَ
205 क्या तुमने कुछ विचार किया? यदि हम उन्हें कुछ वर्षों तक सुख भोगने दें; أَفَرَأَيْتَ إِن مَّتَّعْنَاهُمْ سِنِينَ
206 फिर उनपर वह चीज़ आ जाए, जिससे उन्हें डराया जाता रहा है; ثُمَّ جَاءهُم مَّا كَانُوا يُوعَدُونَ
207 तो जो सुख उन्हें मिला होगा वह उनके कुछ काम न आएगा مَا أَغْنَى عَنْهُم مَّا كَانُوا يُمَتَّعُونَ
208 हमने किसी बस्ती को भी इसके बिना विनष्ट नहीं किया कि उसके लिए सचेत करनेवाले याददिहानी के लिए मौजूद रहे हैं। وَمَا أَهْلَكْنَا مِن قَرْيَةٍ إِلَّا لَهَا مُنذِرُونَ
209 हम कोई ज़ालिम नहीं है ذِكْرَى وَمَا كُنَّا ظَالِمِينَ
210 इसे शैतान लेकर नहीं उतरे हैं। وَمَا تَنَزَّلَتْ بِهِ الشَّيَاطِينُ
211 न यह उन्हें फबता ही है और न ये उनके बस का ही है وَمَا يَنبَغِي لَهُمْ وَمَا يَسْتَطِيعُونَ
212 वे तो इसके सुनने से भी दूर रखे गए है إِنَّهُمْ عَنِ السَّمْعِ لَمَعْزُولُونَ
213 अतः अल्लाह के साथ दूसरे इष्ट-पूज्य को न पुकारना, अन्यथा तुम्हें भी यातना दी जाएगी فَلَا تَدْعُ مَعَ اللَّهِ إِلَهًا آخَرَ فَتَكُونَ مِنَ الْمُعَذَّبِينَ
214 और अपने निकटतम नातेदारों को सचेत करो وَأَنذِرْ عَشِيرَتَكَ الْأَقْرَبِينَ
215 और जो ईमानवाले तुम्हारे अनुयायी हो गए है, उनके लिए अपनी भुजाएँ बिछाए रखो وَاخْفِضْ جَنَاحَكَ لِمَنِ اتَّبَعَكَ مِنَ الْمُؤْمِنِينَ
216 किन्तु यदि वे तुम्हारी अवज्ञा करें तो कह दो, "जो कुछ तुम करते हो, उसकी ज़िम्मेदारी से मं1 बरी हूँ।" فَإِنْ عَصَوْكَ فَقُلْ إِنِّي بَرِيءٌ مِّمَّا تَعْمَلُونَ
217 और उस प्रभुत्वशाली और दया करनेवाले पर भरोसा रखो وَتَوَكَّلْ عَلَى الْعَزِيزِ الرَّحِيمِ
218 जो तुम्हें देख रहा होता है, जब तुम खड़े होते हो الَّذِي يَرَاكَ حِينَ تَقُومُ
219 और सजदा करनेवालों में तुम्हारे चलत-फिरत को भी वह देखता है وَتَقَلُّبَكَ فِي السَّاجِدِينَ
220 निस्संदेह वह भली-भाँति सुनता-जानता है إِنَّهُ هُوَ السَّمِيعُ الْعَلِيمُ
221 क्या मैं तुम्हें बताऊँ कि शैतान किसपर उतरते है? هَلْ أُنَبِّئُكُمْ عَلَى مَن تَنَزَّلُ الشَّيَاطِينُ
222 वे प्रत्येक ढोंग रचनेवाले गुनाहगार पर उतरते है تَنَزَّلُ عَلَى كُلِّ أَفَّاكٍ أَثِيمٍ
223 वे कान लगाते है और उनमें से अधिकतर झूठे होते है يُلْقُونَ السَّمْعَ وَأَكْثَرُهُمْ كَاذِبُونَ
224 रहे कवि, तो उनके पीछे बहके हुए लोग ही चला करते है।- وَالشُّعَرَاء يَتَّبِعُهُمُ الْغَاوُونَ
225 क्या तुमने देखा नहीं कि वे हर घाटी में बहके फिरते हैं, أَلَمْ تَرَ أَنَّهُمْ فِي كُلِّ وَادٍ يَهِيمُونَ
226 और कहते वह है जो करते नहीं? - وَأَنَّهُمْ يَقُولُونَ مَا لَا يَفْعَلُونَ
227 वे नहीं जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए और अल्लाह को अधिक .याद किया। औऱ इसके बाद कि उनपर ज़ुल्म किया गया तो उन्होंने उसका प्रतिकार किया और जिन लोगों ने ज़ुल्म किया, उन्हें जल्द ही मालूम हो जाएगा कि वे किस जगह पलटते हैं إِلَّا الَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ وَذَكَرُوا اللَّهَ كَثِيراً وَانتَصَرُوا مِن بَعْدِ مَا ظُلِمُوا وَسَيَعْلَمُ الَّذِينَ ظَلَمُوا أَيَّ مُنقَلَبٍ يَنقَلِبُونَ
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